भीलवाड़ा, 4 अगस्त- भगवान की वीतराग वाणी आत्मा के प्रत्येक प्रदेश के अनंत रोगों को दूर कर भगवान बना देती। महावीर के बाद गौतम गणधर ने कुंदकुंद स्वामी ने आत्मा का ज्ञान परोसा। आचार्य श्री सुंदर सागर जी महाराज हाउसिंग बोर्ड शास्त्री नगर स्थित सुपार्श्व उधान में धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। मिथ्यात्व छोड़कर सम्यक को ग्रहण करो। भाव सुधारो परिणाम श्रद्धा व चरित्र सुधरेगा, जो आपका गुणस्थान निर्धारित करेगा। किसी निर्ग्रन्थ साधु को देखने से समझो वीतराग कंपनी आ गई। अपने दोनों हाथ जोड़ने पर नमो लोये साहुण॓ में श्रद्धा प्रकट होगी। संतों की वाणी सुनकर अपने मोक्ष मार्ग प्रशस्त करो ।
इस अवसर पर आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने कहा कि जिन वचन औषधि है। संतों के पास अपने मिथ्यात्व कुतर्कों का घड़ा खाली करके आना, तभी सम्यक ज्ञान होगा। जिनवाणी उन जीवों के लिए है जो इसका मूल्य समझते हैं। ज्ञानी के पास ज्ञानी बनकर मत जाओ, अज्ञानी बनकर जाओ। वचनों को सुनो, चिंतन करो तभी ज्ञानी बनोगे ।
धर्मनिष्ठ श्रेष्ठि दिनेश सेठिया ने विमल सन्मति वर्षा योग कलश स्थापना का अवसर प्राप्त करने पर चातुर्मास कमेटी ने इनका पगड़ी, दुपट्टा पहनाकर भाव भिना सम्मान किया।
अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि प्रारंभ में चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन , पादक्षालन, शास्त्र भेंट, मंगलाचरण श्रेष्ठीगणों द्वारा किया गया।
अनिल जैन ने अपनी ओर से विनयाजलि प्रस्तुत की। संचालन पदमचंद काल ने किया।
प्रकाशनार्थ हेतु। प्रकाश पाटनी
भीलवाड़ा।