विश्व पंछी दिवस

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विश्व पंछी दिवस हर वर्ष ५  जनवरी के दिन मनाया जाता है। पक्षी प्रेमी, पक्षी रक्षक, पर्यावरणविद और प्रकृति प्रेमी इस दिन को बहुत ही उत्साह से मनाते हैं। एवियन वेलफेयर संगठन और बॉर्न फ्री यूएसए ने वर्ष २००२  से विश्व पंछी दिवस मनाना शुरू किया था।

हर वर्ष पक्षियों की प्रजातियों के विलुप्त होने के आंकड़ों को देखते हुए पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विश्व पक्षी दिवस मनाया जाता है। विश्व पंछी दिवस का उद्देश्य लोगों को पंछियों के महत्व के बारे में जागरूक करना भी है। ताकि हर आदमी पंछियों के संरक्षण के लिए आगे आए और प्रयास करें। विश्व पंछी दिवस के माध्यम से एक अवसर और एक मंच प्रदान करना भी है, जिससे की पंछियों की वर्तमान स्थिति के विषय में जागरूकता फैलाई जा सके।

भारत में पंछी दिवस

भारत में विश्व पंछी दिवस के अलावा हर वर्ष १२  नवंबर को राष्ट्रीय पक्षी दिवस भी मनाया जाता है। भारत मैं राष्ट्रीय पक्षी दिवस सलीम अली नामक सुप्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। सलीम अली जी के पक्षियों के प्रति प्रेम को देखकर इनको ”पक्षी मानव” का नाम भी दिया गया है।

सलीम अली जी ने यह चिंता जाहिर की है कि अगर पर्यावरण प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो पक्षियों की प्रजातियां और उनकी संख्या ऐसे ही घटती रहेगी। ऐसे में जरूरत है एक अच्छे पर्यावरण की जोकि सभी जीव जंतुओं और पक्षियों के लिए अनुकूल हो और ऐसा तभी हो सकता है जब देश का हर नागरिक पक्षियों की स्थिति के विषय में जागरूक हो और पक्षियों के संरक्षण के लिए प्रयास करें।

पंछियों का जीवन में महत्व

आज के भागदौड़ भरे अपने व्यस्त जीवन में हर आदमी तनाव से घिरा हुआ है। तनाव से दूर रहने के लिए या तनाव को भगाने के लिए हर व्यक्ति अलग-अलग उपाय करता है। इन सब उपायों में एक उपाय ऐसा भी है जो पक्षियों से जुड़ा है। कुछ लोग तनाव दूर करने के लिए पक्षियों का अवलोकन करते हैं और कुछ लोगों का तो ”बर्डवाचिंग” का शौक होता है। जब हम अपने आसपास पक्षियों को चह – चहाते, उड़ते या फुदकते हुए देखते हैं तो यह हमारे मन को बहुत शांति प्रदान करता है।

हम अपने व्यस्त समय के चलते पक्षियों को अनदेखा कर देते हैं। लेकिन जो लोग इस तरह से पक्षियों को निहारते हैं और उनकी गतिविधियों को शांति से देखते हैं या फिर कैमरे में कैद कर लेते हैं उन्हें यह सब करके बहुत शांति की अनुभूति होती है। कोई पक्षी अपना घोंसला बनाने में लगा होगा, कोई अपना खाना-पीना तलाश कर रहा होगा, कोई मस्ती से चहक रहा होगा, किन्ही पक्षियों में मासूम तकरार हो रही होगी इस तरह की पक्षियों की हरकतें आपके मन को शांत, आनंदित और तनाव से मुक्त कर देंगी।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण और जंगलों की कटाई की वजह से पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट आ रही है और पक्षियों की प्रजातियां भी विलुप्त हो गई है या विलुप्त होने की कगार पर है। इसलिए हर आदमी को पक्षियों की रक्षा की छोटे से छोटे स्तर पर जिम्मेवारी लेनी चाहिए ताकि पक्षियों को खत्म होने से रोका जा सके। हमें उन सब कार्यों से भी बचना चाहिए जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता हो और जंगलों की कटाई होती हो क्योंकि यह दो मुख्य कारण हैं पक्षियों की संख्या में गिरावट के।

भारत में विलुप्त हो रहे कुछ पक्षियों के नाम निम्नलिखित हैं:-
लाल सिर वाला गिद्ध
ग्रेट साइबेरियन क्रेन
जंगली उल्लू
गोडावण
सफेद पेट वाला बगुला
सफेद पेट वाला गिद्ध
चम्मच की चोंच वाला टिटहरी
जेरडोंस करसर
चरस (बंगाल  फ्लोरिकन )
हिमालयी बटेर (हिमालयन  क्वेल )
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार

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