सदविचारों से बड़े बनो: आचार्य श्री प्रमुख सागर

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बंगाईगाँव: श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बगाईगांव में ससंघ विराजित आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ने बुधवार को एक धर्म सभा मे उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस सृष्टि में जो भी जेष्ठ और श्रेष्ठ होता है वह शांत रहता है, कम बोलता है,अच्छे कार्यों की प्रशंसा करता है। जैसे हीरा अपने मुख से नहीं कहता है कि उसकी कीमत क्या है।अच्छे जोहरी को ही उसकी कीमत पता होती है। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ों नोटों को एक साथ रख दो फिर भी आवाज नहीं करते है। लेकिन सिक्के दो-चार भी एक साथ रख दो तो जेब में जाते ही आवाज करने लगते हैं। वैसे ही बडा़ वह नहीं जो बड़ा कार्य करता है।बड़ा तो वह है जो छोटो को भी बड़ा बना देता है।आचार्य श्री ने कहा कि जिन्होंने अपने मन-वचन- कार्य का सदुपयोग किया है तो उनके नाम का पत्थर भी किसी धर्म स्थल में रखकर पूजा जाता है। लेकिन जिन्होंने अपने मन- वचन-कार्य का दुरुपयोग किया हो तो उनके नाम का पुतला चौराहे पर जला दिया जाता है। बड़ा बनने के लिए बड़ी सोच रखो जैसे समुद्र-धरती-आकाश आदि कि तरह बनो तभी तुम्हारा बर्चस्व- अर्चस्व पुर्जत्व के कार्य में आएगा। यह जानकारी सुनील कुमार सेठी एवं मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज रारा (मिंटू) द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।।

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