श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में श्रीनेमिनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव उत्साह के साथ संपन्न हुआ।

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भीलवाड़ा, 30 नवंबर- श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री नेमिनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन मोक्ष कल्याण एवं विश्व शांति महायज्ञ  अग्निकुंड में पूर्णाहुति  के साथ संपन्न हुआ।  बड़ी संख्या में श्रावक- श्राविकाएं उपस्थित थे।
 प्रातकाल में मोक्ष कल्याण की पूजा के उपरांत नेमिनाथ भगवान का मोक्ष हो गया। अग्नि कुमार ने केश व  नाखून की अग्नि में संस्कार की पूरी क्रियाएं की गई।
145 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होने के बाद मुनिससंघ ने चंदन लकड़ी से पिसी हुई धूपम को सभी प्रतिमाओं पर उत्साह के साथ बिखेरी, उड़ेली । सारा वातावरण सुगंध में हो गया। जो देखते ही बनता है।
   मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ने धर्म देशना में कहा कि इस पावन क्षण में प्रत्येक जीव कर्मों से मुक्त होकर निर्वाण को प्राप्त हो। भगवान के पंचकल्याणक में जिन्होंने पुरुषार्थ के द्वारा विशुद्ध के साथ कार्य किया। उन सबको आशीर्वाद। जिन्होंने गुरुओं की अंजलि में अन्न दिया उनके घरों में अन्न की कमी कभी नहीं आएगी। उनका मोक्ष मार्ग प्रशस्त होगा।  देव- शास्त्र- गुरु को दिया गया समय अनंत गुणों से फलित होता है। पंचकल्याणक में 145 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हुई जो कर्नाटक, अन्य स्थानों के 28 मंदिरों में प्रतिमाएं स्थापित होगी।  मंगलकारी के साथ आयोजकों को जो भी कार्य करने को कहा उसे पूरा निर्वाह किया, उन्हें भी आशीर्वाद। इस दौरान तीन पुस्तकों का भी पूणयार्जक परिवारजनों द्वारा  विमोचन किया गया। पंचकल्याणक में स्थापित मंगल कलशो को कई परिवारजनों को लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
 समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने कहा कि मुनीससंघ के आशीर्वाद से पंचकल्याणक महोत्सव सफल रहा। सकल दिगंबर जैन समाज, महावीर सेवा समिति, युवाओ के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। मेरे द्वारा किसी को दुख पहुंचाया, कहने सुनने में कुछ आ गया हो उसके लिए भी मैं सभी क्षमा मांगता हूं।
समापन पर मुनिससंघ के सानिध्य में श्रीजी की शोभायात्रा बैंड बाजा के साथनिकली। जो श्री सुपार्श्वनाथनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंची एवं प्रतिमाओं को विराजमान कर अभिषेक किया गया।
           दोपहर 3:00 बजे मुनीससंघ का विहार आरके कॉलोनी के लिए हो गया। रास्ते में स्वाध्याय भवन के मंदिर में मुनिससघ के सानिध्य में एवं प्रतिष्ठाचार्य पंडित पीयूष भैया के द्वारा  मंत्रोचार विधि- विधान पूर्वक पंचकल्याणक में प्रतिष्ठित हुई 1008 श्री पदम प्रभु भगवान को वेदी पर विराजमान किया गया।
 बड़ी संख्या में समाजन उपस्थित थे।

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