मदनगंज – किशनगंज, परम मुनीभक्त, दानवीर, व्यवहार ज्ञान में निपुण, समाज हितैषी, भद्र परिणामी, इतनी ऊंचाइयों पर जाकर भी अपने मूल स्वरूप को ना भूलने वाले तथा चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष, जन-जन के प्रिय श्री कन्हैया लाल बड़जात्या का आज उनके निवास – विनायक नगर में आकस्मिक निधन हो गया I
श्री कन्हैया लाल जी का व्यक्तित्व – कृतित्व हम निम्न पंक्तियों से समझ सकते हैं –
जहां उपस्थित होते थे, सब उनको प्यार करते थे,
जहां से चले जाते थे सब उनको याद करते थे,
जहां पहुंचने वाले होते थे, सब उनका इंतजार करते थे I
परिवार में तो उनकी कमी होना स्वाभाविक है, समाज में भी उनकी कमी सदियों तक खलती रहेगी, जीना तो उसी का सार्थक है I
कन्हैयालाल जी बड़जात्या ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि मेरे पास उनके लिए कुछ शब्द है –
सुनकर कोई अनसुना करें, ऐसी उनकी आवाज नहीं,
किसी महफ़िल में छुप जाए, ऐसे उनके अंदाज नहीं,
मिलकर कोई भूल जाए उनको, ऐसे उनके अल्फाज नहीं ,
सूरज से चमकते थे वह, किसी परिचय के मोहताज नहीं I
अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं , जो उनके पदचिन्हो पर चलता है I मरवा वाले बड़जात्या परिवार का नाम समाज में बहुत ही प्रतिष्ठा के साथ लिया जाता है I
भगवान से यही प्रार्थना है कि उनको सद्गति प्राप्त हो व शोक – संतृप्त परिवार को यह कष्ट बर्दाश्त करने का साहस मिले I
श्री कन्हैया लाल बड़जात्या श्री आचार्य वर्धमान सागर के साथ-साथ तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर जी महाराज के चरण रज सेवक थे I
* शेखर चंद पाटनी – राष्ट्रीय संवाददाता*