वन महोत्सव सप्ताह—बन जाओ वनों के दोस्त !——विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला एक महोत्सव है। यह १९६० के दशक में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलतत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था।
1 आधुनिक उद्योग मे कच्चे पदार्थ के रूप मे लकडी की अधिक खपत होती है, जैसे लकड़ी उद्योग , माचिस उद्योग तथा कागज उद्योग इत्यादि ।
2 हमारे देश मे लकडी के कोयले की खपत अधिक होती है जिसको केवल लकडी से ही तैयार किया जा सकता है ।
3 रेलमार्ग पर पटरियो को मजबूती देने हेतू लकडी के स्लीपर काम आते है ।
भारतवर्ष का मौसम और जलवायु देशों में सर्वश्रेष्ठ है, इसकी प्राकृतिक रमणीयता और हरित वैभव विख्यात है विदेशी पर्यटक यहां की मनोहारी प्राकृतिक सुषमा देखकर मोहित हो जाते हैं|
हमारे देश की प्राचीन संस्कृति में वृक्षों की पूजा और आराधना की जाती है|तथा नेतृत्व की उपाधि दी जाती है|बच्चों को प्रकृति ने मानव की मूल आवश्यकता से जोड़ा है| किसी ने कहा है कि- वृक्ष ही जल है, जल ही अन्न है,और अन्न ही जीवन है| यदि वृक्ष न होते तो नदी और आसमान ना होते वृक्ष की जड़ों के साथ वर्षा का जल जमीन के भीतर पहुंचता है, वन हमारी सभ्यता और संस्कृतिके रक्षक है|शांति और एकांत की खोज में हमारे ऋषि मुनि वनों में रहते थे, वहां उन्होंने तत्व ज्ञान प्राप्त किया और वह विश्व कल्याण के उपाय भी सोचते, वही गुरुकुल होते थे| जिसमें भावी राजा, दार्शनिक, पंडित आदि शिक्षा ग्रहण करते थे|आयुर्वेद के अनुसार पेड़ पौधों की सहायता से मानव को स्वस्थ एवं दीर्घायु किया जा सकता है| तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ने तथा राष्ट्रों के ओद्योगिक विकास कार्यक्रमों के कारण पर्यावरण की समस्या गंभीर हो रही है| प्राकृतिक साधनों के अधिक और अधिक उपयोग से पर्यावरण बिगड़ता जा रहा है|वृक्षों की भारी तादाद में कटाई से जलवायु बदल रही है|ताप की मात्रा बढ़ती जा रही है, नदियों का जल दूषित होता जा रहा है, वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है, इसे भी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य को खतरा है|
वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है|पीपल के वृक्ष की पूजा करना, व्रत रखकर उसकी परिक्रमा करना एवं जल अर्पण करना और पीपल को काटना पाप करने के समान  है|यह धारणा वृक्षों की संपत्ति की रक्षा का भाव प्रकट करती है| प्रत्येक हिंदू के आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य में देखने को मिलता है| तुलसी पत्र का सेवन प्रसाद में आवश्यक माना गया है| बेल के वृक्ष, फल और बेलपत्र की महिमा इतनी है, कि वह शिवजी पर चढ़ाए जाते हैं| कदम वृक्ष को श्री कृष्ण का प्रिय पेड़ बताया है तथा अशोक के वृक्ष शुभ और मंगल दायक हैं| इन वृक्ष कीरक्षा हेतु कहते हैं कि-हरे वृक्षों को काटना पाप है, शाम  के समय किसी वृक्ष के पत्ते तोड़ना मना है वृक्ष सो जाते हैं |यह सब हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है| जिसमें वृक्षों को ईश्वर स्वरूप, वन को संपदा और वृक्षों को काटने वालों को अपराधी कहा जाता है|
वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती है, वृक्ष उन्हे ग्रहण कर, हमें बदले में स्वच्छ हवा देते हैं| आंखों की थकान दूर करने और तनाव से छुटकारा पाने के लिए विस्तृत वनों की हरियाली हमें शांति प्रदान कर आंखों की ज्योति को बढ़ाती है|वृक्ष बालक से लेकर बुजुर्गों तक सभी के मन को भाते है| इसलिए हम अपने घरों में छोटे छोटे से पौधे लगाते हैं|वृक्षों पर अनेक प्रकार के पक्षी अपना घोंसला बना कर रहते हैं और उनकी कल कल मधुर ध्वनि पर्यावरण में मधुरता घोलती है|वृक्षों से अनेक प्रकार के स्वाद भरे फल हमारे भोजन को रसमय और स्वादिष्ट बनाते हैं| इनकी छाल और जड़ों से दवाइयां बनाई जाती है|पशु वृक्षों से अपना भोजन ग्रहण करते हैं| इसलिए हमें अपनी धरती के आंचल को अधिक से अधिक हरा-भरा रखने के लिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए| यह वर्षा कराने में सहायक होते हैं| मानसूनी हवाओं को रोककर वर्षा कराना पेड़ों का ही काम है|वृक्षों के अभाव में वर्षा नहीं होती है और वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन नहीं हो पाता है| गृह कार्य में वृक्ष हमें सुखद छाया और मंद पवन देते हैं| सूखे वृक्ष  ईंधन के काम आते हैं| गृह निर्माण, गृह सज्जा, फर्नीचर, के लिए हमें वृक्षों से ही लकड़ी मिलती है| आमला, चमेली का तेल, गुलाब, केवड़े का इत्र, खस की खुशबू यह सभी वृक्षों और उनकी जडो से ही बनाए जाते हैं|
वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है| फलों को स्वयं वृक्ष नहीं खाता है| वह जितना अधिक फल फूलों से लदा    होगा उतना ही झुका हुआ रहता है| हम जब देखते हैं कि सूखा कटा हुआ पेड़ भी कुछ दिनों में हरा भरा हो जाता है जो जीवन में आशा का संचार का धैर्य और साहस का भाव भरता है| हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए|
वृक्षारोपण करके ही हम अपनी भावी पीढ़ी के लिए जीवन उत्तरदाई वातावरण सृजित कर सकते हैं| यदि आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया गया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन का होना संभव नहीं होगा|वृक्षों से ही जीवन संभव है, वृक्ष है तो सब कुछ है और यदि वृक्ष नहीं है, तो जीवन में कुछ भी नहीं है| इसलिए हम कह सकते है कि- वृक्ष हमारे सबसे अच्छे मित्र हैं .               आज हमने अपने शौक के लिए वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की हैं ,विकास के नाम पर गगन चुम्बी भवनों के लिए हम बेरहमी से हज़ारो वृक्षों को काट कर वहां की हरियाली छुपत कर देते हैं और उसके बाद खाना पूर्ती के लिए हम वृक्षारोपण करते हैं ,और उसके बाद उनकी देखरेख के अभाव में लगाए वृक्ष भी नष्ट हो जाते हैं.
आयुर्वेद के अनुसार संसार की प्रत्येक वस्तु औषधि हैं इसके अलावा कुछ नहीं .हम किसी वृक्ष ,पौधों के बारे में अनजान रहते हैं पर वह किसी न किसी रूप में औषधि का काम करती हैं .
इसकी शुरुआत कौन करेगा ?आज पर्यावरण पर जो संकट छाया हुआ हैं उसका कौन जिम्मेदार हैं ?हमने अपने स्वार्थ के पीछे /व्यापार के वास्ते /घरों के  साज सज्जा के लिए जो सामग्री बनवायी हैं क्या उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं .जिन वृक्षों को काटा उनके योगदान को हमने कैसे भुलाया ?
मध्य प्रदेश शासन  ने करोड़ों वृक्ष लगाए पर आज भौतिक रूप से कितने  अस्तित्व में हैं ?यदि हमको अपना भविष्य सुरक्षित रखना हैं तो हमें इस कार्यक्रम में ईमानदारी और पूरी निष्ठां रखनी होंगी अन्यथा ऐसे सप्ताह या वर्ष का कोई अर्थ नहीं होगा .
प्रकृति हम  सबकी हैं और इसका संरक्षण संवर्धन करना प्रत्येक का पूर्ण ईमानदारी से करना होगा अन्यथा इससे भी विकराल रूप के लिए हमें सावधान होना होगा और आगामी पीढ़ी किस आधार पर जिन्दा रहेंगी ?
वन के लिए बन जाओं उसके दोस्त
वन का विकल्प ढूंढो
वन न बचे और न रही बिजली
तो हमारा अंतिम संस्कार कैसे होगा
होगा
जमीन के अंदर दफना कर
फिर  — फिर नहीं कहना
हमारा धार्मिक अंतिम संस्कार
दूसरों के धर्म के अनुसार क्यों ?
बन जाओ वन के दोस्त अभी भी
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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