प्रेस विज्ञप्ति
नवपट्टाचार्य, अध्यात्मयोगी,आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी मुनिराज को अनेकों उपाधियों के साथ-साथ अब “वात्सल्य रत्नाकर” के नाम से भी जाना जाएगा।
अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद (पंजी.) ने लगभग 400 जैन संतों के पावन सानिध्य में आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के पावन चरणों में 27 अप्रैल से 2 मई 2025 तक सुमति धाम गोधा इस्टेट इंदौर में चलने वाले पट्टाचार्य महामहोत्सव एवं गुरु विराग जन्म जयंती महामहोत्सव के पावन अवसर पर “अभिवंदना पत्र” समर्पित करते हुए गुरुदेव को “वात्सल्य रत्नाकर: की उपाधि से अलंकृत किया।
इस सुअवसर पर परिषद के साथ-साथ उपस्थित जन समूह ने करतल ध्वनि से अनुमोदना की।
अभिवंदना पत्र वचन के पश्चात सुमति धाम गोधा इस्टेट आयोजक कमेटी ने अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद (पंजी.)को स्मृति चिन्ह भेंट कर सभी का स्वागत सम्मान किया।
इस मौके पर परिषद की सम्मानित सदस्य श्रीमती उर्मिल जैन कनाडा ने अभिवंदना पत्र का वाचन किया।
संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि जैन गुरुजी दिल्ली ने कहा कि आचार्य श्री का वात्सल्य अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद को पूर्व से प्राप्त होता रहा है। आज गुरुदेव को “वात्सल्य रत्नाकर” की उपाधि से अलंकृत कर पूरी परिषद स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है।
साथ ही महामंत्री डॉक्टर हुकुम चंद जैन ग्वालियर, कोषाध्यक्ष डॉ सुमेरचंद जैन दिल्ली, पंडित महावीर प्रसाद जैन आगरा, सुशील जैन दिल्ली, श्रीमती मंजुला जैन उज्जैन, अखिलेश जैन आदिश जैन इंदौर, के साथ-साथ परिषद के गणमान्य सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।