क्या हम धर्मभृष्ट हो चुके ?!! – विद्यावाचस्पति—डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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जिस प्रकार हमारे देश की संस्कृति ,इतिहास को मिटाने या बदल देने का प्रयास आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व लार्ड मैकाले ने अपनी तीक्षण बुद्धि से ,दूर दृष्टि से भारत की सभ्यता ,संस्कृति को नष्ट करने उसने इंग्लिश माध्यम की शिक्षा देकर हमें जानकार बनाया और इससे हम लोग विश्व स्तर पर अध्ययन कर जानकारी पा सके और हम जानकारियों से युक्त होकर ज्ञानवान बन गए और साथ में अपनी अपनी विरासत को भूलने में मशगूल हो गए और अपनी धरोहर से विमुख होते चले गए और हम अंग्रेजीमुखी होकर अपनी भाषा के प्रति दूर होते गए और भारत की अन्य भाषाओँ जैसे तमिल,तेलगु मलयालम ,कन्नड़ ,आदि आदि भाषाओं ने हमें बाँट दिया और हम एक दूसरे को दुश्मन की दृष्टि से देखने लगे और आज से सौ वर्ष पहले हिंदी राष्ट्र भाषा मानी जाय की जंग जारी हैं और यह धूमिल हो रही.हम अपने अपने में बहुत गुणगान करे पर यथार्थ यही हैं ,हिंदी सर्वमान्य नहीं हो पायी न होंगी जब तक राज्याश्रय प्राप्त नहीं होगा. यह हुई वैचारिक क्रांति और क्षद्यम आक्रमण .
इसी प्रकार हमको भ्र्ष्ट करने सरकार ,व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ा षडयंत्र हमारे खाद्य पदार्थों के साथ किया जा रहा हैं और इस क्षेत्र में इतनी सेंध मारी हो चुकी हैं जिससे अब मुक्त होना असंभव हैं या अकल्पनीय हैं .आप इस प्रकार घिर चुके हैं जैसे अभिमन्यु चक्र्व्यू में फंस कर मारा गया .इसी प्रकार हम भी इतने अधिक खानपान के मामले में इतने अधिक षड्यंत्र के अंतर्गत नित्य हर खान पान में मरे जा रहे हैं .क्या हम अपने आपको पूर्ण शाकाहारी मानते हैं ! कदापि नहीं ,हम पूर्ण माँसाहारी हो चुके .हां हम धार्मिक आस्तिकजरूर हैं पर जो हमारे साथ धोका /छलावा हो रहा हैं उससे हम कितने अनजाने हैं .!
केंद्र सरकार यह विचार कर रही हैं की अब कैप्सूल जो की जिलेटिन से बनता हैं और जिलेटिन पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन और एमिनोएसिड से बनाया जाता हैं इसके अलावा पशुओं की हड्डी ,खुर सींग से भी बनाये जाते हैं तो इसका मतलब हम दवा के द्वारा अभक्ष्य वस्तु का सेवन कर रहे हैं .अब सरकार वस्पति से बनने वाले सेल्यूलोज़ से बनवाने की तैयारी कर रही हैं .इसका आशय हम वर्षों से मांसाहार का अप्रत्यक्ष्य में भक्षण कर रहे हैं .क्या हम इससे भ्रष्ट हुए न माने जावे ?
यह एक बानगी हैं अब इसको समझने के लिए सरकार ने additives अर्थात अंतर घटक ,पदार्थ चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी घटकों से बना हो ,उसे अपेक्षित स्वाद ,स्वरूप ,गुणधर्म ,टिकाऊपन आदि प्रदान करने के लिए जो सैकड़ों प्रकार के additives हैं उनमे अनेकों का स्त्रोत मांसाहारी हैं .यूरोपियन कानून के तहत अंतर घटको की पहचान हेतु नंबर दिए गए हैं जिसे E के आगे लिखा जाता हैं. इसे इ नंबरिंग सिस्टम कहा जाता हैं .
100 कलरिंग एजेंट्स 200 कन्सेर्वटिव एजेंट 300 एंटी ऑक्सीडेंट्स 400 एमुल्सिफिएर्स ,स्टैबिलीज़र ,और थिकर 500 एंटी कोएगुलांट्स 600 टेस्ट एन्हांसर्स 900 मॉडिफाइड स्टार्च .
ये कोड नंबर पूरे विश्व में लागु हैं जिस समय आप कोई वस्तु खरीदे /खाये /उपयोग करे तो इसके अनुसार बहुत नंबर दिए गए हैं जिन्हे देखकर आप समझ सकते हैं की इसमें क्या मिला हैं और इसका स्त्रोत क्या हैं .उत्पादों पर अत्यंत छोटे अक्षर में लिखा जाँच पड़ताल के बाद उपभोक्ता उपयोग करे या बहिष्कार करे.
animal derived ( प्राणीजन्य स्त्रोत ) इ 120 ,इ 153 ,इ 422 ,इ 441 ,इ 442 ,इ 471 ,इ 485 , इ 488 ,इ 542 ,डी 626 ,डी 631 इ 635 ,इ 635 ,इ 904 इ 910 ,इ 920 इ 921 इ 1100 इ 1105 ,
POSSIBLY ANIMAL DERIVED – इ २५२ से लेकर ६४० आप गूगल पर टाइप कर देख सकते हैं .
SPECIFICALLY HARMFUL TO CHILDREN —- विशेष रूप से बच्चों को हानिकारक
इ १०२ इ १०४ इ १०७ इ ११० इ १२० इ १२२ इ १२३ इ १२४ इ १२८ इ १३१ इ १३२ इ १३३ इ १५१ इ १५४ इ १५५ इ १६० बी , इ १६२,इ २१० ,इ २१२ इ २१३ इ २१४ इ २१५ .इ २१६ इ २१७ इ २१७ इ २१८,E २१९ .इ २५० , इ २५१ इ २९६
ऐसे हजारों खाद्य पदार्थ हमारे घरों में न प्रवेश कर जाए इससे आप सतर्क रहे .इसके अलावा कुछ नाम बताना चाहूंगा —
१ आइस क्रीम — इसमें ५५% हवा और ३५ ५ गंदे पानी के लिए पैसा देते हैं इसमें माँसाहारी पशुओं के नाक ,कान ,गुदा के भाग कत्लखानों से प्राप्त कर ऊपरी परत चढाई जाती हैं ताकि मुंह में जाने के साथ चम्मच पर चिपका रहे ,पिघले नहीं ,साथ ही अंडा चर्बी का दूध शक्कर और एस्सेंस मिलाया जाता हैं .
२ जिलेटिन — इसका उपयोग ऐसे क्रीम ,जैली ,केक ,शैम्पू ,कॉस्मेटिक दवाओं में किया जाता हैं .
३ चॉकलेट — जानवरों की चर्बी ,अंडे की जर्दी ,आदि मिला कर बनायीं जाती हैं .नेस्ले की किटकेट कॉफ रेनेट यानि बछड़ों की अमाशय से प्राप्त होने वाले एसिड से मिलती हैं .
४ वर्क — सोने चंडी का वर्क गाय या भैस की ताज़ा आँतों पर रख कर कूट कर बनाया जाता हैं इसका उपयोग मिठाई ,पान सुपारी आदि में किया जाता हैं .
५ बॉन चाइना क्रॉकरी — बॉन यानि हड्डी अउ
अर्थात जो हड्डी बारीक पीसकर सांचे में ढाल कर भट्टी में पकाकर चमकदार कप ,प्लेट ,डाइनिंग सेट आते हैं उसमे हड्डी का पाउडर भी आता हैं .
६ पान मसाला ,गुटका — मादकता लेन छिपकली की पूंछ का प्रयोग होता हैं जिससे आगे चलकर मुँह खुलना कम होकर मुँह का कैंसर होता हैं .
७ कोल्ड ड्रिंक्स —– कोल्ड ड्रिंक में ग्लिसेरॉल मिला दिया जाता हैं जो मृत जानवरों से पाया जाता हैं .इसके साथ कार्बोलिक अम्ल ,फॉस्फोरिक अम्ल ,बेंज़ोइन रसायन साइट्रिक एसिड ,मिठास के लिए एम्पेरटेम क्रीम एवं ज्यादा समय तक ख़राब न हो तो सोडियम बेंजोएट जो कैंसर का कारण होता हैं और आँतों की सड़न पैदा करता हैं .
सभी शीतल पेयों में हानिकारक कीटनाशक मौजूद हैं मिरिंडा में ३० गुना ,कोकाकोला में ७५ गुना , फेंटा में ४३ गुना .पेप्सी में २५ गुना स्प्राइट में ११गुणा, लिम्का में ३० गुना , थम्स अप में २५ गुना अधिक मात्रा में सिर्फ भारतीय बाजार में उपलब्ध हैं.अमेरिका में शून्य गुना हैं !!!
इस प्रकार बहुत लम्बी सूचि हैं पर आप कुछ सतर्कता बरते तो अवश्य कुछ हद तक आप सुरक्षा कवच में रहेंगे. मेने आपके सामने एक लक्षमण रेखा खींचने का प्रयास किया हैं इससे किसी एक भी पाठक में सुधार आ जाए तो लेख को सफलीभूत मानूंगा .
सोते को जगाना सरल हैं ,पर जो बन कर सो रहा उसको मुश्किल ,
जो सतर्क हो जाये वह उत्तम और जो पढ़ कर सतर्क न हो वह श्रेष्ठ
जीवन आपका और पसंदगी आपकी ,मेरा काम जगाना और चेताना
मुझे मालूम हैं यह सीख ख़राब हैं ,यह अहसास अभी नहीं होगा
जब चंगुल में फंस जाते हैं और अँधेरा छा जाता हैं आँखों में
तब मन की आँखें धिक्कारती हैं ,तब चिड़िया चुग गयी खेत
समय की चेतवानी हमेशा लगती ख़राब क्योकि
मनमानापनपर रोक लग जाती हैं बंधू ,
कृपया धैर्य से पढ़े गुने और अपने को बचाये
विद्यावाचस्पतिडॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद्र जैन शाकाहार परिषद् भोपाल 09425006753

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