जब कोई शासक बहुत दिनों तक गद्दीनशीन होने पर उसे घमंड ,मद और अहम् आने लगता हैं जो बहुत स्वाभाविक हैं और होना भी चाहिए ,क्योकि उसके पतन का कारण ये गुण बहुत कारक होते हैं .वैसे ऐसा होता भी हैं जब पानी एक स्थान पर बहुत दिन रुका रहता हैं तो उसमे सड़ांद आने लगती हैं और उसमे काई .कीड़े उतपन्न होने लगते हैं .
जिस पानी के कारण हमारा जीवन होता हैं वही पानी सड़ांद के कारण कोई छूता नहीं हैं ,पानी पीना बहुत दूर की बात होती हैं .कहावत भी हैं “कानि अपना टेट नहीं निहारती हैं पर दूसरे के घूर घुर कर देखती हैं .”वैसे चोरों को सारे नज़र आते हैं चोर .
वैसे जो सत्ता पर बैठते हैं उनमे मानवीयता शून्य हो जाती हैं .उनकी वाणी में मानवीयता झलकती हैं पर वे मन और वचन से शून्य हो जाते हैं .उनको यह पाठ सिखाया या मिल जाता हैं की कमजोर को मदद मत करो और ख़ास तौर पर उस समाज की जिसकी वोटर संख्या कम हो .यहाँ जैन समाज की बात कर रहा हूँ .वैसे जैन समाज की स्थिति आटे में नमक के समान हैं .पर शिवराज सिंह नमक का महत्व भोजन में कितना महत्वपूर्ण होता हैं ,इससे वाकिफ होंगे .
जैन समाज की जनसँख्या देश और प्रदेश में ० .५ प्रतिशत भी नहीं हैं और वह समाज देश की आर्थिक स्थिति में योगदान २४ प्रतिशत देती हैं .यह हमारा घमंड नहीं हैं .हमारी विरासत में यह घुट्टी पिलाई गयी हैं की कभी अन्याय मत करो और जो अन्याय करता हैं उसका डटकर मुकाबला कर विजयी हो .हारना भाव हिंसा हैं और जीतना अहिंसा हैं .
हम लोगों ने यह भी निर्णय लिया हैं की हम लोग भी स्वतंत्र रूप से सत्ता में भागीदारी के लिए सांसद और विधायकों का चुनाव लड़ेंगे .कारण जैनियों के आस्था के प्रतीक मंदिरों पर जैनेतर बंधुओं का अतिक्रमण हो रहा हैं और शासन अपने विकास के नाम पर प्राचीनतम धरोहरों को मटियामेट कर विकास करना चाहती हैं .
आज सत्ता हैं कल चुनाव में तेरा क्या होगा —-.समय होत बलवान .जितना अधर्म करोगे उतना अधिक दुःख पाओगे और वैसे भी राजा नरकगामी होता हैं .उज्जैन का नयापुरा का जैन मंदिर बहुत प्राचीनतम धरोहर हैं उसके साथ जैनियों के साथ अन्यों की आस्था जुडी हैं .क्या आप महाकाल को अपने विकास में अड़ंगा होने पर अतिक्रमण से हटाओंगे .?
मंदिरों के शहर उज्जैन में शिप्रा किनारे स्थित अवन्ति पार्श्वनाथ जैन मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं है। देश के जैन मतावलंबियों के लिए तो ये एक महत्वपूर्ण तीर्थ है ही, इतिहास की दृष्टि से भी, इसमें विराजित प्रतिमा उज्जयिनी की सबसे प्राचीन धरोहरों में से एक है।
शिवराज सिंह आप अपनी नीति रीति में सुधार करे .वैसे गोमटगिरि का प्रकरण अभी निपटा नहीं हैं .मत निपटाओ ,समय तुम्हे जरूर निपटाएगा .पद ,सत्ता बहुत अस्थायी होते हैं पर मानवीयता चिर –स्थायी होती हैं .बड़े बड़े महाराजा राजा इस जम्मीं में समां गए तुम कितने वर्षों तक रहेंगे इस जमीं पर .
करलो जमा धन ,ज़मीन खेती ,सोना चांदी
वशर्ते ! लेकर जाना अपने जाते जाते
सीमा तक करो अत्याचार ,
फिर वह दर्द ही दवा बन जाती हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 0942 006753
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