राजस्थान के पांच तीर्थक्षेत्रों की स्मरणीय तीर्थयात्रा

0
454

अहिंसा तीर्थयात्रा संघ चांदनी चौंक के 31 यात्रियों का दल जिनेंद्र जैन, अंकुर जैन, रमेश जैन एडवोकेट नवभारत टाइम्स, अरविंद जैन, पदम जैन, मनोज, दीपक, अनुज जैन आदि के संयोजन में 26 मई को ट्रेन से कोटा पहुंचकर आर्यिका स्वस्तिभूषण माता जी द्वारा विशाल जलयान के आकार में स्थापित अतिशय क्षेत्र जहाजपुर पहुंचा, वहां बडे भक्तिभाव से सभी ने भगवान मुनिसुव्रतनाथ की अतिशय पूर्ण रंग बदलने वाली विशाल प्रतिमा के दर्शन कर अभिषेक, शांतिधारा, पूजन किया और भगवान शांतिनाथ मंदिर व भूगर्भ से प्राप्त अन्य मूर्तियों के दर्शन कर बिजौलिया में रेवानदी के तट पर स्थित भगवान पारसनाथ की कमठ उपसर्ग तपोस्थली व केवल ज्ञान भूमि पर स्थित अनेक प्राचीन मंदिरो, गगन विहारी भगवान पारसनाथ की विशाल खडगासन प्रतिमा, विभिन्न शिलालेखों, समोशरण के दर्शन कर रात को झालरापाटन पहुंचे। यह किले नुमा परकोटे से घिरा जयपुर शहर की तरह बना हुआ समृद्ध नगर है। यहां संवत 1100 का
भगवान शांतिनाथ का भव्य प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर है, जिसका 92 फुट ऊंचा शिखर खजुराहों के नक्शे पर बना है। यहां भगवान शांतिनाथ की 12-5 फुट की खडगासन भव्य प्रतिमा के दर्शन करते हुए हटने का मन ही नही हुआ। चारों ओर वेदिया हैं, परिक्रमा पथ इतना विशाल है कि वहां 2000 आदमी आराम से बैठ सकते हैं। बताया गया कि यह प्रतिमा पहले जमीन के अंदर थी, केवल मस्तक व कंठ ही दिखाई देता था, बाद में किसी को सपने देकर यह प्रतिमा प्रकट हुई।
मंदिर के मुख्य द्वार पर सूंड उठाए श्वेत रंग के दो विशाल हाथी, लगता है भगवान की स्तुति कर रहे हों।            
यहां से चांदखेडी पहुंचकर रात्रि विश्राम कर सुबह को भोंयरे में विराजमान भगवान आदिनाथ की विशाल अत्यंत अतिशयपूर्ण प्रतिमा के दर्शन कर सामूहिक अभिषेक, शांतिधारा व भक्ति की तो सभी भावविभोर हो गए। यहां त्रिकाल चौबीसी व अन्य अनेक मंदिरों, प्रतिमाओं के दर्शन कर केशवरायपाटन पहुंचकर चंबल  नदी के तट पर अत्यंत प्राचीन भव्य और विशाल मंदिर में भगवान मुनिसुव्रतनाथ की काले रंग की 9-10वीं शताब्दी की चमत्कारपूर्ण प्रतिमा के दर्शन किए जिस पर मौहम्मद गौरी के हुक्म से तोडने के प्रयास में छैनी हथौडे के निशान देखकर हमारा दिल भर आया। यहां अन्य अनेक प्राचीन प्रतिमाओं के भी दर्शन किए। सभी जगह यात्रियों ने दिल खोलकर दान किया। सभी जगह मैने आदतन सर्व जीव जगत के कल्याण की प्रार्थना की और अदभुत ऊर्जा से परिपूर्ण होकर हम 28 मई को मध्य रात्रि दिल्ली लौट आए।        
प्रस्तुतिः रमेश चंद्र जैन एडवोकेट, नवभारत टाइम्स नई दिल्ली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here