पयुषर्ण पर्व आत्मसाक्षात्कार का दिव्य पर्व : आचार्य प्रमुख सागर

0
118
गुवाहाटी : प्रयुषण पर्व जैन मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है ।दस दिवस में प्रत्येक दिवस का अपना महत्व या धर्म होता है। वास्तु का जो स्वभाव होता है उसे धर्म कहते हैं। जैसे अग्नि का स्वभाव ताप देना है , वैसे ही आत्मा धर्ममयी है। हम अपने जीवन में एक भी धर्म को उतार ले तो अपना आत्म कल्याण कर सकते हैं। आचार्य ने कहा की युधिष्ठिर की तरह जुआ मत खेलो , कर्म की तरह दुष्ट का एहसान मत लो , धृतराष्ट्र की तरह पुत्र मोह में न पडो़, द्रौपदी की तरह अनुचित जगह न हंसो आदि ऐसे कार्य जीवन में मत करो। हमें अपना जीवन प्रत्यक्षण धर्ममय मनाना चाहिए जैसे अभिमन्यु की तरह वीर बनो, कृष्ण की तरह धर्म का साथ दो, घटोत्कच की तरह धर्म कार्य में सहष बलिदान दो, अर्जुन की तरह अपनी बागडोर भगवान के हाथों में सोपो आदि अपने जीवन में ऐसे कार्य करो। यह उक्त बातें फैंसी बाजार के भगवान महावीर धर्म स्थल में विराजित आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में धर्म कार्य करते रहना चाहिए। यह जानकारी समाज के प्रचार-प्रचार विभाग के मुख्य संयोजक ओमप्रकाश सेठी एवं सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।
*सुनील कुमार सेठी*
 प्रचार प्रसार विभाग , श्री दिगंबर जैन पंचायत , गुवाहाटी (असम)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here