आचार्य श्री 108 वसुनंदी जी महामुनि राज के 56 वे “अवतरण दिवस” के अवसर पर युगल मुनि श्री 108 शिवानंद जी प्रशमानंद जी मुनिराज के पावन सानिध्य में श्री दिगंबर जैन मंदिर शकरपुर में तीन दिवसीय जैन ज्योतिष शिक्षण शिविर सानंद संपन्न हुआ।
जिसमें समाज के सैकड़ो युवकों, महिलाओं व बच्चों ने जैन ज्योतिष की शिक्षा ग्रहण की। जैन ज्योतिष विषय को समझा।
इस अवसर पर मुनि श्री 108 शिवानंद जी महाराज ने कहा कि ज्योतिष मिथ्या नहीं है, जैन आगम के अनुसार ज्योतिष का लाभ उठाकर सभी लोग अपने जीवन की समस्याओं को दूर कर सकते हैं ।
अखिल भारतीय जैन ज्योतिष आचार्य परिषद ने जैन धर्म की अनुपम कृति जैन ज्योतिष को विश्व पटल पर अंकित करने का जो संकल्प लिया है वह सराहनीय है।
मुनि श्री प्रशमानंद जी ने कहा कि जैन ज्योतिष आगम सम्मत है तथा अनादि काल से जैन ज्योतिष का वर्णन जैन ग्रंथों में है
उन्होंने कहा कि तत्वार्थ सूत्र, एवं त्रिलोक पण्णति आदि अनेक प्राचीन ग्रन्थों में भी जैन ज्योतिष का उल्लेख है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक विख्यात जैन ज्योतिषचार्य श्री रवि जैन गुरुजी दिल्ली ने तीन दिन तक चले शिविर में लोगों को “मांगलिक दोष, कालसर्प दोष और गण्डमूल नक्षत्र के विषय को समझाया तथा आपकी जन्म राशि कौन सी है एवं कब आपके जीवन में भाग्योदय कब होगा”, विषय को सरलता से समझाया गया। उन्होंने बताया की जैन ज्योतिष में गणित और विज्ञान दोनों का समायोजन है, जब कुंडली का निर्माण करते हैं तो गणित का और जब फलित करते हैं तो विज्ञान का उपयोग होता है।
इस अवसर पर “श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर शकरपुर” के पदाधिकारीयो ने रवि जैन गुरुजी एवं सहयोगी प्राकृताचार्य श्री सुमेर चन्द जैन जी को तिलक व शॉल से सम्मानित किया। इस अवसर पर भारी संख्या में जैन समाज उपस्थित रहा