पंचकल्याणक महोत्सव का पाँचवा दिन ज्ञान कल्याणक के रूप में बनाया गया

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गुवाहाटी : फैंसी बाजार स्थित आदिनाथ नगर (जेल परिसर) में असम के राज्यकिय अतिथि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ससंघ एवं मुनि श्री अरिजीत सागर  महाराज के पावन सान्निध्य   में श्रीमद् 1008 जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव मे मंगलवार को ज्ञान कल्याणक महोत्सव मनाया गया। दिन में  ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई।वही पंचकल्याणक महोत्सव कि सभी क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य बा. ब्र.हंसमुख शास्त्री के निर्देशन में विधि विधान से संपन्न कराई जा रही है। इस अवसर पर आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को ज्ञान कल्याण की महत्वता के बारे में बतलाते हुए कहा कि ज्ञान की प्राप्ति इसी जीव में होती है।भगवान के समवशरण में भावमंडल में हर जीव के सात भाव दिखते हैं, अतीत के तीन, भविष्य के तीन और एक वर्तमान का। उन्होंने कहा कि जहां होता है समता का वरण, वहां मिलता है सबको सरण, उसे कहते हैं समवशरण। एक इंद्रिया से पंच- इंद्रिया तक के सभी जीवों को ज्ञान होता है। ज्ञान संस्कार के साथ होना चाहिए। जब ज्ञान संस्कारित होता है तो पाप भी पुण्य देकर जाता है।क्योंकि ज्ञान विवेक, बुद्धि व अच्छे बुरे की पहचान कराता है। आचार्य श्री ने कहा कि आज ज्ञान कल्याण के दिन सभी को संकल्प करना चाहिए की ज्ञानियों की निंदा नहीं करेंगे और स्वाध्याय परम तप जरूर करेंगे। तभी हमारा और इस संसार के सभी जीवों का कल्याण होगा।
मालूम हो कि आज मंगलवार को  पंचकल्याणक के पाचवें दिन ज्ञान कल्याणक के उपलक्ष में समवशरण कि रचना की गई। जहां इंद्र और भारी जन समुदाय ने ज्ञान कल्याणक के अवसर समवशरण कि आरती कि वही सौधर्म इंद्र, कुबेर इंद्र, यज्ञनायक  इंद्र, ईशान इंद्र, सनत इंद्र, महेंद्र इंद्र आदि के परिवारों ने भी भक्ति की। यह जानकारी पंचकल्याणक प्रचार प्रचार समिति द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।

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