- जन्माभिषेक का निकला भव्य जुलुस,जन्माभिषेक देखने उमड़े श्रद्धालु
- राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ सहित राजनैतिक लोग भी हुए शामिल
- आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक : मुनि श्री सुप्रभ सागर
ललितपुर । आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रणातसागर जी महाराज , मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज के सान्निध्य में मड़ावरा विकासखंड में स्थित अतिशय क्षेत्र कारीटोरन में मुनिसंघ के सान्निध्य में बुधवार को पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान का जन्म कल्याणक श्रद्धा-आस्था पूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम पात्र शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा एवं नित्यमह पूजन की गई। जैसे ही आज प्रातः प्रतिष्ठाचार्य ने यह घोषणा की कि तीर्थंकर बालक का जन्म हो गया है, श्रद्धालुओं में अपार खुशी छा गयी और श्रद्धालु भावी तीर्थंकर भगवान के जन्म की खुशियां बांटने लगे। जन्म की बधाईयां हुई इस पर श्रद्धालु थिरकते दिखाई दिए। जन्म होते ही मिठाईयां बाटी गयीं, गगन भेदी नगाड़ो को बजाते हुए मंगल गान गाये गए।
मुनिश्री का पाद प्रक्षालन व शास्त्र भेंट श्रेष्ठियों द्वारा किया गया। दोपहर में तीर्थंकर बालक का जन्माभिषेक जुलुस निकाला गया। पाण्डुक शिला तक बालक तीर्थकर का भव्य जुलूस निकाला गया.
तीर्थंकर बालक लेकर सौधर्म इंद्र ने पांडुक शिला पर ले जाकर अभिषेक कराया। इंद्राणी द्वारा तीर्थंकर बालक का प्रथम दर्शन एवं इंद्र द्वारा सहस्र नेत्रों द्वारा दर्शन के सुंदर मनोरम प्रेरणादायी दृश्यों का मंचन पंचकल्याणक के पात्रों द्वारा किया गया जिसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गए। तांडव नृत्य देख दर्शक ताली बजाने के लिए मजबूर हो गए। संगीतमय महाआरती एवं शास्त्र प्रवचन का आयोजन भी किया गया। तीर्थंकर बालक का पालना झुलाने भी खूब उत्साह देखा गया।
इस मौके पर राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ, जिला पंचायत अध्यक्ष कैलाश निरंजन , भाजपा जिलाध्यक्ष राजकुमार जैन चूना , रजऊ राजा आदि लोग प्रमुख रूप से शामिल रहे।
इस दौरान मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि भावी तीर्थंकर जो आज बालक रूप में जन्मा है , उसके जन्म पर प्रतिदिन करोड़ों रत्नों की बर्षा देव करते हैं। लेकिन तीर्थंकर के लिए तो यह सब माया है। जो बालक इन रत्नों पर पैर रखकर चलने वाला है वह रत्नत्रय को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि बचपन में डाले गए संस्कार जीवन भर साथ देते हैं। ऐसे संस्कार डालो जिससे आपका नाम रोशन करे। अपने बच्चे में अच्छे संस्कार का बीजारोपड़ करने के लिए आपको भी एक अच्छा इंसान बनना होगा। जिससे आपका बच्चा आपको ही अपना मार्गदर्शक और आदर्श मान सके। जो जन्म, मरण को भी मार देता है ऐसा जन्म तीर्थंकर भगवान का होता है। तीनों लोकों का सबसे पुण्यात्माजीव होता है तीर्थंकर भगवान।
पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैन समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण नैमित्तिक महोत्सव है। यह आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है। पौराणिक पुरुषों के जीवन का संदेश घर-घर पहुँचाने के लिए इन महोत्सवों में पात्रों का अवलम्बन लेकर सक्षम जीवन यात्रा को रेखांकित किया जाता है।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।