“संत का संयम उपकरण पीछी और कमंडल: आचार्य प्रमुख सागर”
गुवाहाटी : दिगंबर जैन साधु का संयम उपकरण पीछी और कमंडल है। यह इंजन मुद्रा एवं करुणा का प्रतीक है। इनके बिना अहिंसामय महाव्रत का पालन नहीं हो सकता। इस कारण समस्त दिगंबर साधु वर्ष में एक बार पीछी का परिवर्तन करते हैं। आचार्य श्री ने पीछी के गुण के बारे में बताया कि यह धूल ग्रहण नहीं करती, लघुता रहती है, पसीना ग्रहण नहीं करती, सुकुमारश झुकने वाली होती है। यहां तक भी देखा गया है कि मोर पंख यदि आंखों में लग जाए तो बहुत चुभता नहीं है। इस कारण कोई हिंसा भी नहीं होती। आज पीछी कमंडल रूपी संयम रथ निरंतर चल रहा है। यह मंगल देशना आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ने पीछी परिवर्तन समारोह के अवसर पर धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। इसके पूर्व आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन आमंत्रित अतिथियों ने किया। महिला समिति की सदस्यों द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन, पूजन, जिनवाणी, नवीन पीछी आदि सौभाग्यशाली परिवारों द्वारा भेंट की गई। प्रचार प्रसार संयोजक ओम प्रकाश सेठी ने बताया कि आचार्य श्री ससंघ (13 पिच्छी) का चातुर्मास सानंद समापन उपरांत बुधवार को शभगवान महावीर धर्मस्थल में प्रातः6 बजे से भव्यातिभव्य पिच्छिका परिवर्तन एवं आचार्य श्री संघस्थ पांच आर्यिका, तीन क्षुल्लिका एवं एक क्षुल्लक जी काश दीक्षा दिवस समारोह बहुत ही धूमधाम के साथ बनाया गया।प्रचार प्रसार के सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी ने बताया कि आचार्य श्री एवं संघस्थ सभी मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक-क्षुल्लिकाओं की पुरानी पिच्छी आचार्य श्री के कर कमलों से संयमी, त्यागी- व्रतियों को दी गई। कार्यक्रम में सभी धर्म प्रेमी बंधुओं ने शामिल होकर पुण्य संचय का सौभाग्य प्राप्त किया।कार्यक्रम के समापन पश्चात उपस्थित सभी समाज बंधुओं के लिए अल्पाहार की समुचित व्यवस्था की गई।।