विधानसभा धर्म सभा – मुनी संप्रभसागर

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राजस्थान विधानसभा जयपुर को मिला आचार्य भगवन का सानिध्य

परम पूज्य आचार्य श्री सुनीलसागरजी गुरुदेव का सत्संग श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर जनकपुरी जयपुर में विराजमान था। यहां पर गुरुदेव का प्रवास रहा इस बीच 27/12/ 2022 को आचार्य श्री का संघ सहित राजस्थान विधानसभा जयपुर में गए । वहां पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब जी कटारिया जोकि गुरुदेव के अनन्य भक्त हैं ,उनके द्वारा गुरुदेव का स्वागत किया। साथ ही माननीय श्री महावीर प्रसाद शर्मा विधानसभा के प्रमुख सचिव भी गुरुदेव की अगवानी में रहे । इसके पश्चात वह के नवनिर्मित म्यूजियम में आचार्य के मंगल चरण पड़े । जहां पर प्रथम मुख्यमंत्री से लेकर अभी तक की मुख्यमंत्री की लाइव मॉडल बने हुए थे। भारत के प्रथम डिजिटल विधानसभा में म्यूजियम बना था। उसके पश्चात आचार्य श्री का प्रवचन हुआ, उसके पूर्व श्रीमान गुलाब जी कटारिया ने गुरु के आगमन पर अपनी श्रद्धा अर्पित की जिसमें सर्वप्रथम गुरु चरणों में नमोस्तु कर कहा कि ,आज हमारे लोकतंत्र के इस मंदिर में आचार्य श्री के चरण पड़े निश्चित रूप से जनसेवा में वृद्धि होगी

आचार्य भगवन की भावना अनुसार जन सेवा करने का पूरा प्रयास करेंगे। आप श्री के चरणों से निश्चित ही लोकतंत्र का मंदिर गोरवान्वित हुआ ।मेरे 40 साल की राजनीति में इस तरह इतने बड़े संघ का आना पहली बार ही ऐसा अवसर हमें प्राप्त हुआ। निश्चित रूप से इस की गरिमा बढ़ेगी। मैं तो उदयपुर था जैसे ही मुझे पता लगा कि संघ का विधानसभा में आना होगा तो मैंने तुरंत मानस बनाया और यहा आया मुझे आने में थोड़ा विलंब हो गया। जिस गति से गुरुदेव आप चलते उस गति से हम नहीं चल पाते। वास्तव में मैं एक श्रावक हूं मैं आपकी दर्शन को पधारा हूं आप मुझे आशीर्वाद दें कि मैं सच्ची निष्ठा और ईमानदारी के साथ जनता की सेवा कर सकूं हमारे सारे कार्यकर्ता भी आपकी भावना अनुसार कार्य कर सकें निश्चित रूप से आपके यहां पधारे से विधानसभा के कार्य और अच्छे से होंगे आपके आशीर्वाद से मेरा जीवन धन्य हुआ ही है। आप हम सभी कार्यकारिणी को भी आशीर्वाद प्रदान करें। नमोस्तु !

इसके पश्चात उन्होंने गुरुदेव से निवेदन किया कि हे भगवान आपकी मंगल वाणी से हमारे जीवन का उद्धार करें ।नमोस्तु आचार्य श्री!! का प्रवचन हुआ जिसमें सर्वप्रथम आचार्य भगवन णमोकार महामंत्र का उच्चारण पूरे विधानसभा में एक पॉजिटिव ऊर्जा प्राप्त हुई उसके पश्चात आचार्य श्री ने बताया कि राजस्थान विधानसभा कानून का मंदिर विधायकों की संस्था जहां पुरा राजस्थान चलता है वहां आज संघ का बैठने का योग बना । हमें तो ऐसा किए विधानसभा है या चक्रव्यूह है। जिस प्रकार गुलाब जी संघ की सेवा भक्ति करते हैं वैसे विरले लोग ही होते हैं सौभाग्यशालीयो!! भगवान महावीर स्वामी के नाना आप अपने जमाने में वैशाली गणतंत्र के अध्यक्ष थे गणतंत्र को जो दुनिया की देन है। निसंकोच रूप से हम कह सकते हैं कि यह भगवान महावीर की देन है ।

हिंसा के विरोध में गुलाबी प्रथा के विरोध में व्यक्तियों की पर परतंत्रता से मुक्ति के लिए पशु पक्षियों के मंगलमय जीवन के लिए भगवान महावीर स्वामी ने सब कुछ छोड़कर सन्यास तपस्या का मार्ग अपनाया ।जिस से चलकर कि उन्होंने दुनिया को मंगलमय मार्गदर्शन दिया। आज अमेरिका के सीनेट में भी भगवान महावीर स्वामी की जय बोली जाती है ।अहिंसा दिवस मनाया जाता है। जब 24 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री आए थे, उन्होंने कहा कि हमने शांति और अहिंसा विभाग बनाया है बात तो अच्छी है लेकिन उसके अनुसार काम हो जाए तो निश्चित रूप से राजस्थान में क्या पूरी दुनिया में शांति और संतोष की लहर चलेगी ।सरकारी योजना तो चलती है लेकिन आम जनता तक उसका आधा हिस्सा भी नहीं पहुंच पाता आधा तो बीच में ही गायब हो जाता है। अगर जनता को अपना समझा जाए और सारी योजना अच्छी तरह से उन्हें प्राप्त हो सके सब तो स्वस्थ और मस्त रहेंगे। तो 80 परसेंट समस्या जनता की ही समाप्त हो जाएगी। 45 वर्ष हो गए कटारिया जी को राजनीति करते करते लेकिन श्रावक धर्म का निर्वाह करते ।

जब संघ का उदयपुर प्रवास था तब जिन मंदिरों के दर्शन कर पधार रहे थे रहे तो रास्ते में गुलाब जी की कुटिया आई इन्होंने निवेदन किया तो इनकी कुटिया में गए एकदम सादा सात्विक जीवन को जीते हुए साधा सा घर था । ना कोई बड़ा बंगला ना फार्महाउस था ।राजनीति में स्वच्छता और भ्रष्टाचार से मुक्त जीवन जीने वाले गिनती के ही लोग मिलेंगे। अगर कानून बनाने वाले लोग कानून से चले ।और जनता को चलाएं श्री राम मर्यादा से चले तो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए ।महावीर स्वामी ने संकल्प पूर्वक जीवन जिया तो ऊंचाई को प्राप्त हुए। इस विधानसभा में आज तक 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे ।लेकिन आज इतना बड़ा संघ आया है ।तो निश्चित रूप से अगली विधानसभा में 200 विधायक अवश्य बैठेंगे। हमें पैदल चलते हुए 27 साल हो गए ।हम गांव गांव जाते हैं ।जहां जाते हैं वहां कुछ ना कुछ निर्व्यासनी अहिंसामय जीवन स्वीकार करते हैं।

मुखिया मुख सो चाहिए खान पान का एक
नपाले पोसे सकल अंग तुलसी सहित विवेक

घर समाज राजनेता जनप्रतिनिधि घर का मुखिया भी ऐसा होना चाहिए ।जैसे मुख होता है खाता तो एक ही है लेकिन पोषण पूरे शरीर का होता है। ऐसे ही मुखिया एक होता है वह समाज का मुख होता है। और पूरे समाज का पोषण करता है संवेदनहीनता कितनी बढ़ गई है ।कि लोग इंसान को भी काटने में परहेज नहीं करते। बलात्कार और भ्रष्टाचार की घटना तो बढ़ ही रही है। संवेदनहीनता निश्चित रूप से नैतिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार भी जरूर है। अहिंसा जैसा विभाग भी जरूरी है। महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़, वागड़ ,मेवल ,मारवाड़ कई सारी बोलियां है आशा है हमें अंग्रेजी की बजह हिंदी भाषा को मां और अन्य भाषाओं को मौसी का सम्मान देना चाहिए भगवान महावीर स्वामी ने सत्य, अचौर्य, परिग्रह परिमाण अनुव्रतोका का श्रावक को जीने का मार्ग बताया। अगर यह पाच व्रत को कानून में लागू हो जाए तो ढेर सारी समस्या यूं ही समाप्त हो जाएगी ।और सुख शांति हो जाएगी ।

सरकारी कई योजना बनाती है ।मुफ्त दवाइयां आवास योजना, बालिकाओं के लिए योजना बनाती है अगर सब जनता तक पहुंचे तो तकलीफ खत्म हो जाएगी। हमारे जीवन व्यसन रहित रहे ।जनता को भी व्यसन मुक्त होने का उपदेश दे ।तो सब का जीवन मंगलमय होगा। आज हम नीचे मुख्यमंत्री के चित्र देख रहे थे बता रहे थे कि यह बिना चुनाव से बने मुख्यमंत्री बने थे। उस बीच हमें याद आया कि अर्जुन लाल सेठी उस जमाने में गांधी जी के लेवल के व्यक्ति थे। और बड़े-बड़े भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद उनसे परामर्श करते थे। नरम दल और गरम दल दोनों में उनकी मान्यता थी ।उनके साथ ऐसा क्या हुआ जिससे वह राजनीति राजस्थान से ओझल हो गए ।अगर वह होते तो राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री वही होते।
बी जय श्री राम जय सियाराम दोनों के क्या अंतर है देखा जाए तो दोनों ही प्रतिष्ठित है ।सिर्फ जय श्री राम बोले तो उसमें सिर्फ श्री राम आते हैं।

अगर जय सियाराम बोले तो राम और श्याम दोनों आते हैं । मतलब यह है कि दुनिया में स्त्री और पुरुष को समान अधिकार मिलना चाहिए । सियाराम शब्द प्राकृत का शब्द है, और प्राकृत के बाद अपभ्रंश भाषा अपभ्रंश के बाद अब इसके बाद हिंदी भाषा अंग्रेजी जो हमारे ऊपर जबरदस्ती ला दी गई है। अपनी भाषा में ही सभी कार्य करना चाहिए ।जापान, जर्मनी, चाइना अपनी ही भाषा लिपि में सारा कार्य करते हैं ।ऐसी ब्राह्मी लिपि भी प्राचीन तीर्थंकरों की वाणी भी 18 महा भाषा 700 लघु भाषा में खिरती है ।हमें अपने जीवन को परमात्मा की भक्ति कर आत्मा भी एक दिन परमात्मा से यही मंगल भावना

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