भारत में सबसे आम गैर संचारी रोगों में से एक, समय पर उपचार जरुरी- डा. आकाश जैन
यमुनानगर, 14 जनवरी (डा. आर. के. जैन):
डायबिटीज जिसे सामान्यत: मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर उच्च होता है। मधुमेह भारत में सबसे आम गैर संचारी रोगों में से एक है। इसी विषय पर जानकारी देते हुये बैंगलौर श्री जयादेवा इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉज़ी के डी. एम. कार्डियोलॉजिस्ट डा. आकाश जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि मधुमेह एक बहुत ही बड़ी समस्या बनती जा रही है जो सभी के जिये चिंता का विषय बन रही है। उन्होंने बताया कि यदि सही समय पर मधुमेह का ईलाज़ न किया जाये तो यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान होना शामिल है। उन्होंने बताया कि मधुमेह का मुख्य कारण या तो अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती। इसके लिये मधुमेह के चार मुख्य प्रकार हैं,टाइप-1 डी. एम. पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटस या किशोर मधुमेह के रूप में जाना जाता था। इसके होने का कारण अज्ञात है। दूसरा प्रकार है टाइप-2 डी. एम. इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे-जैसे रोग की प्रगति होती है, इंसुलिन की कमी भी विकसित हो सकती है। इस फॉर्म को पहले गैर इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलेतुस या वयस्क-शुरुआत मधुमेह के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण अत्यधिक शरीर का वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है। गर्भावधि मधुमेह इसका तीसरा मुख्य रूप है और तब होता है जब मधुमेह के पिछले इतिहास के बिना गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्त शर्करा के स्तर का विकास होता है। सेकेंडरी डायबिटीज इस प्रकार की डायबिटीज इलाज करने मात्र से ही सही हो सकती है। डा. आकाश जैन ने इसके मुख्य लक्षण बताते हुये कहा कि मधुमेह के मरीज को बहुत ज्यादा और बार-बार प्यास लगती है, बारबार पेशाब आता है, लगातार भूख लगती है, दृष्टी धुंधली होना शुरु हो जाती है, अनायास वजन कम होना, चिड़चिड़ापन और अन्य मनोदशा कमजोरी और थकान को बदलते हैं, अकारण थकावट महसूस होना, घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना, बार बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना, खुजली या त्वचा रोग, सिरदर्द आदि होता है। उन्होंने बताया कि अगर हम अच्छा आहार और शारीरिक गतिविधि करें तो यह एक रोकथाम योग्य बीमारी है। एक बार मधुमेह का निदान हो जाने पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी उचित निगरानी की जाए। परिवार के सदस्य भी मरीज को नियमित और समय पर दवाएँ लेने, चीनी का सेवन कम करने और कम कार्ब आहार लेने की याद दिलाकर मदद कर सकते हैं। पूरे दिन भोजन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें। उचित मात्रा में फल और सब्जियां लें। रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें, उच्च फाइबर वाला आहार सुनिश्चित करें, धूम्रपान छोडऩे और संबंधित चिकित्सक से समय-समय पर जांच कराएं।
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha