सानंद पूर्वक संपन्न हुआ दश लक्षण महापर्व

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इंदौर-  आर्यिकारत्न श्री पूर्णमति माताजी ससंघ के सानिध्य में चित्रकूट नगर मैं आत्मबोध संस्कार शिविर दश लक्षण महापर्व सानंद पूर्वक संपन्न हुआ। शिविर में दूरदराज से करीब 2000 शिविरार्यि ने भाग लिया।
सभी शिविरार्थियो को प्रशंसा पत्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
इस दौरान आरिकारत्न श्री पूर्णमति माताजी ने संबोधित करते हुए कहा कि सुख मेरे भीतर विराजमान है।  शीलधारी मंदिर के कलश के समान है। जितनी शक्ति काम वासना  में खर्च कर रहे हैं । वही निजआत्मा में खर्च कर, दो भीतर शांति स्थापित हो जाएगी। माताजी ने कहा कि धर्म की डोर भव भवांतर बंधी रहती है । विषय भोगों में दुख भरा हुआ है। यह उसे सुख मान रहा है उसमें वियोग ही  मिलेगा है। जीव ब्रह्मतत्व को नहीं जानता। वह आशाएं कामनाऐ  में ही समय गवा रहा है। गुरुओं के आशीर्वाद व  पुरुषार्थ से सुख मिलेगा। माताजी ने कहा कि पांच इंद्रियों भोगो में मन मत लगाओ। निष्काम चेतना में मन लगाओ  माताजी ने कहा कि राग- रंग को छोड़ो। नारी पति के लिए  श्रंगार करती है। दूसरी तरफ मंदिरों में बाजारों में श्रगार कर चली जाती है। फैशन को बढ़ावा दे रही है। जिनशासन आराधना क्षेत्र में प्रदर्शन कर रही है।
अपनी पवित्रता को नष्ट कर रही है। माताजी ने कहा कि सारी महिलाएं- बालिकाएं आज संकल्प लें कि  श्रृंगार फैसन से कहीं नहीं जाएंगे। ऐसे अपवित्र कार्य से कर्म का बंध ही मिलेगा। चेतना में विकार बढ़ता जा रहा है। माता जी ने कहा कि   आचार्य विद्यासागर जी ने जो ज्ञान दिया है अपनालो अपना कल्याण हो जाएगा। शील व्रत धारण कर जीवन सफल हो जाएगा। ब्रह्मचर्य को समझने का प्रयास करें। किसी को समझाने पर जीव नहीं समझ रहा है। पापों का घड़ा भर चुका है। माताजी ने कहा कि वैराग्य व मौत को कोई रोक नहीं सकता। ब्रह्मचर्य मुश्किल से मिलता है। दश धर्म को अपने जीवन में अंगीकार कर लेगा तो  सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र की प्राप्ति कर लेगा।
नितिन जैन मातुश्री सचिन जैन उद्योगपति ने बताया कि प्रातः मुख्य शांतिधारा कर्ता सतीश बडेरा एवं श्रीमती तारिका  पाटनी आ.र.के मार्बल प्रतिष्ठान द्वारा की गई। एवं काफी श्रावको ने भी  शांतिधारा की। दिन में आर्यिकारत्न पूर्णमति माताजी के सानिध्य में वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया गया। पूजा अर्चना कर अर्ग समर्पण किए। निर्वाणकांड का पाठ  द्वारा मुख्य लाडू राजकुमार जैन सहित तीन श्रावको  परिवार जनों ने  लाडू चढ़ाया।
इस दौरान भक्तामर मंडल विधान पूजा भी की गई। जिसमें श्रीमती तारिका पाटनी आर. के.मार्बल परिवार सहित अन्य श्रावक- श्राविकाऐ नेअर्ग समर्पण किए।  आशीष जैन पूर्णायु अमित सिंघई वास्तुविद ने के कुशल निर्देशन में अभिषेक, शांतिधारा, पूजा, विधान हुआ। इसी क्रम में 32,16,10,5 उपवास करने वाले पुरुष- महिलाओं को श्रीमती तारिका  पाटनी आरके मार्बल प्रतिष्ठान परिवार जनों द्वारा भव्य चांदी के बने उपहार उन्हें प्रदान करें। एवं धर्म की लिखित परीक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार भी श्रीमती तारिका  पाटनी आर.के.मार्बल परिवार द्वारा सुंदर चांदी से बने  उपहार उन्हें देकर पुरस्कृत किया। इस अवसर पर महिलाओं ने सुंदर ड्रेस कोड में भक्ति नृत्य द्वारा मगलाचरण प्रस्तुत किया।
विपुल बान्झल, शरद पानोत ने बताया कि 10 सितंबर को प्रातः श्री पूर्णमति माताजी के सानिध्य में सभी  जिन्होंने उपवास किया है उनका पालणा कराया गया। इससे शिविर में करीब 250 तपस्वीयो ने तब की आराधना की  । जिसके पुण्यार्जक राजकुमार जैन थे ।

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