“नवीन संसद भवन के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह में डॉ० इन्दु जैन राष्ट्र गौरव के स्वर में गूँजी जैनधर्म की प्रार्थना”
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने विभिन्न धर्मों के प्रख्यात धर्माचार्यों तथा लोकसभा व राज्यसभा के सदस्यों की उपस्थिति में नए संसद भवन का उद्घाटन एवं पवित्र सेंगोल को स्थापित कर भारत के इतिहास में एक नए अध्याय का सूत्रपात किया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत देश को लोकतंत्र का भव्य मंदिर समर्पित कर दिया। इस ऐतिहासिक अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला जी, राज्यसभा के उपसभापति, श्री अमित शाह, श्री राजनाथ सिंह, श्री योगी आदित्यनाथ, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, श्रीमती आनंदीबेन पटेल, श्री प्रहलाद पटेल एवं केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य व सांसद मौजूद रहे।
नवीन संसद भवन के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह के पावन अवसर पर आयोजित “सर्वधर्म प्रार्थना सभा” में सभी धर्म के प्रतिनिधियों ने अपने धार्मिक ग्रंथों से विशेष प्रार्थनाएं कीं। इस गौरवपूर्ण समारोह में जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ० इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने सम्पूर्ण जैन समाज की ओर से भारत की भूमि को नमन किया तथा सभी का अभिवादन “णमो जिणाणं-जय जिनेन्द्र” से किया। आपने आचार्य कुन्दकुन्द विरचित ‘प्रवचनसार’ की सर्वप्राचीन प्राकृत भाषा में गाथा एवं संस्कृत में मंगलाष्टक, महावीराष्टक श्लोक का सस्वर पाठ किया तथा भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण उत्सव पर पूरे विश्व में अहिंसा की स्थापना हो इस भावना का उद्घोष किया। उद्घाटन समारोह के पश्चात् जब डॉ० इन्दु जैन ने सांसदों एवं गणमान्य अतिथियों से मुलाकात की तो सभी ने उनकी प्रस्तुति की प्रशंसा की तथा भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं। जब जैनधर्म की प्रार्थना नवीन संसद भवन में गूँज रही थी तब पूरे विश्व की जैन समाज के लिए ये बेहद ही गौरवांवित पल था ।
सर्वधर्म प्रार्थना में आचार्य लोकेश मुनि ने भी विशेष प्रार्थना की तथा सभी धर्मगुरुओं ने अपने धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए बौद्ध प्रार्थना, ईसाई प्रार्थना, पारसी प्रार्थना, बहाई प्रार्थना, यहूदी प्रार्थना, गीता पाठ, कुरआन शरीफ से पाठ, गुरु ग्रन्थ साहिब से पाठ, शब्द कीर्तन आदि का वाचन विश्व कल्याण की भावना से किया । इस अवसर पर भारतीय डाक टिकट एवं वित्त मंत्रलाय द्वारा मुद्रा सिक्का भी जारी किया गया। लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिरला एवं राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने विचार व्यक्त किये। राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू व उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़के संदेश का वाचन भी किया ।
कार्यक्रम के पश्चात् जब कई न्यूज़ चैनल ने सभी धर्मों के प्रतिनिधियों से बातचीत की । जब संवाददाता ने डॉ० इन्दु से इस ऐतिहासिक क्षण के अनुभव पूछे तो उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री जी का हार्दिक आभार अभिनंदन करते हुए उनके मन में स्थापित सर्वधर्मसमभाव एवं भारत को विश्वगुरु बनाने की भावना की अनुमोदना की । डॉ० इन्दु ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के ज्येष्ठ पुत्र भरत चक्रवर्ती जिनके नाम पर इस देश का नाम भारत हुआ, ऐसी पवित्र भारत भूमि पर लोकतंत्र का नया मंदिर भव्य रूप में स्थापित हो चुका है और मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण हैं कि नवीन संसद भवन के भूमि पूजन एवं उद्घाटन समारोह दोनों ऐतिहासिक अवसरों पर मुझे जैनधर्म का प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपने समाचार चैनल के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि यदि सभी लोग ‘अहिंसा परमो धर्म:’ , ‘जीयो और जीने दो’, ‘अनेकांतवाद’, माध्यस्थभाव आदि के दृष्टिकोण रखें और तो विश्व में सभी समस्याओं का समाधान सम्भव है।
ज्ञातव्य है कि जैनदर्शन, प्राकृत भाषा के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. फूलचन्द जैन ‘प्रेमी’ एवं विदुषी डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन,वाराणसी की सुपुत्री तथा समाजसेवी श्री राकेश जैन की जीवनसंगिनी डॉ० इन्दु जैनधर्म-दर्शन-संस्कृति, प्राकृत संस्कृत हिन्दी- अपभ्रंश भाषा एवं साहित्य, ब्राह्मी लिपि, शाकाहार तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रूप में निरंतर प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहीं हैं। डॉ. इन्दु अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं तथा कई वर्षों से माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं विशिष्ट जनों के सानिध्य में सरकार द्वारा आयोजित “सर्वधर्म प्रार्थना” सभा में “जैनधर्म” का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।