श्री सत्य साई सेवा समिति द्वारा स्वास्थ्य परिक्षण शिविर आयोजित

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ललितपुर। आज श्री सत्य साई सेवा समिति ललितपुर के तत्वाधान में स्थानीय सिंचाई विभाग कॉलोनी के अंतर्गत विश्वेश्वरैया हाल के पास गोविंद सागर बांध की तलहटी में स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के अंतर्गत 200 से अधिक लोगों ने अपने स्वास्थ्य का परीक्षण कराया। इस स्वास्थ्य परीक्षण शिविर के अंतर्गत लोगों का ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, एवं अन्य परीक्षण डॉ लाल पैथोलॉजी के माध्यम से मनीष पटवारी लैब टेक्नीशियन के नेतृत्व में किए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ अधिशासी अभियंता भूपेश कुमार सुहेरा, एवं अधिशासी अभियंता भागीरथ जी के मुख्य अतिथ्य एवं सहायक अभियंता नवाब सिंह एवं स्वामी अनुराग अमर के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
श्री सत्य साई सेवा समिति के वरिष्ठ सहयोगी एवं श्री वर्णी जैन इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अशोक कुमार श्रीवास्तव ने कहा श्री सत्य साई बाबा जी ने अपने जीवन में सेवा को सर्वाधिक महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि बाबा ने मानव सेवा को माधव सेवा बताया है। उन्होंने कहा आज का स्वास्थ्य शिविर लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हो ऐसी हमारी भगवान से कामना है। अधिशासी अभियंता भूपेश कुमार सुहेरा ने कहा शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी अत्यंत आवश्यक है, उन्होंने कहा हमें मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए प्रयास करने की अत्यंत आवश्यकता है। जिला अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा स्वामी के मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से श्री सत्य साई सेवा समिति ललितपुर सेवा के कार्यों में लगातार संलग्न है, उन्होंने कहा कि स्वामी ने कहा है कि सेवा के माध्यम से हम अपनी आत्मा की शुद्धी एवं विकास का कार्य करते हैं, इसलिए हमें सेवा करने पर किसी प्रकार का दिखावा करने की आवश्यकता नहीं है।

 इस अवसर पर बुंदेलखंड सेवा प्रमुख हरीश कपूर टीटू, कौमी एकता समिति के परवेज पठान, नामदेव समाज के अध्यक्ष दीपक नामदेव, साहू समाज के अध्यक्ष ध्रुव साह, कायस्थ सभा के मंत्री संजय श्रीवास्तव, सिंचाई विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अध्यक्ष आनंद रजक, अधिवक्ता राजेश देवरिया, विजय श्रीवास्तव धर्मराज यादव, भारत लाल सेन, महेंद्र कुमार, प्रमोद झा, नंदू शर्मा , अखिलेश झा, रीतेश प्रजापति, भरत रावत, जगदीश पाराशर, रामबाब, अंगद रजक, आदि ने प्रमुख रूप से प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा आचार्य जी ने किया।

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