परंपराएं-मर्यादाओं में भले ही भेद, पर ‘सबका मालिक एक’

सर्वधर्म सम्मेलन में धर्मगुरुओं ने कहा - मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

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औरंगाबाद (नरेंद्र कुमार अजमेरा पीयूष कासलीवाल ) –  स्वतंत्रता दिवस पर विविधताओं के बीच एकता का दृश्य था, ताे आज इसी औरंगाबाद की धरा पर विभिन्न धर्मगुरुओं ने धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की सलाह देते हुए ईश्वर, अल्लाह, जीसस, गुरु काे एक मानने का आह्वान किया. परंपराओं और मर्यादाओं में विविधता काे दरकिनार करते हुए मानव मात्र के बीच समानता स्थापित करने की काेशिश के तहत राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज ने मंगलवार काे सर्वधर्म संसद आहूत की थी.

हीराचंद कासलीवाल प्रांगण में अमृत महोत्सव के निमित्त मंगलवार काे आयाेजित सर्वधर्म महासम्मेलन में राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर के साथ ही लोकेश मुनि महाराज साहब, सिख समाज से परमजीत सिंह चंडोक, गोस्वामी सुशीलजी महाराज और जनाब इमाम अमेर अहमद इलियासी ने भी संदेश दिया.

सभी धर्मगुरुओं के साथ ही पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे, पूर्व महापाैर नंदकुमार घाेड़ेेले, पंचायत व चातुर्मास अध्यक्ष ललित पाटनी, कार्याध्यक्ष महावीर पाटनी, महामंत्री अशोक अजमेरा, चातुर्मास मंत्री प्रकाश अजमेरा, मध्यवर्ती कारागृह की अधीक्षक अरुणा मुक्कुटवार ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की. मंगलाचरण पीयू जैन विद्यालय की शिक्षिकाओं ने किया.

एक वाहे गुरु, एक वृषभ देव, राम और रहमान एक : आचार्य पुलक सागर

उनके नाम भले ही अलग-अलग हैं, पर भगवान एक हैं. जीवन की खाेज करने पर पता चलता है कि एक वाहे गुरु, एक वृषभ देव, राम और रहमान एक ही हैं. हर एक का सम्मान करना चाहिए. एक-दूसरे का सम्मान करेंगे ताे अपने आप ही बहुत सारे भेद मिट जाएंगे और एकता बनेगी.

मानवता काे मिलाना नानकदेव का संदेश : चंडोक

भारत काे स्वतंत्र करने में सिख समाज का बड़ा याेगदान है. गुरुनानक देवजी का हर संदेश मानवता की एकता के लिए है. इसी एकता और शांति के लिए विश्व आज प्रयास कर रहा है. आज सर्वधर्म सम्मेलन से शांति का ही संदेश जाना चाहिए. यही कार्य करने का हमारा प्रयास है.

हर धर्म दूसरे का आदर सिखाता है : सुशीलजी महाराज

अनादिकाल से संताें की भूमि भारत है. हर धर्म के संत दूसरे धर्म का आदर करना सिखाते हैं. इसीलिए हर एक काे सभी धर्माें का सम्मान करना चाहिए. सर्वधर्म महासम्मेलन की स्थापना सभी धर्माें के संताें काे एकत्रित करने के लिए 2006 में की गई. संस्था विश्व भर में कार्य करती है.

संताें का सम्मान करें : इमाम अमेर अहमद इलियासी

अस्सलाम वालेकुम का अर्थ है ईश्वर तुम्हे सलामत रखे और वालेकुम सलाम मतलब ईश्वर तुम्हें भी सलामत रखे. हम सभी संत इस मंच से यही संदेश देते हैं कि शांति रखें. संत केवल समाज के लिए जीते हैं. मैं दिगंबर मुनियाें से काफी प्रभावित हूं और वे जहां भी पैदल चलते दिखें, उनका ख्याल रखने की अपील करता हूं.

महावीर के विचार लाएंगे विश्व में शांति : लोकेश मुनि

भगवान महावीर के विचार आत्मसात करके ही विश्व में शांति हाे सकती है. जो व्यक्ति सरल, सुशील है, वाे सभी के आशीर्वाद के लिए पात्र है. जिसने क्रोध, द्वेष, मोह, माया और लाेभ पर विजय पा ली है, वही निर्वाण का अधिकारी है. सर्व धर्म मिलकर ही देश काे आगे ले जा सकते हैं.   नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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