जिनके जीवन का हिसाब किताब गड़बड़ होता है, वो मौत और परमात्मा से डरते हैं -अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज

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जिनके जीवन का हिसाब किताब गड़बड़ होता है, वो मौत और परमात्मा से डरते हैं। अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज औरंगाबाद नरेंद्र /पियूष जैन। साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का विहार महाराष्ट्र के ऊदगाव की ओर चल रहा है विहार के दौरान भक्त को कहाँ की

शतरंज में वज़ीर और जिंन्दगी में ज़मीर … अगर मर जाये तो समझिये खेल ख़त्म..! इस धरती पर परमात्मा की सबसे सुन्दर कृति मनुष्य है। इस सृष्टि का मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य अपने जीवन को सजाने, संवारने और बनाने के लिये रोज नये-नये प्रयोग और नवाचार करता रहता है। मनुष्य अपने संसार की उधेड़ बुन में 23 घंटे लगाये कोई परेशानी नहीं, लेकिन 1 घंटा आध्यात्मिक जीवन को संवारने सजाने में निकालना चाहिए। आध्यात्मिक विकास से ही हम अपने जीवन की आलौकिक शक्तियों को जान पहचान सकते हैं। आत्मा की शक्ति अनंत है, जिसे तलवार काट नहीं सकती, अग्नि जला नहीं सकती, धूप सूखा नहीं सकती, हवा उड़ा नहीं सकती। आत्मा अजर अमर अविनाशी है। आचार्यों ने कहा है- नमे मृत्यु कुटुर भीतिर । जब आत्मा मरती ही नहीं है तो फिर तुम डरते क्यों हो मौत से…?

हमारा स्वार्थ, मोह और लोभ हमें मौत से डराता है । जैसे दो नंबर का काम करने वाले व्यापारी इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स अफसर से डरते हैं। उसी प्रकार जिनके जीवन का हिसाब किताब गड़बड़ होता है, वो मौत और परमात्मा से डरते हैं। हमारी आत्मा ने कभी भी पाप कार्य को पुण्य कर्म नहीं कहा। गलत कार्य को सही नहीं कहा। ये अलग बात है- हम अपने लोभ और स्वार्थ के कारण चेतना की अवाज को अनसुना कर दें, लेकिन भीतर से जो आवाज आती है वो एकदम सही आती है। जो लोग चेतना की आवाज को सुनते हैं, चिन्तन करते हैं, दृढ़तापूर्वक अपने कार्य और कर्तव्य के प्रति अग्रसर हो जाते हैं, वे अपने अतीत को भूलकर आगे बढ़ने लगते हैं और अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर लेते हैं…!!!

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