कलयुग की ये कैसी बलिहारी है धर्म स्थल पर पाप और हत्याचार सब पर पड़ रहे भारी है
तीर्थ बचाओ धर्म बचाओ
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पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण धरती का स्वर्ग एक बार बंदे जो कोई ताहि नरक पशुपति नहीं होई ऐसे महान तीर्थ राज सम्मेद शिखर की बात है । तीर्थ स्थलों का कण-कण पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय होता है । तीर्थ स्थलों की पावन भूमि अनंतानंत जीवों के तप त्याग और साधना की रज से पवित्र होती है जिस जगह से करोड़ों जीवों ने संसार शरीर और भोगों को त्याग के तप त्याग और साधना के मार्ग को अपनाकर संसार बंधन से मुक्त हो मोक्ष को प्राप्त किया ऐसे स्थल को अपवित्र करना कितना घोर पाप का बंध का कार्य हो रहा है। तीर्थ स्थलों पर जन्मों जन्मों के पापो का नाश और पुण्य का संचय होता हैं । ऐसे तीर्थ स्थल पतित से पावन कंकर से शंकर नर से नारायण बनने के लिए होते है । आज के कलयुग में हमे केसे केसे नजारे देखने को मिल रहे है।अभी हाल ही में तीर्थराज सम्मेद शिखर जी में मरांग बुरु फाउंडेशन की बैठक हुई। इस बैठक में तीन दिवसीय सेंदरा पर्व 4 मई से लेकर 6 मई तक पार्श्वनाथ पर्वत पर मनाया जाएगा। ये जानकारी सोशल मीडिया पर आ रही है। ये सब कई सालो से चल रहा है। समिति अध्यक्ष रामलाल मुर्मू ने बताया कि 4 मई की देर रात लोग तीरधनुष कुल्हाड़ी फरसा बीजर लाठीडंडा लेकर पारसनाथ पर्वत पर चढ़ेगे, 5 मई को पर्वत के चारों तरफ जंगलों का भ्रमण कर जानवरों का शिकार करेंगे जंगली जानवरों के शिकार का अंश ( मांस ) पूरे समाज में वितरित किया जायेगा, इसके बाद कार्यक्रम का समापन होगा ।अहिंसा के पवित्र पावन स्थान पर हिंसा का घोर तांडव नृत्य हो रहा है संपूर्ण भारत का जैन समाज देख रहा है ये प्रकृति में विकृति का बहुत बड़ा कारण बनता है। जब जब मानव ने प्रकृति के आयामों के साथ खिलवाड़ किया है तब तब प्रकृति में विकृति आई हैं। हमे प्रकृति में संस्कृति का शंखनाद करना चाहिए।प्रकृति में विकृति का सबसे बड़ा रूप कोरोना अभी गया नहीं है अपितु चल रहा है। पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय पवित्र पावन स्थल को अपवित्र किया जा रहा है । ये संपूर्ण भारत वर्ष की जैन समाज के लिए बेहद दुखद शर्मनाक कलंकित घटना होगी। कलयुग की ये कैसी बलिहारी है पाप और हत्याचार सब धर्म स्थल पर पड़ रहे भारी है। जैन समाज के जितने भी जितने भी तीर्थ क्षेत्र अतिशय क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र है उनकी पवित्र पावनता शुद्धता ज्यो की त्यों बनी रहनी चाहिए। ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। तीर्थों को पर्यटन स्थल नहीं अपितु जैन तीर्थ घोषित करना चाहिए।
मैं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार शासन प्रशासन और जैन समाज की बड़ी बड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि मंडल से आत्मीय निवेदन करता हूं कि इस विषय को गंभीरता से लेवे। और तीर्थ स्थलों की पवित्रता बनाए रखे।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा
9414764980