नहीं पता था कि उस दिन दीया आहार दान उनके जीवन का अन्तिम आह्रार होगा!

0
63
-मनोज कुमार जैन बांकलीवाल, आगरा
जालना, दि.3 जुलाई, 2024!  इस बार आगरा मे पूज्य गणाचार्य विरागसागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मैडिटेशन गरु उपाध्याय श्री विहसन्तसागर जी महाराज का वर्षायोग होना निश्चित हुआ था, इस हेतु आगरा से हमें आचार्य श्री के पास जाकर आशीर्वाद एवं पत्र लेना था, पता नहीं क्यों सबके मन में आया कि 1 जुलाई को दिल्ली से औरंगाबाद की सांयकालीन फ्लाइट लेकर, रात्री विश्राम कचनेर जी मे कर अगले दिन प्रात: वहां पूजन अभिषेक कर जालना से आगे किसी गार्डन मे विहार करते हुए विराजित पूज्य विरागसागर गणाचार्य जी के पास पह॔चा जाये!
 सो ऐसा ही कीया और आगरा से हम 5 लोग 2 जुलाई को आचार्य श्री के पास पहुंच गये! बहुत सन्दर माहोल मे चर्चा हुई, पूज्य उपाध्याय श्री विहसन्तसागर जी महाराज का पत्र दीया, जो कि बडी बारीकि से मुस्करा कर उन्हैने पत्र भी पडा हमे उपाध्याय श्री को व आगरा मे होने जा रहे वर्षायोग के लिए उन्होने अपना भरपूर आशीर्वाद दीया और प्रतिउत्तर का एक पत्र पूज्य उपाध्याय श्री के नाम का हमें थमाया और आशीर्वाद देकर विदा कीया! हम कुछ इस तरह का कार्यक्रम बनाकर आये थे कि अगर आचार्य श्री का आशीर्वाद समय से मिल गया तो आगे शिरपुर मे दर्शन करेंगे व वापसी मे पैंठढ होते हुए अगले  दिन ओरंगाबाद से फिर फ्लाइट पकड दिल्ली होते हुए रात को आगरा पहुंच जायेंगे! लेकिन हम सांय लगभग 5 बजे जब शिरपुर पहुंचै ही थे कि तभी हमपर संघस्त मीना दीदी का फोन आया जो कि रोते हुए बता रहीं थीं कि अभी अभी आचार्यश्री का जैसे ही विहार प्रारम्भ हुआ, अचानक तबियत खराब हुई है, वौमिट आयी है, पसीना आया और वहीं बैठ गये और आगे नहीं बड पाये हैं, अत: उन्हैः उसी गार्डन मे वापस लिटा दीया गया है, उन्होंने यह भी कहा कि शायद हार्ट अटैक आया है, ऐसा लोग कह रहे हैं, दीदी ने हम सबको तुरन्त वापस आने का बोला, क्योंकि नया स्थान, नये लोग वह भी शहर के बाहर , अत: आप लोग भी होंगे तो थोडा सम्बल बना रहेगा!
इस समाचार से हम सब भी स्तब्ध थे, तुरन्त वापसी का कार्यक्रम बनाया और जालना की ओर बड चले! इसी बीच हमने अपने नासिक के मित्र व  ग्लोबल महासभा के महामन्त्री श्री पारस लोहाडे को फोन कर सूचित कीया, उधर आगरा मे बैठे हमारे अग्रज श्री प्रदीप जैन जी PNC  को कहा तो उन्होंने भी ग्लोबल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जमनालाल जी हपावत मुम्बई को फोन कर सूचित कीया! इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ ही मिनटों मे जालना, औरंगाबाद, पूना, नासिक फोन घुम गये और दो घंटे बाद जब तक हम लौट पाये तो जो भी उपचार दीया जा सकता था वह प्रारम्भ करा दीया गया था, भारतभर के वैद्धो की एडवाइज पहुंच चुकी तो और जो भी आर्युवैदिक लेप / मालिश की जा सकती थी वह प्रारम्भ हो चुकी थी, डाक्टरो की टीम भी वहां थी परन्तु आचार्य श्री ने उनका कोई भी उपचार स्वीकार नहीं कीया था, स्थानिय समाज पूरी तरह सजग थी!  आते ही हम आचार्य श्री के दर्शन करने कक्ष मे पहुंचे, हमने देखा हालांकि वे करवट लेकर लेटे हुए थे, परनतु पूरी तरह सजग थे, उन्होने घूम कर हमें देखा और आशीर्वाद भी दिया, आदतन मुस्कराने की कोशिश भी की परन्तु मुस्करा नहीं पाये! देर रात तक जालना व महाराष्ट्र की समाज के साथ हम भी वहीं जमे रहे जब तक कि आचार्य श्री की आंख नहीं लग गयी! अब हमने अपने सारे आगामी कार्यक्रम स्थगित कर वहीं जालना रुकना तय कीया! मन बहुत घबराया हुआ था, आज दोपहर की आचार्य श्री से सभी बाते, हास्य परिहास सब याद आ रहा था!
अगले दिन 3 जुलाई  सुबह 6 बजे हम पुन: आचार्य श्री एवं संघ के पास पहुंच गये थे, अच्छी बात यह थी कि आचार्य श्री ने संघ के साथ प्रतिक्रमण व बाद मे संघस्त चैत्यालय का भगवान का अभिषेक पूजन भी देखा था और अब कक्ष मे विश्राम कर रहे थे! सारे संघस्त साधु कक्ष के बाहर ही बैठे थे, व दो तीन साधु आचार्य श्री के पास कक्ष में वैयाव्रती के लिए बैठे थे!  वैद्य व चिकित्सक नियमित जांच कर रहे थे, बाहर आकर उन्होंने बताया कि आज तो स्तिथी स्टेबल है परन्तु 72 घंटे सावधान रहना है व अभी कोई विहार नहीं कराना है, आहार भी जल्दी दे दीया जाये जिससे वैद्यजी की औषधी भी दी जा सके! इसके बाद हम पुन; बेरोकटोक आचार्य श्री के कक्ष मे गये दर्शन कीये, उनसे कहा कि पूरा भारत आपके स्वास्थ्य के समाचार से चिंतित है तो मुस्कराते हुए उनहोंने इशारे से कहा कि वे ठीक हैं! आचार्य श्री को सुबह 8.15 पर आहार के लिए उठा दीया, और जिस कक्ष मे वे रुके थे उसी के बगल वाले कक्ष में आहार की व्यवस्था कि गयी, आचार्य श्री को भीड से भी बचाना था अत: तय हुआ कि मात्र 4 लोग ही आहार देने अन्दर जायेगे जिनमें हमारे साथ के श्री राहुल जैन अहिंसा व मुझे सौभाग्य मिला कि हम आहार करायें! उस दिन मात्र नारियल पानी व दाल का पानी आदि चलाया गया! आचार्य श्री पूर्ण रूप से चेतन्य थे, जो भी हमने दीया अच्छी तरह लीया हममे से एक शायद टुपट्टे के अन्दर मोबाइल लेकर आ थे, वो भी आचार्य श्री ने देख लीया व इशारे से मोबाइल बाहर लेजाने को कहा!
अच्छी तरह आहार समपन्न होने के बाद आचार्य को उनके कक्ष मे पुन: छोढ हम थोडा रिलैक्स महसूस करने लगे! लगा कि आचार्य श्री अब धीरे धीरे स्वस्थ हो रहे हैं! सब कुछ ठीक ठाक होता देख हमने भी वापस आगरा चलने का कार्यक्रम बनाया, वहां के स्थानिय श्रावकगण व संघ से अनुमती लेकर आगरा के लिए औरंगाबाद की ओर निकल गये व रात्री मे फ्लाइट पकड दिल्ली, व दिल्ली से कार से रात्री/ ( या कहें 4 जुलाई कि सुबह) लगभग 2.30 पर गर पहुंचे ही थे कि राहुल जी का फोन आया कि अचानक मीना दीदी का फोन आया और वह बस रोये जा रहीं हैं,उन्होने कहा आप भी जरा पता करो! और जैसे ही हमने फोन लगाया तो समाचार आया कि अभी अभी आचार्य श्री की सल्लेखना पूर्वक समाधी ली है और पूरा संघ अन्दर है! जीवन का सबसे खराब समाचार था वह, दो दिन की ऊपर बताई बाते, फिल्म की तरह सामने घूमने लगीं! आभास हुआ कि कल दिया हुआ आहारदान हमारे द्रारा गणाचार्य विरागसागर जी महाराज को दिया हुआ आहार दान अन्तिम आहार दान रहा!
आचार्य श्री गणाचार्य विरागसागर जी महाराज तो समाधी सम्राट बन सदैव के लिए गये लेकिन उनका अन्तिम आशीर्वाद, अन्तिम आह्रार दान की अनुभूति चिरकालीन रहेगी!
मनोज कुमार जैन बांकलीवाल कमलानगर आगरा-  9837115776

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here