यूरिक एसिड में –अपथ्य/पथ्य – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से हाथ-पैर में जकड़न आने लगती है। यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है, दही का सेवन करना चाहिए या नहीं।यह जानना आवश्यक हैं
यूरिक एसिड भोजन के पाचन और शरीर की कोशिकाओं के टूटने की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से बनता है। कुछ खाद्य पदार्थों में प्यूरिन नामक प्राकृतिक तत्व होता है। जब शरीर प्यूरिन का पाचन करता है, तो यूरिक एसिड बनता है। किडनी खून में से अधिकतर यूरिक एसिड को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर भी निकाल देती है । लेकिन अगर यह
यूरिक एसिड अधिक मात्रा में बनने लगती है तो किडनी उसे हटा नहीं पाती है। ऐसे में खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है। अगर शरीर में बहुत ज्यादा यूरिक एसिड जमने लगे, तो इसे
हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है ।
खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से हाथ-पैर में जकड़न आने लगती है और उठने बैठने में दिक्कत होती है। उंगलियों में सूजन और असहनीय दर्द भी होता है। शरीर में यूरिक एसिड के बढ़े होने पर गठिया, संधिवात, गाउट आदि जैसी बीमारियां होती है। साथ ही साथ अगर जोड़ों में गांठ की शिकायत हो जाती है । यूरिक एसिड बढ़ने से ब्लड प्रेशर, थायराइड और मधुमेह जैसी बीमारियां होती है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
जब खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाए, तो यह क्रिस्टल की तरह बन जाता है। यह क्रिस्टल छोटे-छोटे टुकड़े के रूप में हड्डियों के बीच में जमा होने लगता है। इसके कारण सूजन बनने लगती है और हड्डियों में बहुत तेज दर्द होने लगता है। जब यूरिक एसिड अनियंत्रित होने लगे, तो दिल का दौरा, किडनी फेलियर और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में जीवनशैली और खानपान सबसे महत्वपूर्ण होते है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए प्रोटीन का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि प्रोटीन के अधिक सेवन से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ता है। दही में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जो यूरिक एसिड के लिए हानिकारक हो सकती है।
​ दोपहर के खाने के बाद दही खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। लेकिन जिनका यूरिक एसिड बढ़ा हुआ हो उन व्यक्तियों को दही का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। दही में मौजूद ट्रांस फैट यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ाने का काम करता है।
यूरिक एसिड में खट्टी चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार दही स्वाद में खट्टी होती है। इसका सेवन करने से यूरिक एसिड वाले मरीज़ों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार दही खाने से जोड़ों में सूजन आती है जो यूरिक एसिड में हानिकारक है। दही खाने का समय भी आयुर्वेद के अनुसार निश्चित है। दही रात को कभी भी नहीं खानी चाहिये। अगर दिन में दही खानी है तो शक़्कर मिला कर खाएं।
आयुर्वेदिक इलाज
1- ​पुनर्नवा काढ़ा- यूरिक एसिड बढ़ने पर आप पुनर्नवा का काढ़ा पिएं. ये एक जड़ी-बूटी है जो जोड़ों में सूजन की समस्या को कम करती है. यूरिक एसिड बढ़ने पर जोड़ों में सूजन आ जाती है, लेकिन पुनर्नवा टॉयलेट के जरिए विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने का काम करता है. इससे सूजन भी कम हो जाती है.
2- काली किशमिश(मुनक्का )- अगर आपको यूरिक एसिड की समस्या है तो काली किशमिश (मुनक्का)खाएं. काली किशमिश (मुनक्का)को गठिया और हड्डियों के घनत्व के लिए अच्छा माना जाता है. इसके लिए 10-15 काली किशमिश (मुनक्का)रात में पानी में भिगो दें सुबह पानी को पी लें और किशमिश (मुनक्का)को चबाकर खा लें.
3- ​गुग्गुल- हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए गुग्गुल का इस्तेमाल करें. गुग्गल कई तरह के होते हैं, जिन्हें मिलाकर आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं. इससे जोड़ों का दर्द और सूजन कम हो जाती है और यूरिक एसिड भी कंट्रोल हो जाता है.
4- सौंठ और हल्दी- यूरिक एसिड बढ़ने पर सौंठ और हल्दी पाउडर का इस्तेमाल करें. सौंठ यानि सूखी अदरक इन दोनों चीजों के सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है. पिसी सौंठ और हल्की को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें और दर्द वाली जगह पर लगाएं.
5- गुडुची- ये एक औषधि है जो यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. इससे शरीर में पित्त की मात्रा कम होती है और वात दोष भी कम होता है. इसके सेवन से ब्लड में यूरिक एसिड भी कम हो जाता है. जोड़ों की सूजन और दर्द से राहत पाने के लिए ये कारगर जड़ी-बूटी है.
यूरिक एसिड होने पर क्या क्या नहीं खाना चाहिए?
इस बीमारी में बीफ, लैंब पोर्क और बेकन और रेड मीट का खाने से भी बचना चाहिए क्योंकि, इसमें भी प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है. जो ब्लड में यूरिक एसिड को बढ़ा सकती हैं. इन सबके अलावा आइसक्रीम, सोडा और फास्ट फूड जैसे खाद्य पदार्थों को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए. इनसे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता
यूरिक एसिड के मरीजों को कुछ दाल खाने से परहेज करना चाहिए, जैसे मसूर की दाल, राजमा, चना और छोले. यूरिन की मात्रा अधिक होने की वजह से दर्द और सूजन की समस्या बढ़ सकती है. मूंग दाल का नियमित सेवन करने से यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है, वहीं हल्की होने की वजह से इसे पचाना भी आसानी होता है.
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
सी ५०४ कुंदन एस्टेट ,कांटे बस्ती ,पिम्पले सौदागर पुणे ४११०२७

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