मानव में रोग के स्थान दो होते हैं मन और शरीर ,शरीर को हम भौतिक रूप से देखते हैं और उसमे होने वाली विकृतियों को हम देख ,समझ लेते हैं ,और दूसरा मन जो हमारे शरीर में स्थित हैं। जब तक हम मन के सम्बन्ध में नहीं समझेंगे तब तक हम उसमे होने वाली विकृतियां नहीं समझ सकते हैं।
लक्षणम मनसो ज्ञानस्याभावो भाव एव च। सति ह्रत्मेंद्रिययार्थनाम सन्निकर्षे न वर्तते।।
वैवर्तामानसो ज्ञानं सन्निध्यात्तच्च वर्तते। (चरक शारीर स्थान १)
मन के लक्षण — आत्मा ,इन्द्रिय और अर्थों (विषयों ) का संयोग होने पर जब मन का संयोग होता हैं तब ज्ञान होता हैं। आत्मा,इन्द्रिय और अर्थो का संयोग होने पर भी मन का सान्निध्य न हो तो ज्ञान नहीं होता हैं। इस प्रकार ज्ञान का न होना और ज्ञान का होना मन का लक्षण कहा गया हैं।
अणुत्व चैकत्वं द्वौ मनसः स्मृतौ। (चरक शारीर स्थान १ /१९ )
मन के गुण — अणु होना और एक होना दो गुण मन के होते हैं।
चिन्त्यं विचार्यमुहमम च ध्येयम संकल्पयमेव । यत्किंचिन्मानसो ज्ञेयं तट हराथसंज्ञकं।
मन के विषय — चिन्त्य ,विचार्य ,युहय ,ध्येय ,संकल्प्य और अन्य जो भी सूख-दुःखादि मन द्वारा जाने जाते हैं ,वे सब मन के विषय हैं।
इन्द्रियभिग्रहः कर्म मनसः स्वस्य निग्रहः। ऊहो विचारश्च ,ततः परं बुद्धिः प्रवर्तते।।
मन के कर्म — इन्द्रियों में अधिष्ठित होकर उसका सञ्चालन करना ,स्वयं अपने को अपने से ही अहित विषयों से रोकना ,ऊहऔर विचार करना मन का कर्म हैं। इसके बाद बुद्धि प्रवृत होती हैं।
इस प्रकार आयुर्वेद ग्रन्थ में मन का सम्बन्धमें मन , शरीर आत्मा ,इन्द्रियों ,के संयोग को आयु कहते हैं। और जिस वेद ,विज्ञान में/से इनका ज्ञान प्राप्त होता हैं उसे आयुर्वेद या आयुर्विज्ञान कहते हैं। क्योकि शरीर में ही आत्मा ,मन और इन्द्रियां होती हैं। शरीरमें स्थित दोष ,धातु ,मलों समान अवस्था के साथ जिसकी आत्मा ,मन और इन्द्रियां प्रसन्न हो उसे ही स्वस्थ्य कहते हैं।
वर्तमान में कोरोना के कारण हमारा समाज अनेक प्रकार के भयों से ग्रसित हैं ,उसके बाद बीमारी का भय ,व्यापार का भय ,नौकरी का भय ,सामाजिकता का भय ,आत्मविश्वास की कमी से ग्रसित होकर पूरा वातावरण अज्ञात भयो से ग्रसित हैं।
इस समय जो व्यक्ति टी वी पर कोरोना से सम्बंधित समाचार देखते या समाचार पत्र पढ़ते हैं वो भी कोरोना के भय से मानसिक रोगों से ग्रसित हो रहे हैं। उनको इससे बचना चाहिए।
क्या आपको डर लगता है?
ज्यादातर लोगों को किसी न किसी चीज से डर लगता है। बल्कि दूसरे शब्दों में कहें तो, डर हम सभी के भीतर पाया जाता है। ये किसी में कम और किसी में ज्यादा हो सकता है, लेकिन जब डर जरुरत से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लेता है, इसी को फोबिया /दुर्भीति कहते हैं।
यह ‘फोबिया’ ग्रीक शब्द ‘Phobos’ से निकला है। अगर आप जरुरत से ज्यादा और बिना किसी कारण के डरते हैं तो ये फोबिया है। अगर आप फोबिया के शिकार हैं, तो जिस चीज से आप डरते हैं उसका सामना होने पर आपको बहुत ज्यादा डर लगेगा। हो सकता है कि नर्वस/निराश भी हो जाएं।
ये डर किसी खास जगह, स्थिति या चीज से लग सकता है। चिंता के सामान्य विकार से हटकर फोबिया अक्सर किसी चीज से जुड़ा होता है।
फोबिया के असर से आपको बहुत ज्यादा तकलीफ का सामना भी करना पड़ सकता है। ये भी संभावना होती है कि ताकत होते हुए भी आप प्रतिक्रिया देने में ही सक्षम न हो पाएं। ये डर आपके काम, स्कूल और निजी रिश्तों में भी दखल दे सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक, लगभग 19 मिलियन अमेरिकी नागरिक किसी न किसी फोबिया के शिकार हैं। फोबिया, उनकी निजी जिंदगी में मुसीबत की वजह बन चुका है।
फोबिया और डर
फोबिया और डर, दोनों में काफी अंतर है। डर एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जो आमतौर पर किसी से धमकी मिलने या डांट पड़ने पर होता है। ये बेहद सामान्य बात है और कोई बीमारी नहीं है। लेकिन फोबिया, डर का खतरनाक और अलग ही लेवल है। फोबिया में डर इतना ज्यादा होता है कि इंसान इसे खत्म करने के लिए अपनी जान पर भी खेल सकता है।
फोबिया के कारण
जेनेटिक और पर्यावरण के फैक्टर की वजह से भी आप फोबिया के शिकार हो सकते हैं। ऐसे बच्चे जिनके परिवार के किसी सदस्य को एंग्जाइटी डिसऑर्डर की शिकायत रही हो, वह भी फोबिया के शिकार हो सकते हैं।
इसके अलावा तनाव देने वाली घटनाएं, जैसे किसी की मृत्यु हो जाना, किसी का डूब जाना भी फोबिया को जन्म दे सकती हैं। संकरी जगहों, ऊंची जगहों, जानवरों और कीड़े के काट लेने का भय भी ऐसे फोबिया को जन्म दे सकता है।
कुछ खास मेडिकल समस्याओं का इलाज करवा रहे लोग भी फोबिया के शिकार हो सकते हैं। ऐसा पाया गया है कि ब्रेन की सर्जरी होने के बाद कई लोगों के मन में अजीब से फोबिया जन्म लेते हैं। कई बार जरूरत से ज्यादा डांट-फटकार और डिप्रेशन के कारण भी फोबिया हो सकता है।
फोबिया और सिजोफ्रेनिया
फोबिया के लक्षण आमतौर पर गंभीर मानसिक रोगों जैसे सिजोफ्रेनिया से अलग होते हैं।
सिजोफ्रेनिया में, लोगों को पास की चीजों को देखने और सुनने में भ्रम होता है। धुंधला दिखना, किसी चीज के होने का भय होना, नकारात्मक लक्षण जैसे कि एनाडोनिया /विषय -सुःख और कई अव्यवस्थित लक्षण भी होते हैं।
फोबिया बेवजह भी हो सकता है। लेकिन फोबिया वाले लोग किसी वस्तु का वास्तविक रूप पहचानने में कई बार गलतियां कर देते हैं।
फोबिया के लक्षण
फोबिया के बहुत सारे लक्षण होते हैं। इन लक्षणों से आसानी से फोबिया का पता लगाया जा सकता है।
दिल की धड़कन का बहुत तेज हो जाना।
सांस लेने में समस्या होना।
तेज न बोल पाना या बोल ही न पाना
मुंह सूखना।
पेट में मरोड़ उठना।
ब्लड प्रेशर बढ़ जाना।
हाथ पैरों में कंपकपी होना।
सीने में दर्द या घबराहट होना।
चक्कर आना या हल्कापन महसूस होना।
बहुत ज्यादा पसीना आना।
फोबिया के प्रकार