वर्तमान के तीर्थोद्धाकारक ,जन जाग्रति के केंद्र

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मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज का मुनि दीक्षा दिवस — विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
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वर्तमान के समंत्रभद्र ,तीर्थोद्धाकारक मुनि पुंगव श्री १०८ सुधासागर जी महाराज वर्तमान समय के क्रांतिकारी मुनि हैं .उनके प्रवचन ,जिज्ञासा समाधान आदि के द्वारा जो समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने की अलख जगा रहे हैं .उनके अंदर कठोर साधना के बल पर जो ज्ञानार्जन किया हैं और उनके गुरु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की अनन्य कृपा से जो निर्भीकता उनके अंदर हैं वह वंदनीय हैं .
आज जो कुछ भी मूढ़ताएं समाज में हैं उनका समाधान आगम ग्रंथों के अनुरूप देते हैं और वे मिथ्यात्व के लिए कठोरता से अपनी बात कहते हैं .उनके द्वारा जो भी समाज सुधार हेतु कदम उठाये जाते हैं वे अकल्पनीय होते हैं .प्राचीन मंदिरों में सुधार ,नए मंदिरों के भव्यता के साथ निर्माण कराये जा रहे हैं .उनके समक्ष जो भी जिज्ञासा रखी जाती हैं निडरता से तत्काल समाधान किया जाता हैं .वे अद्वितीय प्रतिभा के धनी हैं .उनके बारे में जितना भी लिखा बोला जाय कम हैं .
सुप्त जैन समाज में णमोकार मंत्र की प्रभावना बढ़ायी .भक्ताम्बर स्त्रोत का अखंड पाठ की शुरुआत की .इसके अलावा समाज में यदा कड़ा शांतिधारा और शांति विधान किया जाता था वह बढ़चढ़कर होने लगा .
पूर्व नाम : श्री जय कुमार जैन, पिता : श्री रूपचन्द्र जैन, माता : श्रीमती शन्तिबाई जैन,जन्म स्थान : ईशुरवारा (जिला : सागर ), म०प्र०
जन्म तिथि : मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी (मोक्ष सप्तमी ), सम्वत २०१५ तदनुसार दि. २१ अगस्त १९५८,दिन गुरुवार,शिक्षा : बी.कोम
भ्राता : २ (ज्येष्ठ श्री ऋषभ कुमार जैन , कनिष्ठ श्री ज्ञान चन्द्र जैन),भगिनी : २(निरंजना , कंचनमाला)
विवाह : नहीं किया ( आजन्म बाल ब्रम्हचारी )
ब्रम्हचर्य व्रत : आचार्य श्री १०८ विद्यासगर जी महाराजसे, श्रीदिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र नैनागिर जी में १९ अक्तूबर १९७८, क्षुल्लक दीक्षा : १० जनवरी १९८० को नैनागिर में आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराजजी सेऔर नाम पाया क्षुल्लक श्री परमसागर, एलक दीक्षा : १५ अप्रेल १९८२ को सागर म०प्र० में भगवान महावीर जयन्ती के पावन दिन (आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज से),मुनि दीक्षा : अश्विन क्रष्ण त्रतीया तदनुसार दिनान्क : २५ सितम्बर १९८३ को ईसरी (जिला गिरिडीह बिहार) में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से परम जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की और नाम पाया मुनि श्री सुधासागर जी महाराज
आपने अनेक पंचकल्याणक, मंदिरों का जीणोंध्दार आदि कार्य कराये है । आपकी प्रवचन शैली सभी को लाभकारी होती है आपके मार्गदर्शन में बहुत से ग्रंथों का प्रकाशन हुआ है । सुधासागर जी एक ज्ञानी जैन संत हैं। एक गुरु के रूप में, वह जैन मंदिरों, जैनियों और समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं।वह कई जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए प्रेरणा हैं जो बुरी स्थिति में थे, जैसे सांगानेर और दादाबाड़ी कोटा में स्थित सांघीजी ।वह नारेली जैन मंदिर ( ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र ) के पीछे भी प्रेरणा थे । सुधासागर ने मध्य प्रदेश के बजरंगगढ़ में स्थित तीर्थंकर शांतिनाथ के एक प्राचीन जैन मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पहल की ।
“सपनों को साकार करने के लिए कल्पना करना बहुत जरूरी है: मुनि सुधासागर”
“बुरे भावों को ग्रहण मत करो : मुनि सुधासागर” ,
“जीवन को खुशहाल बनाने को प्रत्यक्ष निमित्त की आवश्यकता नहीं है: सुधा सागर”
जय हो हमारे गुरवार श्री सुधासागर जी महाराज की ,जय हो नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ९४२५००६७५३

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