संत सुरक्षित तभी श्रमण संस्कृति सुरक्षित

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डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
इन दिनों परम पूज्य आचार्य कामकुमारनंदी जी की  जघन्य हत्त्या कांड के बाद देश भर में आंदोलन का माहौल है और जगह जगह समाज के द्वारा शासन – प्रशासन को ज्ञापन दिये जा रहे हैं, 20 जुलाई 2023 को देशव्यापी बंद का आयोजन भी किया गया। इस घटना से सभी को झकझोर दिया है, पूरे देश की समाज आंदोलित और उद्वेलित है। समाज में भारी गुस्सा, आक्रोश नजर आया है, अनेक स्थानों के जैनेतर संतों और समाज के साथ देने के भी समाचार आ रहे हैं।
शर्मनाक और घिनोनी हरकत :
कर्नाटक के बेलगावी जिले में  चिकोड़ी तालुक में नंदी पर्वत पर स्थित जैन तीर्थ पर विराजमान परम पूज्य जैन आचार्य  श्री कामकुमार नंदी जी महाराज  की दिनांक 5 जुलाई 2023 को निर्मम हत्या कर हत्यारों ने मृत शरीर के टुकड़े – टुकड़े कर बोर वेल में डाल दिये, जिससे सम्पूर्ण भारत ही नहीं विश्व के जैन समाज में दुख व रोष व्याप्त है। यह एक कायराना कृत्य है,जिसकी जितनी निंदा की जाये,कम है। उन्हें करन्ट लगाकर यातनाएं दी और फिर क्रूरतापूर्वक उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर बर्बरता की सारी सीमाऐं लाँघ दी। इससे अधिक शर्मनाक और घिनोनी हरकत क्या होगी …जानकर मन बड़ा बैचेन, दुःखी है। स्वतन्त्र भारत के इतिहास में इस जघन्य हत्याकाण्ड ने कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास पर एक काला धब्बा लगा दिया है। आजाद भारत में शायद 76 साल के इतिहास में, किसी भी धर्म के साधु की इतनी वीभत्स, नृशंस हत्या नहीं की गई होगी, जैसी जैन दिगंबर आचार्य श्री काम कुमार नंदी  जी की गई। सुनकर और चित्र-वीडियो देखकर ही मन सिहर उठता है।
बहुभाषाविद :
आचार्य श्री कामकुमार नंदी जी महाराज का जन्म 6 जून 1967 को ग्राम खवटकोप्प जिला बेलगाँव कर्नाटक में पिता भीमप्पा, माता रत्नवा के यहाँ हुआ था। वे गृहस्थ जीवन में पांच भाई और तीन बहिनें थे।  आचार्य श्री कुंथुसागर जी से सम्मेदशिखर जी में मुनि दीक्षा ग्रहण की थी। आपके दीक्षा गुरु जहाँ आचार्य कुंथुसागर जी थे वहीं शिक्षागुरु आचार्य श्री विद्यानंदी जी महाराज व आचार्य श्री कनकनन्दी जी महाराज रहे हैं। आचार्य कामकुमार नंदी जी महाराज को कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत, मराठी, ब्राम्ही लिपि का अच्छा ज्ञान था। आपके बड़ौत, सहारनपुर, कुंद कुंद भारती दिल्ली, शामली, देहरादून आदि में प्रभावक चातुर्मास हुए थे।
साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अवदान :
आपने अनेक कृतियों का प्रणयन किया है। मुझे अच्छे से स्मरण है अब से 15-20 वर्ष पहले जब आप उपाध्याय कामकुमार नंदी जी महाराज के नाम से जाने जाते थे उस समय आपकी बहुउपयोगी अनेक कृतियों को डाक से स्वाध्याय प्रेमियों के लिए निःशुल्क भेजी जाती थीं, उस समय इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि थी नहीं, उयोगी साहित्य भी कर साहित्य कम ही प्रकाशित होता था ऐसे में आपने जैन सिद्धांतों को बड़ी ही सरल भाषा में पुस्तकें प्रणयन की और घर घर पहुंची। युवा पीढ़ी के लिए प्रश्नोत्तर के रूप पुस्तकें उपयोगी साबित हुईं। आचार्य श्री के द्वारा लिखित अनेक पुस्तकों में से जैनधर्म की मौलिक विशेषताएं, घर घर चर्चा रहे धर्म की, जैनधर्म में वायु संबंधी अवधारणा, कुन्थु-कनक धर्म विज्ञान भाग एक, दो, तीन, नीति सुधा बिंदु जैसी पुस्तकें आज भी मेरे पुस्तकालय में संग्रहित है। निश्चित ही आचार्य श्री कामकुमार नंदी जी महाराज का जैन साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अवदान रहा है।
संत हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं :
संत, धर्म और संस्कृति को जीवित रखने के लिए हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं, उनके संरक्षण के लिए आगे आना होगा। सरकार और समाज दोनों को इस दिशा में गंभीरता पूर्वक तुरंत निर्णय लेना होंगे।
भारत सरकार को चाहिए कि संतों की   रक्षा और सुरक्षा के लिए एक आयोग बने और उसके अधीन एक सुरक्षा बल का गठन हो।  संतों पर अत्याचार और अपराध से जुड़े मामले FastTrack कोर्ट में चलाए जाए।  सभी तीर्थ और धर्म स्थानों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड का गठन हो और विभिन्न समितियों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो ।
निर्मम हत्या का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना जाएँ :
परम पूज्य आचार्य श्री 108 कामकुमार नंदी जी मुनिराज की हत्या की साजिश का जल्द से जल्द खुलासा हो। कर्नाटक के DGP पुलिस या SP बेलगावी इस दुःखद घटनाक्रम पर वीडियो संदेश जारी करें तथा राष्ट्र को बताएं कि उन्होंने इस नृशंस हत्याकांड पर क्या कार्रवाई की है? इस निर्मम हत्या का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना जाएँ तथा हत्यारों को शीघ्र सजा दी जाए।कर्नाटक में सर्वाधिक जैन रहते हैं। गोम्मटेश्वर बाहुबली श्रवणबेलगोला जैसा प्रसिद्ध जैन तीर्थ है। यहां जैन संतों का पैदल विहार होता रहता है अतः उनकी  समुचित सुरक्षा व्यवस्था हो। कर्नाटक सहित सभी राज्यों  में जैन धर्म, तीर्थ व संतों की सुरक्षा हेतु “जैन संरक्षण बोर्ड” की स्थापना हो। जैन धर्मायतनों की सुरक्षा की जाय। जैन साधुओं के विहार के समय पुलिस व्यवस्था अनिवार्य की जाय।
संतों की सुरक्षा के लिए हों कटिबद्ध :
समाज को भी गंभीरता से चिंतन करना होगा। साधु संतों के आहार-विहार-निहार के लिए जागरूक होना होगा ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। साधु, संतों के विहार में अक्सर समाज की लापरवाही देखी जाती है जिसपर चिंतन जरूरी है।  जब भी साधु का विहार हो संबंधित एरिया की जैन समाज का दायित्व बनता है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी उनके विहार कार्यक्रम की डिटेल दे, यदि पुलिस प्रशासन के संज्ञान में साधु का विहार होगा तो वह सुरक्षा के इंतजाम भी करेगी ।
जब कोई अप्रिय घटना घट जाती है तो हम निंदा आदि प्रस्ताव पास करके हम कुछ नहीं कर पा सकने की निराशा से ऊपर उठने की कोशिश और कुछ तो किया की संतुष्टि में अक्सर एक साथ जी लेते हैं । आखिर यह सब कब तक! अब हमारी समाज को  निर्णायक फैसले लेना होगा।
हम अपनी विरासत बचाने को आगे आएं। इसकी रक्षा करने के लिए हमे संकल्पित होना होगा। मात्र प्रस्ताव पास करने या व्हाट्सएप, फेसबुक पर ज्ञान बाटने की आदत से बाहर निकलकर कुछ सार्थक निर्णायक कदम उठाना आज की महती आवश्यकता है।
साधु संस्था की गरिमा को बचाए रखना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि दिगम्बर जैन धर्म की पहचान हमारे साधु संस्था से ही है।
यदि अब भी न जागे जो मिट जाएंगे खुद ही।
दास्तां तक भी न होगी, हमारी दस्तानों में।।
आज हम सभी को आत्मावलोकन करने की जरूरत है।
कुहासां आसमां पर छा रहा है और हम चुप हैं।
अंधेरा धूप को धमका रहा है और हम चुप हैं।।
-डॉ. सुनील जैन संचय
ललितपुर 284403, उत्तर प्रदेश
9793821108

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