राग अग्नि के समान है

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गणिनी 105 आयिका संगममती माताजी
नैनवा जिला बूंदी संवाददाता द्वारा
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट
तारंगा अतिशेष क्षेत्र

वर्षा योग कर रहे गणिनी आयिका 105संगमती माता ने जन समूह को संबोधित करते हुए बताया
तीनों लोगों का सार है जो वीतरागता है राग से रहित है राग तपती हुई अग्नि के समान है बुरे दिन समाप्त होकर धर्म से अच्छे दिन आ जाते हैं

माता ने बताया आज का मनुष्य मन को मंदिर भी बन सकता है और बाजार भी बन सकता है
मन को संभालने बड़ा मुश्किल हो जाता है क्रिया को धर्म से लगाने से आपकी पहचान बनती है और काया को अशुभ कार्य में लगाने से अपना नाम खराब होता है
आज का मनुष्य बहुत गलतियां कर रहा है उन गलतियों को अपने जीवन में उतरे दोबारा वह गलतियां ना हो

जीवन का एक षण का भरोसा नहीं है एक छोटी सी शंका होने पर सीता माता को अग्नि परीक्षा दी थी मन को अच्छा बनने पर धर्म के अच्छे कार्य करना चाहिए
शराब का नशा 24 घंटे में उतर जाता है और मोह का नशा कभी उतरता ही नहीं है अनादि काल से यह नशा चला रहा है संत के पास भी यह जीव कुछ पाने के लिए जाता है ऐसा आयिका माता ने बताया
धर्म सभा में बहुत दूर-दूर से जैन बंधु धर्म लाभ लेने माता का आशीष लेने भीड़ उमडी देखी
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महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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