दिगम्बर जैन मन्दिर में पधारीं श्वेताम्बर साध्वी

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दिल्ली – श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, रानी बाग में प्रथम बार पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के पावन पुनीत प्रसंग पर श्वेताम्बर साध्वी उत्तर भारतीय प्रवर्तिनी, श्रमणी सूर्या, डॉ. श्री सरिता जी म.सा. आदि ठाणे का मंगल आगमन दिनांक 7 सितम्बर 2022 को उत्तम त्याग धर्म के अवसर पर हुआ| समस्त जैन समाज द्वारा साध्वीश्री का भावभीना स्वागत कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया| गुरुणी जी ने मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान की मनोहारी प्रतिमा के दर्शन कर असीम आनंद की अनुभूति की| इस अवसर पर गुरुभक्तों ने साध्वीश्री के चरणों में भजनों के माध्यम से भक्तिभाव सहित नमन किया|

धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए गुरुणी जी ने कहा कि धर्म के दस लक्षण – उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य, इनकी मन-वचन-काय की एकाग्रता पूर्वक आराधना करने से अष्ट कर्मों का नाश होता है| जीवन में त्याग का विशेष महत्व है| माँ का त्याग संतान के विकास का कारण बनता है, नेता का त्याग राष्ट्र के विकास में सहयोगी होता है, साधु का त्याग समाज का विकास करता है और समाज का त्याग एक-दूसरे का सम्बल बनता है| भक्तों की भावना ही भगवान से मिलने में सहायक होती है|

आप चाहे मन्दिर जाओ या स्थानक जाओ, माध्यम कोई भी हो परन्तु कम-से-कम तीर्थंकर भगवंतों का स्मरण करो, पंच परमेष्टि भगवंतों को नमन करो, जिनवाणी का रसपान करो| बाहरी क्रियाओं में बेशक अंतर हो सकता है परन्तु अंतरंग में सब एक हैं| मतभेद हो सकते हैं, परन्तु मनभेद नहीं होंगे| यदि दिगम्बर संस्कृति ना होती तो आज हमें जैन धर्म की प्राचीनता का पता न लगता और यदि श्वेताम्बर संस्कृति ना होती तो आज देश के कोने-कोने में संतों के दर्शन सुलभ न हो पाते| आज यहाँ दिगम्बर जैन समाज ने जिस श्रद्धा व भक्ति से श्वेताम्बर संतों की अगवानी कर विनयगुण का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह अवश्य ही अनुमोदनीय है|

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