हर जानवर अपनी अपनी प्रवत्ति पर खरा उतरता हैं ,यदि वह शाकाहारी हैं तो वह शाकाहारी रहेगा और यदि मांसाहारी हैं तो मांसाहारी रहेगा ,गाय ,बकरी ,भैस ,हाथी घोडा बन्दर आदि शाकाहारी हैं तो हैं और शेर ,चीता आदि मांसाहारी हैं तो वे हैं पर मानव एक ऐसा जानवर हैं वह दोनों प्रवत्तियों का स्वामी हैं .दूसरा मानव विवेकवान होने से अपने को श्रेष्ठ मानता हैं और हैं भी. आजकल हमारे यहाँ डेंगू ,चिकिनगुनिया आदि रोग बहुतायत से हो रहे हैं और होंगे उसका कारण हमारा प्रकृति से विपरीत होना और सामान्य नियमों को न मानना . वैसे यह संधिकाल होता हैं इसमें हमें पूर्व ऋतू की आदत छोड़कर नयी ऋतू की आदत को ग्रहण करना चाहिए .
शहर या गांव में पानी निकासी का प्रबंधन समुचित न होने से ,पानी या गन्दा पानी का ठहराव अधिक होने से और हमारी स्वयं की नादानी से रोग होते हैं ,रोग को आमंत्रण हम स्वयं देते हैं कारण हम इतने अधिक प्रगतिशील और विकासशील हो गए हैं की हमे अपने काम के,आय के लिए समय बहुत हैं पर जिसके लिए हम जी रहे हैं स्वास्थय /भोजन के लिए समय नहीं हैं .पता नहीं किस दिशा में कैसे अंतहीन दौड़ में दौड़ रहे हैं .मजे की बात यह हैं की आज यदि हम बीमार हो जाते हैं तो आराम के लिए समय नहीं देना चाहते हैं कारण अर्थ .काम अधिक जरुरी हैं .जबकि धरम के बिना कुछ नहीं होना हैं .धरम को आज हमने धार्मिक क्रियायों से मान लिया हैं पर धरम वास्तव में सदव्रत हैं यानि गुड कंडक्ट यानि सदाचार यानि नियमित दिनचर्या .
वर्तमान में अधिकांश लोग हाइपर एसिडिटी या अम्लता या अम्लपित्त रोग से पीड़ित हैं उसका मुख्य कारण अनियमित भोजन करना ,,यदि हम अनियमितता को नियमित करले तो हम उससे छुटकारा पा सकते हैं . पर नहीं हमें खाना खाने का समय नहीं हैं और फिर धनवान होने पर कुछ भी न खा सकोगे इससे ऐसा धन कमाने से क्या मतलब ?सिर्फ कागज़ के टुकड़े या सोने ,हीरा के धातु कंकड़ इकठ्ठा कर रहे हैं पर काजू किसमिस बादाम अखरोट खाने का समय नहीं हैं जो स्वास्थय के लिए लाभकारी और धातु ,कंकड़ मन के लिए सुखद हो सकते हैं !
इस समय जितने भी रोग हो रहे हैं उनके नाम विभिन्न हो सकते हैं और हर चिकित्सा पद्धति में अलग अलग नाम दिए गए हैं पर रोग के लक्षण प्रायः एक ही होते हैं .चाहे डेंगू ,चिकिनगुनिया ,आयुर्वेद में वातज ज्वर ,विषमज ज्वर या दोषज ज्वर उनका मूल कारण हमारी जीवन शैली ,आहार ,विहार ,अनियमित दिन चर्या .इस विषय पर चर्चा करना व्यर्थ हैं कारण हमें नहीं सुधरना हैं ,और तर्क अपने अपने ,कोई किसी से कम नहीं . और सब जानते हैं और कुछ नहीं मानते हैं
वर्तमान में फैलने वाले रोग का मुख्य कारण मच्छर हैं और मच्छर साफ़ या गंदे इकठ्ठे पानी में पनपते हैं .इतना सा सूत्र और सरकार .स्थानीय प्रशासन हमको समझाइश देते हैं पर हम क्यों माने ?कारण हममे रोग से लड़ने की क्षमता नहीं हैं पर पैसा खरच करने की ताकत हैं जिससे रोग मुक्त हो सके!,परन्तु बचाव ही उत्तम चिकित्सा हैं .इन रोगों के बारे में बहुत कुछ जानकारियां समाचार पत्र ,रेडियो ,टेलीविज़न के द्वारा दी जारी हैं और हमारे देश में ज्यों ज्यों बचाव बताये जाते हैं त्यों त्यों रोग बढ़ता हैं और नित्य मौते हो रही हैं .अच्छी बात यह हैं की बेचारा मच्छर यह नहीं जानता की वह किसी धनवान को या निर्धन को काट रहा .एक समय हैज़ा का चलन बहुत था तो एक रिश्तेदार ने अपने रिश्तेदार को खत लिखा ,भाई साहब हम सब यहाँ अच्छे से हैं आप भी होंगे.हमारे मोहल्ले में हैज़ा फैला हैं और रोज दो चार लोग मर रहे हैं ,आप कब आ रहे हैं !
आजकल कोई भी किसी बड़े बुजुर्ग की कोई बात नहीं सुनता ,न धार्मिक गुरुओं की बात मानता जो फ्री में सलाह देते हैं .हम सलाह फ्री की पर कोई भरोसा नहीं करते जब तक उसमे शुल्क न लगे .जैसे डॉक्टर ,वकील ,इंजीनियर ,ज्योतिषी आदि के पास जाओ और फीस दो तो वह पत्थर की लकीर हो जाती हैं . क्या करे आज बहुत धनवान हैं और अधिकतम गरीब हैं पर कोई सलाह नहीं मानता .घर में मच्छरदानी का उपयोग न करके रासायनिक सामग्रियों का उपयोग में अपनी शान समझते हैं जो पैसे के साथ आपके ऊपर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं .कारण हम एक में एक फ्री के आदि हो गए हैं !
यह समय रोग प्रधान समय हैं ,हर व्यक्ति रुग्ण हैं और वह दवा पर या दारु पर जीवित हैं दारु वालों का तर्क की इसमें जहर होआ हैं तो वह शरीर के जहर को ख़तम करता हैं इसलिए हम रोगी नहीं होते और दवा खास कर एलॉपथी एक के साथ एक फ्री पर विश्वास करती हैं .कोई भी अंग्रेजी दवा खाओ उसके साइड इफेक्ट्स या रिएक्शन हमें मुफ्त में मिल जाते हैं इस पर सहमति या असहमति हो सकती हैं पर है सच्चाई !
में रोग के लक्षण इलाज के बारे में नहीं बताऊंगा कारण डॉक्टर को जीवन यापन करना हैं तो जब आप स्वयं पीड़ित होंगे तब मेरी सलाह नहीं मान्य होंगी ,क्योकि मैं बहुत दूर बैठा हूँ ,दूर से किया गया इलाज सफल कम होते हैं .उसे कहते हैं तीर नहीं तो तुक्का ,आप पडोसी या विश्वनीय डॉक्टर ,वैद्य ,हकीम के पास जाओ इलाज कराओ .मैं मात्र सलाह यह दूंगा की डॉक्टर ,केमिस्ट के प्रति वफादार रहना हैं तो मच्छरदानी का या बचाव का पालन मत करो ,न पानी अलग करो ,न गन्दगी हटाओ इससे कई लोगों को फायदा होता हैं .और अंत में जब बीमारी असाध्य हो जाये तो यह संसार अनित्य हैं ,जीवन क्षण भंगुर हैं तो इससे लगाव क्यों ?कौन आप पहले व्यक्ति हैं जो संसार छोड़ कर जा रहे हो. तुमसे पहले कितने आये और मर्त्यु दर हमेशा सौ प्रतिशत होती हैं ! हाँ कोई जल्दी या देरी से जाता हैं .यह सुनिश्चित हैं .
हमने यदि स्वाभाव और बचाव सीख लिया तो
हम बच सकते हैं अचानक होने वाली व्याधियों से
हां यदि बहुत अमीर हैं या गरीब कितना बचेंगे कब्रिस्तान से
स्वस्थ्य शरीर ,मन,इन्द्रियां ,आत्मा का दर्शन कराने का माध्यम हैं
वर्ना घुट घुट कर मरना ही हैं उनको जो न माने सयानों की सीख
डॉक्टर अरविन्द जैन शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753
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