राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से बदलेगा भारत‌ का भविष्य- राजेन्द्र महावीर

शिक्षा महाविद्यालय खण्डवा में रखें विचार

0
211

सनावद। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित  राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य प्रावधान एव चुनौतियाँ-स्कूल शिक्षा के सन्दर्भ में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शासकीय शिक्षा महाविद्यालय खण्डवा में किया गया। खरगोन जिले से  वक्ता के रूप में शिक्षाविद व प्रखर विचारक, चिंतक राजेन्द्र जैन महावीर सनावद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि नीति का क्रियान्वयन सही ढंग व सही नीयत से हो जाए तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारत का भविष्य बदल सकता हैं।

नीति के नवीन प्रावधान 5+3+3+4 स्पष्ट करते हुए श्री जैन ने बताया कि पहले 10+2 की शिक्षा प्रणाली थी, अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पूर्व प्राथमिक को सम्मिलित कर पंद्रह वर्ष की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार ने ली है। शासकीय विद्यालय में अब तीन वर्ष से ही बच्चा प्रवेश लेगा जिसमे नर्सरी के.जी. प्रथम व द्वितीय के साथ कक्षा पहली व दूसरी पढ़ेगा ,जिसमे बस्ते का बोझ नही होगा खेल-खेल में शिक्षण होगा, परीक्षा नही होगी, यह फाउण्डेशन कोर्स होगा। कक्षा तीसरी ,चौथी, पाँचवी को प्राथमिक कहा जाएगा जिसमें मातृभाषा, में शिक्षण होगा, परीक्षा भी होगी।

छठवीं से होगी व्यवसायिक शिक्षा

राष्ट्रीय शिक्षानीति में अब माध्यामिक स्तर से ही व्यावसायिक शिक्षा होगी, विद्यार्थियों को इन्टनशिप भी कराई जाएगी। कक्षा 9 से ही उसे विषय लेने की स्वतंत्रता होगी ,परीक्षा के स्थान पर सेमेस्टर सिस्टम होगा। गणित के साथ आर्ट ,आर्ट के साथ कॉमर्स, कृषि आदि अलग अलग विषय भी लिए जा सकेगे। अनेक प्रावधानों पर सागर संभाग लोक शिक्षण के संयुक्त संचालक डॉ. मनीष वर्मा, जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के वरिष्ठ व्याख्याता केशव पाराशर, सुशील गौर ने भी अपने उल्लेखनीय विचार व्यक्त करते हुए अनेक प्रावधानों पर विचार साझा किए।

स्वागत भाषण महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती तनुजा जोशी ने दिया। संचालन व्याख्याता अखिलेश बरोले ने करते हुए विषय की प्रासंगिकता को स्पष्ट किया। विदिशा केन्द्रीय विद्यालय की खेल अधिकारी श्रीमती रंजना वर्मा ने विशेष रूप से शारीरिक शिक्षा पर विचार रखें। इस अवसर पर डॉ. जे. एस. छाबड़ा, राकेश यादव ,डॉ. मो. अय्यूब खान ममता यादव व शिक्षा महाविद्यालय में अध्ययनरत बीएड एमएड के 200 से अधिक छात्राध्यापक सम्मिलित हुए। आभार वरिष्ठ व्याख्याता राकेश यादव ने व्यक्त किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here