अकिंचन धर्म
परिग्रह त्याग करना आवश्यकताओं से अधिक वस्तुएं इकट्ठी नहीं करना ही आज का धर्म मुनि ने बताया
पर्युषण पर्व नवें रोज शांतवीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया
परिग्रह 14 प्रकार के होते हैं जिनको संसार का प्राणी छोड़ना नहीं चाहता मुनि सभी परिग्रह के त्यागी होते हैं
मुनि ने बताया कि पौधे को पानी नहीं पिलाया जाएगा तो पौधा बहुत जल्दी सूख जाएगा ऐसे ही मनुष्य के जीवन में धर्म रूपी अमृत जल का होना बहुत जरूरी है
आत्मा में अमृत रूपी धर्म जल नहीं होगा तब बहुत जल्दी आत्मा अज्ञान की ओर भटक जाएगी
मनुष्य को अपना निजी मकान में एक मेहमान बनकर रहना चाहिए अपनी निजी गाड़ी कार में एक ड्राइवर बनकर चलना चाहिए
अधिक मकान अधिक कपड़े अधिक गहने अधिक दुकानें यह सब वस्तुएं परिग्रह बढ़ाने वाली है अंतिम समय सभी को मनुष्य छोड़कर जाता है परिग्रह से पाप का बंद उत्पन्न होता है
अधिक परिग्रह ना बढ़ाना सीमित वस्तुएं रखना आज का धर्म है
क्षुल्लक सुप्रकाश सागर महाराज ने बताया आज मनुष्य त्याग नहीं करता बल्कि वस्तुओं को परिग्रह कर रहा है अधिक परिग्रह दुख का कारण है
परिग्रह के लिए पेड़ नहीं काटा जाता बल्कि जड़ काटी जाती है
मनुष्य को अपने मन में वस्तुओं का इकट्ठी करने का विचार निकालना चाहिए
अधिक वस्तुओं का संग्रह करना ही पाप होना मुनि ने बताया
आज की सौधर्मेंद्र श्री सुमती प्रकाश अशोक कुमार धर्म कुमार जैन मोडीका का परिवार सौभाग्य प्राप्त किया
वर्धमान महिला मंडल द्वारा जैन अंताक्षरी संपन्न हुई
शांति वीर धर्म स्थल पर
7:30 पर्युषण पर्व के आठवें रोज
सीनियर जूनियर
द्वारा जैन अंताक्षरी संपन्न हुई
पिंकी जैन गुढा वाले ने जानकारी देते हुए बताया
धर्म सभा की अध्यक्षता श्रीमती सीमा जैन मारवाड़ा का स्वागत सम्मान किया गया
मंगलाचरण के साथी अंताक्षरी प्रारंभ हुई जिसमें छोटे बच्चे बड़ों लगभग 110 सदस्य ने भाग लिया
महावीर कुमार जैन सरावगी
दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता नैनवा