डाक्टर एम.एल.जैन “मणी”अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ होम्योपैथ जयपुर राजस्थान
फागी संवाददाता
सोराइसिस एक बहुत कामन,क्रोनिक एवं छूत की बीमारी नहीं है,यह चर्म रोग है,इस रोग को कई बार पहचानने में भी चिकित्सकों तक से भूल हो जाती है।यह हटीले प्रकृति का रोग है।इस चर्म रोग में चमडी पर कुछ उभरे हुये ललाई वाले मेक्यूल्स हो जाते हैं जो चांदी की तरह चमकीले व कभी कभी पूरे शरीर में हो जाते हैं।यह बीमारी संसार में सभी जगह पायी जाती है।यह एक क्रोनिक बीमारी है।इस बीमारी का प्रभाव सर्दी में ज्यादा होता है,गर्मी में कम,किन्तु पसीने से यह बढती है।बरसात भी बीमारी को बढा देती है।यह दाद से मिलती झुलती है। इस बीमारी के वास्तविक कारणों का पता नहीं है,पर फिर भी इसके संभावित कारण ये हो सकते हैं: (1) मानसिक तनाव या दबाव ,(2) चिन्ता फिकर, (3) दिमागी चोट ,(4) लम्बा बुखार,(5) शारीरिक चोट,(6) पाचनतंत्र बिगडना आदि ,डायबिटीज व असंमित खानपान इस बीमारी को बहुत जल्दी पकड लेता है। इस बीमारी के ठीक नहीं होने पर अनेक रोग खडे होकर जाते हैं जैसे हृदय,लीवर,गुर्दे आदि के रोग ,ओस्टियोपोरोसिस, गठिया आदि। इस बीमारी में सूखी चमडी पर पपडी दानेदार हो जाती है व ललाई पर चांदीसी दिखाई देती है,खुजली अत्यधिक होती है,रोगी खुजाते खुजाते खून तक निकाल लेता है।जननांगो में भी यह कईबार फैल जाती है।ऐसे में रोगी को डायबिटीज, चीनी व नमक पर नियंत्रण रखना चाहिए व योग्य क्वालीफाईड चिकित्सक से परामर्श व चिकित्सा लेना चाहिए। इस बीमारी की चिकित्सा के लिए मरीज को बहुत धर्य रखना चाहिए। जल्दीबाजी में केस बिगड सकता है। इस बीमारी का ऐलोपैथी व आयुर्वेद में कोई ठोस इलाज नहीं है,पर होम्योपैथी में इसका पूर्ण इलाज है,यदि मरीज धर्य रखकर चिकित्सक के अनुसार दवा ले तो पूर्ण ठीक हो सकता है। लेखक ने इस बीमारी के 30-40साल से सफर कर रहे मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह छूत की बीमारी नहीं है,पर फिर भी रोगी को अपने वस्ञ आदि साफ पहनने चाहिए।इस बीमारी का इलाज रोगी के लक्षणों के आधार पर किया जाता है,इसमें होम्योपैथिक दवा सोरिनम, आर्सेनिक, ग्रेफाइटिस,आर्स आयोड ,सीपिया, कलकेरिया सल्फ, काली आर्स,मेजेरियम, पेट्रोलियम, सल्फर दवाईयां कारगर हैं जो चिकित्सक के परामर्श से ही लेनी चाहिए।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान