शाहगढ़ में बुंदेलखंड तीर्थक्षेत्र ,मंदिर कमेटियों का अधिवेशन हुआ संपन्न

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शाहगढ़। मंदिरों का संरक्षण ही संस्कृति का संरक्षण है, इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर बुंदेलखंड तीर्थ क्षेत्र कमेटी एवं   मंदिर कमेटियों का अधिवेशन शाहगढ़ के बड़ा मंदिर परिसर में संपन्न हुआ, अधिवेशन में सान्निध्य प्रदान कर रहे जनसंत, उपाध्याय श्री विरंजन सागर महाराज जी ने कहा कि जब समाज आगे नहीं आती तो गुरुओं को इस विषय को लेकर आना पड़ा, मंदिर, तीर्थ हमारी आस्था विश्वास के केंद्र हैं इनका संरक्षण बहुत जरूरी है, जब-जब हमारी संस्कृति पर कुठाराघात  हुआ तो साधु संत ही उसे बचबे आगे आए हैं, जनसंत  ने कहा कि औरंगजेब ने  मंदिर तोड़े तो भक्त लोग तुरंत आगे आए और मंदिर तैयार कर दिए, यही वजह है कि भूगर्भ में हजारों साल पुरानी प्रतिमाओं सहित मंदिर खुदाई में निरंतर मिल रहे हैं , वर्तमान में प्राचीनता को खत्म  के करके,  नई प्रतिमाओं को रखना शुरू कर दिया है, प्राचीन मंदिरों में सोने चांदी का नहीं वीतरागता का काम होता था, जनसंत ने कहा कि वर्तमान सोने चांदी की प्रतिमाएं मंदिर बना दिए  तो चोरियां तो होगी ही, सुरक्षा  के लिए मंदिर की कमेटियों का ही अधिकार समझ लिया  और बाहर के उपकार करना बंद कर दिए, मंदिर में बड़ी प्रतिमा होगी तो कभी चोरी नहीं हो सकती, पहले स्कूल, औषधालय खोलकर उपकार किए जाते थे।
 आज संस्कृति का पलायन नहीं रुका तो बहुत बड़ी समस्या आ जायेगी। जनसंत  ने कहा कि मंदिरों का संरक्षण मात्र  सीसीटीवी कैमरे, चौकीदार रखने से नहीं होगा, हमें दिखावा कम करना होगा, हर क्षेत्र में एक उपकार का केंद्र अवश्य खोलें, शाहगढ़ में सात मंदिर हैं लेकिन स्कूल, औषधालय और धर्मशाला तक नहीं है ,जब गांव के लोगों का उपकार होगा तो वह समाज का उपकार कार्य करेंगे, तीर्थ क्षेत्र मंदिरों का संरक्षण करने के लिए पहले उपकार केंद्र स्थापित करना होगा ,मंदिरों में सोने चांदी का प्रदर्शन कम करें  मंदिर में वीतरागता को बनाएं,तो चोरी होने का डर नहीं रहेगा।
तीर्थ,मंदिर हमारी संस्कृति की धरोहर हैं, बड़ी कमेटियां गांव के छोटे  मंदिरों का संरक्षण करें सहयोग करें, पांच लोगों की कमेटियां गठित भी करें , आपस की वेमानस्यता ही स्वयं का घात कर रही है, साधुओं में भेदभाव नहीं करें उनके आहार ,विहार,और विश्राम की व्यवस्था करें, पंथवाद,संतवाद ,जातिवाद को छोड़ने का संकल्प करें।
अधिवेशन में तीर्थों और मंदिरों के सैकड़ों पदाधिकारी , सदस्य उपस्थित रहे।
  अधिवेशन में मुख्य वक्ता के रूप में नवागढ़ तीर्थक्षेत्र के निदेशक बाल ब्रह्मचारी प्रतिष्ठाचार्य जय निशांत जी ने कहा कि  समस्या हमारी और समाधान हमारा है, हमें अपने क्षेत्र का संरक्षण स्वयं को करना होगा, एकल परिवार और गांव से शहर की ओर पलायन करना भी मंदिरों के संरक्षण में हमारी कमी बनती जा रही है, साधुओं के विहार में श्रावकों का नहीं होना ही घटनाओं को बढ़ावा देना है, टैक्स देते हैं लेकिन राजनीति में प्रतिनिधित्व की कमी आ गई है, खुद को जैन लिखना शुरू करें और बच्चों को कान्वेंट स्कूल में नहीं संस्कृति युक्त स्कूल में  पढ़ाई करावे तभी तो संस्कार बच्चों में आएंगे। वक्ता के रूप में इंद्र कुमार , अशोक कुमार ,विनोद ,अशोक पड़वा, वीर चंद नेकौरा,डॉ राकेश मडावरा ,कमल डेवडिया ने भी अपने विचार रखे। मंगलाचरण अजय  जैन ने किया ।पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट संजय, अजय, राजेश कुबेर परिवार पथरिया, विरागोदय तीर्थ कमेटी पथरिया, सनत कुटोरा, प्रतिभा बड़ागांव, वीरेंद्र निमानी, कपूर चंद गौना, हुकमचंद, देवेंद्र घुवारा, राजश्री पात्र हाउस, पंकज बक्सवाहा को सौभाग्य मिला। तीर्थ क्षेत्र नैनागिर, सादपुर ,शाहगढ़ में होने वाले पंच कल्याणक महोत्सव में  मंगल सानिध्य हेतु सभी कमेटियों ने श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया, वही बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी कमेटियों के पदाधिकारी द्वारा मंदिरों का संरक्षण करने और साधु-संतों की व्यवस्थाओं में अपनी सहभागिता रखने का संकल्प लिया। आभार चातुर्मास समिति ने किया।
-डॉ सुनील संचय, प्रकाश अदावन

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