भारत रत्न और नोबल पुरूस्कार से सम्मानित श्री नेल्सन मंडेला की १०५ वी जन्म तिथि के अवसर पर ऐसे महान संघर्षशील गांधीवादी नेता के जन्म दिवस पर कोटि कोटि बधाई.
नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस प्रति वर्ष 18 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र द्वारा शान्ति के लिये नोबल पुरस्कार विजेता पूर्व दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के जन्म दिवस की यादगार के रूप में मनाया जाता है। इसका निर्णय 18 जुलाई 2010 को, जब मंडेला 92 वर्ष के हुए तब से प्रति वर्ष मनाने के लिये लिया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अली ट्रेकी ने बताया कि यह निर्णय एक ऐसे महान व्यक्ति को सम्मानित करने के लिये लिया गया जिसने आम लोगों की भलाई के लिये न सिर्फ़ काम किया अपितु उसकी कीमत भी चुकायी। मंडेला ने अपने जीवन की सबसे ज्यादा उम्र (२७ साल) क़ैद में बितायी। क़ैद के दौरान वे अधिकांश समय केप टाउन के किनारे बसे कुख्यात रॉबेन द्वीप बन्दीगृह में रहे। उनके ९१ वें जन्म दिवस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था – “मंडेला संयुक्त राष्ट्र में उच्च आदर्शों के प्रतीक हैं। मंडेला को यह सम्मान शान्ति स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिये किये गये उनके सतत प्रयासों के लिये दिया जा रहा है।”
मंडेला जी का जन्म मबासा नदी के किनारे ट्राँस्की के मवेजों गाँव में 18 जुलाई, 1918 को जन्म हुआ था. इनकी माता का नाम नोमजामो विनी मेडीकिजाला और पिता का नाम गेडला हेनरी था.इनका पूरा नाम नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला था .मंडेला जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की थी.मंडेला अपने परिवार के पहले सदस्य थे जो स्कूल गये थे.इन्होंनें अपनी स्नातक शिक्षा हेल्डटाउन में हुई थी ‘हेल्डटाउन’ अश्वेतों के लिए बनाया गया विशेष कॉलेज था.इसी कॉलेज में मंडेला की मुलाकात ‘ऑलिवर टाम्बो’ से हुई
मंडेला जी ने 1940 तक ऑलिवर के साथ कॉलेज कैंपस में अपने राजनैतिक विचारों और क्रियाकलापों से लोकप्रियता अर्जित कर ली थी.इससे परेशान होकर इनके परिवार वालों ने इनकी शादी करनी चाही लेकिन ये घर छोडकर जोहान्सबर्ग चले गये.मंंडेला जी ने अपने जीवन में तीन शादीयॉ की थी जिसने उनकी छ: संतानें हैं.जोहान्सबर्ग में ही उलकी मुलाकात ‘वाटर सिसलु’ और ‘वाटर एल्बरटाइन’ से हुई .इन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर वर्ष 1944 में ‘अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग’ का गठन किया.सन 1947 में मंडेला इस संगठन के सचिव चुन लिये गए और रंगभेद के खिलाफ आन्दोलन चलाया.अफ्रिकन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष और नेल्सन के साथ पूरे देश से रंगभेद का आंदोलन का समर्थन करने वाले 156 नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया.वर्ष 1951 में नेल्सन को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया
मंडेला जी ने 1952 में कानूनी लङाई लङने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की इसके बाद मंडेला जी को 5 अगस्त 1962 को मजदूरों को हडताल के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हेें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी.मंंडेला जी ने अपने जीवन के 27 बर्ष जेल में गुुजारे थे.मंडेला जी को 11 फरवरी 1990 को रिहा कर दिया गया था
इसके बाद वर्ष 1944 में दक्षिण अफ्रीका में चुनाव हुआ और 10 मई 1994 को मंडेला जी देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने थे मंडेला जी की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को फैंफडों के सक्रमण के कारण हॉटन, जाेहान्सबर्ग में हो गई थी.वर्ष 1993 में ‘नेल्सन मंडेला’ और ‘डी क्लार्क’ दोनो को संयुक्त रूप से शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. वर्ष 1990 में भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया
नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे. रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण उन्होंने 27 वर्ष जेल में बिताए थे. मंडेला कहते थे कि मैं 27 सालों की लंबी छुट्टी पर गया था. उनका मानना था कि दृढ़ता, जिद्द और विश्वास से हम अपने हर सपने को पूरा कर सकते हैं.
उनके प्रेरणादायक विचार.
1. जब तक काम किया ना जाए वो असंभव ही लगता है.
2. जब आप कुछ करने की ठान लेते हैं तो आप किसी भी चीज पर काबू पा सकते हैं.
3. अगर आप अपने काम के लिए समर्पित और उत्साही हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी.
4. एक ऊंची पहाड़ी चढ़ने के बाद आपको हमेशा दूसरी पहाड़ियां फतह करने के लिए दिखनी चाहिए.
5. मेरी सफलता को देखकर कोई राय मत बनाइए. आप देखिए कि मैं कितनी बार गिरा हूं और फिर दोबारा कैसे अपने पैरों पर खड़ा हुआ हूं.
6. शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुनिया को बदलने के लिए किया जा सकता है.
7. मनुष्य की अच्छाई ज्योति के समान है, जिसे छुपाया तो जा सकता है लेकिन बुझाया नहीं जा सकता.
8. पैसों से सफलता नहीं मिलती. पैसे कमाने की स्वतंत्रता से सफलता मिलती है.
9. हमें समय का उपयोग बुद्धिमानी से करना चाहिए और इस बात को याद रखना चाहिए कि कोई भी काम करने का कोई गलत समय नहीं होता. समय पर सब काम कर देना चाहिए.
10. मुसीबतें किसी को तोड़ती हैं तो किसी को मजबूत भी बनाती हैं. कोई भी कुल्हाड़ी इतनी तेज नहीं होती कि वो लगातार प्रयास करने वाले के हौसले को तोड़ सके.
आज पूरा विश्व महात्मा गाँधी के बलिदान और सिद्धांतों की महिमा जाती हैं ,वहीँ हमारे देश में उनके हत्यारे को महिमा मंडित किया जा रहा हैं .क्या देश के लिए दुर्भाग्य नहीं कहलायेगा ?.इस पर पुर्नविचार की जरुरत हैं ,
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन ,संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
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