ज़िन्दगी में यदि खुश होकर जीना है, तो दूसरों की ज़िन्दगी में अपनी जगह ढूंढना बन्द करो

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अन्यथा ज़िन्दगी भर रोते ही रहोगे..! आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी    औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की   ज़िन्दगी में यदि खुश होकर जीना है, तो दूसरों की
ज़िन्दगी में अपनी जगह ढूंढना बन्द करो..
अन्यथा ज़िन्दगी भर रोते ही रहोगे..!
दूसरों के जुड़ने और जोड़ने के कारण ही हमारे अन्दर पाप और बुराईयों का समावेश होता रहता है। आदमी पाप क्यों करता है-?सिर्फ काम, क्रोध और इच्छाओं की पूर्ति के खातिर आदमी इतने पाप कर लेता है, कि उन पापों के बोझ से कमर झुक जाती है और फिर पाप का बोझ ढ़ो नहीं पाता है। कामना-वासना आदमी को अन्धा बना देती है।
क्रोध में आदमी होशोहवास खो देता है, और इच्छाओं की पूर्ति के लिये आदमी, ना दिन देखता है ना रात।आदमी भूल जाता है कि क्या अच्छा और क्या बुरा कर रहा हूँ मैं-? आदमी गहरी मूर्च्छा और मूढ़ता में यही भूल जाता है कि इसका अन्जाम हमको ही भोगना पड़ेगा, फिर अच्छे और बुरे का विवेक ही नष्ट हो जाता है।
इसलिए मैं कह रहा हूँ – 23 घन्टे सबसे बात करो लेकिन एक घन्टे सब कुछ छोड़कर स्वयं से बात और सम्वाद करो। इससे हमें अच्छे और बुरे कार्य करने का बोध होगा और परमात्मा से निकटता बढ़ेगी…!!!नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल

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