वर्तमान में प्रधान मंत्री मोदी जी को धुआंधार शिलान्यास /उदघाटन का बहुत सवार हैं .उनको विश्व रिकॉर्ड बनाना हैं की उनके कार्यकाल में कितनी उपलब्धिया मिली और लोक कल्याण में कितनी अभी तक रशियन व्यय किया गया .इसके बाद उनको नोबेल पुरुस्कार मिलेगा .और मिलना भी चाहिए .उनके द्वारा कितनी राशियों की रेवड़ियां बांटी गई और कितनी बाकी हैं .एक बात समझलो नाम तो स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा और पदच्युत होने पर नाम होगा वह भूतपूर्व नाम लगेगा .
पूरा लेखा जोखा करने पर विकास के साथ विनाश भी किया गया हैं .उनके इस प्रकार के निर्माण कार्यो में अपने निजियों को उपकृत किया गया हैं .जब सत्ता परिवर्तन होगा तब उनके द्वारा कितना अन्य -आय (सुविधा शुल्क )दिलाया गया .जाँच का विषय होगा .वे स्वयं कितने भी ईमानदार होंगे पर उनका हाल अलीबाबा चालीस चोर की भूमिका अपनायी गयी हैं .उन्होंने चालीस चौरों को लूटने के लिए छोड़ा हैं .केन -वेतवा परियोजना जितनी लाभकारी होंगी उससे अधिक हानिकारक होंगी .
हर सिक्के के दो पहलु होते हैं .इसी प्रकार हर बात के दो पक्ष होते हैं लाभ और हानि .आजकल हमने विकास के नाम पर इतने अवैज्ञानिक योजनाओं को स्वीकार कर लिया हैं की उससे होने वाले लाभ अहनि भविष्य के लिए कितने कष्टदायक होंगे . वैसे नदियों का जोड़ना अवैज्ञानिक हैं .हर नदी के जल का अपना निजी स्वरुप होता हैं उसकी प्रकृति अलग होती हैं .वैसे जल या पानी की संरचना हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से होती हैं और उसकी गुणवत्ता का स्थान अलग होता हैं और जब एक दूसरे को जोड़ाजाता हैं तब दोनों का जल डिनेचर्ड हो जाता हैं और वे अपनी स्वाभिवकता त्याग देते हैं .
सबसे पहले इस परियोजना से पन्ना नेशनल पार्क के जीवों पर कितना घातक पराभव पड़ेगा. इस परियोजन की लागत 18000 करोड़ के लगभग होंगी वर्तमान में और कार्यान्वन के समय तक डेढ़ गुना होना निश्चित .इसके लिए 9000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना होगा जिसमे लगभग 5017 हेक्टेयर भूमि पन्ना नेशनल पार्क की होगी . जिसके लिए सर्कार को अरबों रूपए की जरुरत पड़ेंगी और जंगलों का नुक्सान अकल्पनीय होगा. इसके अलावा अनेकों गॉंव को खाली कराकर उनका पुर्नस्थापन करना होगा जिसके लिए करोड़ों रुपयों की जरुरत होंगी.
नौरादेही ,दुर्गावती (दमोह ) और रानीपुर (उत्तर प्रदेश ) ऐसे तीन राष्ट्रीय पार्क प्रभावित होंगे तथा उनके बफर जोन के लिए अरबों रूपए खरच करना होंगे.और हज़ारों हैक्टर ज़मीन को लेकर घने जंगल बनाये जायेंगे. दोनों नदियों को जोड़ने में 221 किलोमीटर की लम्बाई होंगी तथा एक बांध दौधन खजराहोः के पास बनाया जायेगा . जिनसे दो पावर प्रोजेक्ट बनेंगे और प्रत्येक से ७८ मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा . यहाँ का पानी बरुआसागर झील में और बेतवा में आएंगे.
इस परियोजना से 3 ,69 ,881 हेक्टेयर भूमि छतरपुर ,टीकमगढ़ पन्ना जिलों की और 2 ,65 ,780 हैक्टर महोबा ,बांदा और झाँसी जिलों की भूमि को सिंचित किया जाएंगे. इससे 13 .42 लाख आबादी को लाभ होगा. तथा हजारों घरों का विस्थापन होने से आबादी प्रभावित होगी तथा अनेक वनस्पतियां ,जीव जंतु की प्रजातियां जैसे गिद्ध आदि समाप्त हो जाएँगी .
उपरोक्त वर्णन से यह ज्ञात होता हैं की सरकार इस परियोजना के माध्यम से कितना लाभ देंगी और कितना विनाश होगा . जहाँ वह सिचाई का साधन बन आरही हैं उसके समान्तर वह के निवासियों का विस्थापन होने से होने वाली परेशानियां और अनेक प्राकृतिक संसाधनों का नुक्सान ,और अनेकों जीवों ,बनस्पतियों का नुक्सान होगा .
सबसे प्रमुख बात यह हैं की जब दो नदियों का पानी मिलेंगे तब तब प्रत्येक पानी की गुणवत्ता समाप्त हो जाएँगी और विकाश के नाम पर होने वाले विनास का कोई मूल्य सरकार के पास नहीं हैं ,सरकार विस्थापन के नाम पर बन्दर बाँट कर असंतोष को जन्म देंगी और आंदोलन होंगे और हजारों लोगों की बलि चढ़ेंगी और अरबों रुपयों का खेल होगा .
इस बात पर ध्यान जरूर रखे की जनता के लिए और उनके हितों का ध्यान रखकर काम करे तो उचित होगा .अन्यथा विनाश अधिक होना ,अर्थ का नुक्सान ,जनता में असंतोष और पर्यावरण को नुक्सान कर ऐसी परियोजना लाना उचित नहीं होगा, .
वर्तमान में विकास की जानकारी उत्तराखंड ,हिमाचल प्रदेश आदि प्रांतों में देखने मिल रहा हैं जहाँ मौतों का तांडव के साथ भवनों ,होटल्स ,पहाड़ों का कितना नुक्सान हो रहा हैं .प्रकृति का दोहन और खिलवाड़ करना अंत में नुकसानदायक ही होगा .अभी भी पुनर्चिन्तन का समय हैं .
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753
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