जोनल कराटे प्रतियोगिता का हुआ आयोजन, बच्चों ने दिखाई प्रतिभा
यमुनानगर, 3 जून (डा. आर. के. जैन):
हाल ही में ब्लूमबर्ग स्कूल जोडिय़ां में सी. आइ. एस. सी. ई. बोर्ड की स्कूल गेम के जोनल कराटे प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। स्कूल द्वारा यह आयोजन करवाने का दायित्व शहर की बामनिया अकैडमी और यूथ कराटे एसोसिएशन ऑफ यमुनानगर को दिया गया। स्कूल के प्रिंसिपल अनू कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रतियोगिता में सी. आइ. एस. सी. ई. बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों जैसे ब्लूमबर्ग स्कूल, संत थॉमस स्कूल, संत कबीर स्कूल के खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता को सफल बनाने में यूथ कराटे एसोसिएशन ऑफ यमुनानगर से मानयता प्राप्त ऑफिशियल पैनल सदस्य सुरेंद्र राणा, सोनिया, शिवांशु, सूरज, संजू, रजत और कोच कुसुम देव ने अपनी भूमिका निभाई। ब्लूमबर्ग स्कूल के कोच और यूथ कराटे एसोसिएशन के महासचिव ने बताया कि इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से श्वेता ने भाग लिया साथ ही एशियन जज एवं रेफरी और पूर्व इंडियन टीम कोच हेमंत शर्मा, इंडसन बैंक के मैनेजर एंड एरिया इंचार्ज अमित बिग, यूथ कराटे एसोसिएशन के संरक्षण जनक राज और उप प्रधान नरेंद्र सिंह विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । प्रिंसिपल अनु कपूर ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि ब्लूमबर्ग स्कूल के लिए गोल्ड मैडल जीतने वाले खिलाडिय़ों में ग्रेवल, दरयांश, कनाव सेन, विहान शर्मा, एकम प्रीत सिंह, शौर्य, तनिष्का, खनक और वर्णिका शामिल है। सिल्वर मेडल पाने वालों में मनकीरत कौर, पूजा सैनी, यासमीन, दिव्यांशी और मान्य शामिल है। यह विजेता खिलाड़ी आगे ओरिजिनल चैंपियनशिप में स्कूल का प्रतिनिधित्व करेंगे।
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कार्यक्रम में भाग लेते खिलाड़ी…………….(डा. आर. के. जैन)
बच्चों का न आंख मिलाना, न ध्यान से सुनना, बदलते व्यवहार से पैरेंट्स चिंतित
टीनएजर्स की बदलती आदतों को लेकर लोग ले रहे है एक्सपर्ट्स की मदद
यमुनानगर, 3 जून (डा. आर. के. जैन):
बच्चों को बदलता व्यवहार बहुत से परिवारों व पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस बारे में जानकारी देते हुये पूर्व प्राचार्य सुरेश पाल ने बताया कि आजकल कई पेरेंट्स अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर चिंतित है। बच्चों की नजरें चुराना, ढीली बॉडी लैंग्वेज, मुंह बनाना या बातों को अनसुना करना आम हो गया है। ये संकेत सिर्फ चिड़चिड़ेपन के नहीं, बल्कि कम आत्मविश्वास और संवादहीनता के हो सकते हैं। यही वजह है कि अब पेरेंट्स इमेज कंसल्टेंट्स, साइकोलॉजिस्ट और बिहेवियरल एक्सपर्ट्स की मदद ले रहे हैं, ताकि बच्चों का आत्मविश्वास और कम्युनिकेशन स्किल्स सुधर सकें। इस तरह की समस्याएं बच्चों में काफी आम हो रही है और लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि खासकर कोविड के बाद बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि इसका बहुत बड़ा कारण है मोबाइल की लत। बच्चे लगातार मोबाइल में व्यस्त रहते है, कोई कुछ पूछे तो जवाब बस हां, ठीक है या पता नहीं तक सीमित होता है। ना आंखों में आंखें मिलाना, न किसी बात पर प्रतिक्रिया देना उनकी आदत में शामिल हो चुका है। पेरेंट्स का मानना है कि उनके बच्चे भावनात्मक रूप से दूर होते जा रहे है, इस वजह से उनको एक्सपर्ट की सहायता लेनी पड़ती है। उन्होंने आगे बताया कि बच्चों में आत्मविश्वास की बहुत कमी आ रही है। बहुत से बच्चे व बच्ची घर में हमेशा झुकी हुई बॉडी लैंग्वेज में रहते है। चेहरे पर हाव-भाव नहीं होते, और किसी विषय में उत्सुकता नहीं दिखती। स्कूल में पढ़ाई में बढिय़ा प्रदर्शन होने के बावजूद घर में वह खुद को अलग-थलग रखते है। ऐमे में पेरेंट्स को लगता है कि उसके बच्चे का आत्मविश्वास खत्म हो रहा है, इस लिए उन्होंने अपने बच्चे को एक्सपर्ट से मिलवाया। सुरेश पाल ने आगे बताया कि बहुत से बच्चे किसी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते है। पहले बहुत सारी बाते करने वाले बच्चे अब छोटी सी बात पर चिढक़र कमरे में चले जाते है अथवा खुद को अकेला कर लेते है, कि सी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते न किसी बातचीत में शामिल होते हैं। पेरेंट्स द्वारा कई बार प्रयास करने के बाद भी जब इस बदलाव नही आया तब उनकों एक्सपर्ट की सहायता लेनी पड़ती है, जिसके बाद उनकों बच्चों में बदलाव आता नजर आ रहा है। उन्होंने बताया कि टीनएजर बच्चे अपनी पहचान खोज रहे होते हैं, उन्हें डर रहता है कि उनकी बातों को जज किया जाएगा या अनसुना कर दिया जाएगा, इसलिए वे संवाद से बचने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को डांटना या जबरदस्ती बात करवाने के बजाय सहानुभूति दिखानी चाहिए। नरम लहजे में बात की शुरुआत करें और बच्चे को अपनी बात कहने का पूरा मौका दें। उन्हें थिएटर, डिबेट या कम्युनिकेशन वर्कशॉप से जोड़ना मददगार होगा।
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जानकारी देते पूर्व प्राचार्य सुरेश पाल……………..(डा. आर. के. जैन)