महासभा का कार्य प्रशंसनीय, महाराष्ट्र द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में आचार्य सौभाग्य सागर जी के उदगार

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श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा दिगंबर जैन समाज की सबसे प्राचीन, गौरवशाली, शिर्षस्थ संस्था है, इसके सामाजिक उत्थान के सभी कार्य प्रशंसनीय है, ईस की दिनों दिन उन्नति होती रहे ऐसे उदगार आचार्य श्री सौभाग्य सागर जी ने श्री मुनीसुव्रत नाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र पैठन में महाराष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में निकाले। उन्होंने कहा कि जैसे धर्म संरक्षिणी धर्म के संरक्षण का कार्य करती है, तीर्थ संरक्षिणी तीर्थोके,मुर्तियोके संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य करती है, श्रुत संवर्द्धणी धर्म शिक्षा एवं छात्रवृत्ति का कार्य करती है वैसे ही साधुओं की रक्षा,वैयावृति करणे हेतु श्रमण संवर्धन की शाखा भी महासभा की होना चाहिए ऐसे उदगार आ श्री ने निकाले।20 जनवरी शुक्रवार को अधिवेशन के प्रारंभ में पैठण क्षेत्र द्वारा संचालित श्री मिश्रीलाल पहाड़े ईग्लिश स्कूल के छात्रों द्वारा आए हुए सभी अतिथियों का लेझीम पथक द्वारा नृत्य करते हुए शानदार अगवानी की गई।

अधिवेशन का शुभारंभ श्री गजराज जी गंगवाल के कर कमलों द्वारा धर्म ध्वजारोहन से होने के पश्चात सौ मंजू मनोज पहाड़े, सौ दिव्या कपिल पहाड़े, सौ दीपा पहाड़े ने मंगलाचरण एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। महासभा के गणमान्य पदाधिकारियों के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मुनीसुव्रत नाथ भगवान के फोटो को पुष्प अर्पण किया गया। श्री मिश्रीलाल पहाड़ै जैन इंग्लिश स्कूल की छोटी-छोटी बालिकाओं द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। धर्म संरक्षिणी महाराष्ट्र प्रांत के अध्यक्ष डी यु जैन ने प्रास्ताविक किया। महासभा तीर्थ संरक्षिणीके महामंत्री महावीर ठोले ने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजराज जी जैन गंगवाल दिल्ली , राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रकाश जी बडजात्या चेन्नई का परिचय दिया। महाराष्ट्र प्रांत धर्म के अध्यक्ष डी यु जैन , तीर्थ संरक्षिणी के अध्यक्ष वर्धमान पांडेने गजराज जी गंगवाल का, कार्याध्यक्ष देवेंद्र काला,सुनील कासलीवाल मनमाड ने प्रकाश जी बडजात्या चेन्नई का शाल श्रीफल देकर माला पहनाकर स्वागत किया, मंचपर विराजमान सभी पदाधिकारियों का स्वागत करने के पश्चात आचार्य श्री देव नंदी जी गुरुदेव ,आचार्य श्री गुप्ती नंदी जी गुरुदेव, आचार्य श्री हेमसागर जी गुरुदेव आचार्य श्री मयंक सागर जी गुरुदेव एवं स्वस्ती श्री भट्ठारक जी के द्वारा प्राप्त महासभा को आशीर्वचन पत्रों का वाचन धर्म संरक्षिणी के महामंत्री अनुप पाटणी ने किया ,कार्याध्यक्ष देवेंद्र काला ने महाराष्ट्र प्रांत के संभागीय ,एवं जिल्हा इकाईयो के सभी पदाधिकारियों का परिचय दिया एवं कार्य के गतिविधियों की जानकारी दी ।

राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रकाश चंद जी बडजाते चेन्नई ने महासभा की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की ,महाराष्ट्र धर्म संरक्षिणी के अध्यक्ष डि यु जैन ने संगठन मजबूती करण पर अपने विचार प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हंसमुख गांधी इंदौर तथा सुभाष काला भोपाल ने महासभा को सशक्त करनेके लिए अपने विचार रखे, तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पुनीत जैन देहली ने जैन गजट के नवीनीकरण और बदले रंगीन स्वरूप की जानकारी देकर सभी उपस्थित लोगों से आधिकाधिक सदस्य बनाने के लिए आह्वान भी किया। तत्पश्चात राष्ट्रीय अध्यक्ष गजराज जी जैन ने प्रथम सत्र का समारोप करते हुए महासभा के मजबूती करण के लिए समाज से सुझाव के लिए आह्वान किया एवं समाज महासभा से क्या अपेक्षा रखती है यह जानने के लिए मैं यहां आया हूं। समाज अपने सुझाव रखे जिसपर निश्चित विचार करेगे ऐसा कहा।

भोजनोपरांत द्वितीय सत्र में तीर्थ संरक्षिणी महासभा महाराष्ट्र प्रांत के महामंत्री महावीर ठोले ने महाराष्ट्र प्रांत के एवं संभागीय ,जिल्हा इकाईयो के पदाधिकारियों का परिचय दिया ।राष्ट्रीय उपाध्यक्ष टी के बैद इंदौर ने संरक्षिणी महासभा का विस्तृत परिचय देकर महासभा को यु कोड लेना चाहिए ऐसा सुझाव दिया। तत्पश्चात संयुक्त महामंत्री संदीप जैन देहली ने महासभा के वेबसाइट की जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से सभाग्रह को दी तथा उपस्थित शंकाओं का समाधान किया ।एवं युवा संगठन हेतु आह्वान किया ।महाराष्ट्र तीर्थ संरक्षिणी महासभा के अध्यक्ष वर्धमान पांडे ने अपने उद्बोधन में महाराष्ट्र के कार्यों की गतिविधियों की जानकारी देकर, गणमान्य अतिथियों के माध्यम से श्री क्षेत्र पैठण के महामंत्री श्री विलास मिश्रीलाल जी पहाड़े को उत्कृष्ट तीर्थ सेवा गोरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया। धर्म संरक्षिणी राष्ट्रीय,महाराष्ट्र एवं मराठवाड़ा संभाग की ओर से श्री विजय कुमार रतन लाल जी पाटनी औरंगाबाद,फुलचंद जैन औरंगाबाद एवं श्री रविंद्रसा सुमती सा खडकपुरकर, देवुलगाव राजा को जीवन गौरव पुरस्कार देकर समाज रत्न पद से सम्मानित किया गया।

तृतीय सत्र में श्रृत संवर्धनी के महाराष्ट्र प्रांत के महामंत्री देवेंद्र बाकलीवाल ने सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का परिचय दिया ,अपने कार्य की जानकारी दी ।राष्ट्रीय महामंत्री डॉ निर्मल जैन दिल्ली ने श्रृत संवर्धनी की एवं छात्रवृत्ति की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। महाराष्ट्र श्रृत के अध्यक्ष नंदकुमार ठोले महाराष्ट्र प्रांत के गतिविधियों की जानकारी देकर धर्म शिक्षा, पाठशाला के प्रति रुचि कैसे बढ़ाई जाए इसका सुझाव दिया। श्रृत संवर्धनी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष सुमेर काला पुणे ,डॉक्टर कल्याण गंगवाल,सुनील कटारिया पुणे, राजेंद्र कासलीवाल मालेगाव, सुरेश अजमेरा नंदुरबार,महेन्द्र गंगवाल पुणे,भरत पापडीवाल औरंगाबाद, श्रीमती ज्योति पाटणी नागपुर, सौ निधि जैन नागपुर ने अपने विचार प्रकट कर महासभा को संगठित करने हेतु अपना उद्बोधन दिया।

तत्पश्चात आचार्य श्री सौभाग्य सागर जी ने उद्बोधन किया कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित न होने के लिए महासभा ने प्रयत्न करना चाहिए। उसी प्रकार प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करते रहना चाहिए क्योंकि वे अपने पूर्वजों की विरासत एवं जैन धर्म के प्रतीक है उनकी सुरक्षा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है वह अपनी संस्कृति की पहचान है उनका जतन करें और महासभा को तन मन धन से सहयोग प्रदान करें ।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महासभा के कोषाध्यक्ष श्री डूंगर मलजी गंगवाल की दीक्षा देकर अंतिम समाधि मरण मेरे ही सानिध्य में हुई। भरत कुमार काला महासभा के संयुक्त महामंत्री तथा जैन गजट के पूर्व संपादक ने सम्मेद शिखरजी में आ श्री पुण्यसागरजी से जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहणकर अंतीम समाधीमरण किया। जिनवाणी प्रस्तुति के पश्चात प्रथम दिन के अधिवेशन का समापन हुआ। तीन्हो सत्र का सूत्र संचालन महावीर ठोलेऔरंगाबाद, अनुप पाटणी औरंगाबाद, देवेंद्र कुमार बाकलीवाल  पुणे  ने कियी

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