हम सब यह क्यों भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं और इंसानों से गलतियाँ हो जाना स्वाभाविक है। ये गलतियाँ या तो हमसे हमारी परिस्थितियाँ करवाती हैं या अज्ञानतावश हो जाती हैं। तो ऐसी गलतियों पर न हमें दूसरों को सजा देने का हक है, न स्वयं को। यदि आपको संतुष्टि के लिए कुछ देना है तो दीजिए ‘क्षमा’। क्षमा का अर्थ है किसी के द्वारा किये गये अपराध या गलती पर स्वेच्छा से उसके प्रति भेदभाव और क्रोध को समाप्त कर देना। क्षमा को धारण करने वाला समस्त जीवों के प्रति मैत्रीभाव को दर्शाता है। मांगने से अहंकार खत्म होता है, जबकि क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। जिसके पास क्षमा का गुण है, वे हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और उसके शत्रु भी नहीं होते हैं।
जिसके पास क्षमा का गुण है, वे हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और उसके शत्रु भी नहीं होते हैं।
यदि आपको संतुष्टि के लिए कुछ देना है तो दीजिए ‘क्षमा’। शास्त्रों पुराणों में कहा गया है कि क्षमा वीरो का आभूषण है। उत्तम क्षमा सबसे क्षमा सबको क्षमा। कहा भी गया है कि भूल होना प्रकृति है
मान लेना संस्कृति है
सुधार लेना प्रगति है
और क्षमा माँग लेना स्वीकृति है.!
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