दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज ने ऋषभ सभागार मे धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि –
जैसे प्रातः काल पूर्व दिशा में सूर्य उदित होता है और संध्या काल में पश्चिम दिशा में अस्त हो जाता है, उसी प्रकार व्यक्ति का जन्म होता है और जीवन जी कर मृत्यु, को प्राप्त होता है। सबके दिन एक से नहीं होते हैं, सब दिन एक से नहीं होते हैं। दिन में सूर्य चमकता है, रात्रि में चंद्रमा चमकता है। पुण्यात्मा पर भी कष्ट आ जाते हैं। मनुष्य हो, देव हो, नारकी हो या तिर्यन्च, सभी को मृत्यु की गोद में सोना पड़ता है। चक्रवर्ती हो या सम्राट, तीर्थंकर हो या नारायण, सभी को जाना पड़ता है। जन्म के साथ, मृत्यु जुड़ी है।
धैर्य मत छोड़ो, समता धारण करो। रात्रि के अंधकार से घबराओ मत। प्रात: सूर्य की किरण पड़ते ही अंधकार का क्षय हो जायेगा। समय बदलता है। बुरे दिन भी जाते है, अच्छे दिन भी जाते हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
दगा देने वाला, ऋण लेने वाला, चारित्र भ्रष्ठ,निर्धन और चिंता करने वाला क्षण भर भी शांति से नहीं बैठ पाता है। आनन्दित जीवन जीना है तो किसी को दगा मत दो।शक्ति से अधिक ऋण मत लो, चारित्र में दोष मत लगाओ। आय से कम व्यय करो और व्यर्थ की चिंता मत करो। शांति से जियो और सबको जीने दो।
संकटों में भी धैर्य रखो। साहस पूर्वक जीवन जियो। धैर्य से हर विपत्ति को दूर किया जा सकता है। धर्म प्रिय बनो, दृढ धर्मी बनो। अपनी आवश्यकताओं को कम करो। आकांक्षाओं को घटाओ। दया, करुणा, प्रेम, सत्यता पर दृष्टि रखो। अंत में शांति हो वही कार्य करो। सबका हित करो। संक्लेशता बढ़े ऐसा कार्य मत करो। अपयश से बचो, यशपूर्ण कार्य करो।संचलन डॉक्टर श्रेयांस जैन ने किया।सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, अशोक जैन, धन कुमार जैन, आलोक सर्राफ, मनोज जैन, राकेश जैन, विनोद जैन, आदि थे।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि आज दीक्षार्थियो की गोद भराई सुम्मी जैन हार्डवेयर वालो के यहाँ संपन्न हुई।
22 अक्टूबर को सुबह 10.15 बजे प्रवचन के बाद सभी पत्रकारो को आचार्य श्री द्वारा ऋषभ सभागार मे आशीर्वाद/सम्मान दिया जायेगा। आपकी उपस्तिथि प्राथनीय है🙏
वरदान जैन मीडिया प्रभारी
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