रक्षा के संकल्प का सबसे बड़ा पर्व है ” रक्षाबंधन “

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प्रत्येक प्राणी को केवल भाई-बहन तक सीमित नही रहना चाहिए, देश, धर्म और समाज की रक्षा का संकल्प भी लेना चाहिए – गणिनी आर्यिका गौरवमती

जयपुर। रक्षाबंधन का पर्व ना केवल वात्सल्य और विश्वास का पर्व है बल्कि यह रक्षा के संकल्प का भी सबसे बड़ा पर्व है, इस पर्व को भाइयों द्वारा बहन की रक्षा के संकल्प के पर्व के लिए जाना जाता है और जैन परंपराओं में धर्म और मुनियों की रक्षा के लिए जाना जाता है। रक्षाबंधन पर्व को केवल भाई-बहनों तक समिति ना रखकर इस पर्व को देश, धर्म और समाज की रक्षा के पर्व के रूप में भी जानना चाहिए। प्रत्येक प्राणी रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर प्रेम और विश्वास की डोर स्थापित करे और देश, धर्म व समाज की रक्षा का संकल्प लेंवे। यह उद्द्गार गुरुवार को गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ने श्याम नगर आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं को दिए। गुरुवार को जैन धर्म के 11 वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ स्वामी का मोक्षकल्याणक पर्व और आर्यिका गुप्तिमती माताजी की स्मृति में श्रद्धाजंलि सभा पर श्रद्धालुगण उपस्थित रहे थे। इस दौरान श्रावक और श्राविकाओं ने मंदिर के प्रमुख द्वारों और आर्यिका संघ में विराजमान सभी माताजी की पिच्छीयों पर रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प लिया।

अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि जैन परंपराओं में रक्षाबंधन पर्व के दिन 700 मुनिराजों पर घोर उपसर्घ आया था, जिसे मुनि विष्णु कुमार ने 700 मुनिराजों का उपसर्घ दूर किया था, उसी दिन से जैन धर्म मे इस पर्व को रक्षासूत्र पर्व के नाम से जाना जाता है और इस दिन सभी जैन श्रद्धालु ना केवल मुनिराजों की रक्षा का संकल्प लेते है बल्कि सूत्र बांधकर धर्म की रक्षा का भी संकल्प लेते है, इसी दिन जैन धर्म के 11 वें तीर्थंकर भगवान श्रेयांसनाथ स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, इसी दिन मोक्ष कल्याणक पर्व भी मनाया जाता है जिसमे श्रावक और श्राविकाएं एकत्रित हो निर्वाण कांड पाठ का गुणगान करते है और जयकारों के साथ 11 वें तीर्थंकर को निर्वाण लड्डू चढ़ाते है। गुरुवार को गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में प्रातः 6.15 बजे से श्रीजी का कलशाभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन किया गया, इसके उपरांत नित्य-नियम पूजन कर निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया।

आर्यिका गुप्तिमती माताजी को दी श्रद्धांजलि

मंदिर ट्रस्ट समिति अध्यक्ष निहालचंद पांड्या ने बताया कि बुधवार को आर्यिका गुप्तिमती माताजी का देवलोक गमन हो गया था, उनकी स्मृति में गुरुवार को प्रातः 8 बजे से गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ सानिध्य में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन मंदिर प्रांगण पर किया गया। इस दौरान आर्यिका गौरवमती माताजी सहित श्याम नगर महिला मंडल, चाकसू में चातुर्मास कर रहे आचार्य शंशाक सागर महाराज द्वारा संदेश के जरिये, ब्रह्मचारी जिनेश भैया, ब्रह्मचारिणी किरण दीदी, अजित पाटनी, कामलबाबू जैन, सुरेश सबलावत, प्रभात जैन, सुभाष जैन (जबलपुर), प्रदीप चूड़ीवाल, राजकुमार पाटनी, जनकपुरी समिति अध्यक्ष पदमचंद बिलाला, संजय कासलीवाल, राजेन्द्र बड़जात्या, प्रवीण बड़जात्या, धनकुमार काला, अमित सिंघई सहित विभिन्न श्रद्धालुओ ने विनयांजलि अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

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