श्रेष्ठ कार्य की जिम्मेदारी बोझ नही प्रभु प्रदत्त उपकार समझ ग्रहण करें :- आर्यिका श्री वर्धस्व नंदनी

0
54

तिजारा में आर्ट ऑफ थिंकिंग के माध्यम से सिखाई जा रही जीवन जीने की कला
चन्द्रप्रभु अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा में वर्षायोग रत जैनाचार्य वसुनंदी महाराज की सुशिष्या आर्यिका वर्धस्व नंदनी माताजी ने आर्ट ऑफ थिंकिंग विषय को आगे बढ़ाते हुए श्रावकों से कहा कि इस संसार में कोई किसी का कर्त्ता नहीं है और वह स्वयं भी किसी का कर्त्ता नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति निमित्त तो बनता है किंतु यदि वह यह सोचता है कि वह किसी कार्य का कर्त्ता है तो वह भ्रम में है। अपने-अपने कर्मों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति फलों को प्राप्त करता है। अन्य जीव उसमें निमित्र मात्र होते हैं ।
आर्यिका माताजी ने कहा कि यदि आपके माध्यम से कोई श्रेष्ठ कार्य हो तो कभी अहंकार के शिखर पर मत चढ़ना, बल्कि उस श्रेष्ठ कार्य का श्रेय अपने परमात्मा को देना। उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना कि आप किसी अच्छे कार्य में निमित्त बन सके,उन्होंने यह श्रेष्ठ कार्य करने के लिए आपका चयन किया। आपको जो जिम्मेदारी मिली है उसे बोझ नही अपितु प्रभु प्रदत्त उपकार मान ग्रहण करना यही जीवन की सत्यता है। किंतु वर्तमान में गुणगान ,यशगान के फेर में ही व्यक्ति उलझ कर रह जाता है।
उन्होने कहा कि यदि आपके साथ कुछ बुरा हो तो विचार करना कि अपने पाप कर्म के उदय के कारण ही हमें दुख मिला है सामने वाला तो निमित्त मात्र है आपकी सोच आपको हर परिस्थिति में समान रूप से स्थिर रख सकती है।
प्रेषक:- संजय जैन बड़जात्या कामां

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here