जन्मभूमि जतारा में हुआ जतारा के लाल आचार्यश्री विमर्श नागर जी का 51 वाँ विमर्श उत्सव मैं जहाँ भी देखता हूँ, मुझे सब अपने ही अपने दिखाई देते है

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बुन्देलखण्ड की धर्मनगरी जन्मभूमि जतारा में हुआ जगह जतारा गौरव भावलिंगी संत आचार्य श्री 101 विमासिएर जी महामुनिराज का 51 को “निमार्ण उत्सव” आचार्य श्री विमर्शसार उपस्थित होकर की दर को भरने माथे से मया । प्रातःकाल की मांगलिक बेला में आचार्य श्री जी महामुनिराज के सानिध्य से गुरुवर की जन्मभूमि पर देशभर के सैकडों भक्तों ने गुरू-चरणों में के संधाय शियों के गुरु चरणों की पूजा-आराधना-भक्ति कर आले गुरूवर का जन्मोत्सव मनाया। अतिशय क्षेत्र जतारा के नाम से विख्यात गुरुवर की जन्मभूमि पर प्रतिदिन अतिशयकारी झोंपरे जी के बड़े बाबा 1008 श्री प्यादिनाथ भगवान की महार्थना श्री भक्तामर विधान के द्वारा की जाती है। आचार्य श्री के 51 वें अवतरण दिवस पर देशका से 22 परिवारों ने श्री भक्तामर महायेना का परम सौभाग्य प्राप्त किया। साथ ही अर्धशतक श्रद्धालुओं ने अतिशयकारी श्री 1008 आदिनाथ भगवान के मस्तक पर छत्र चढाने का परम सौभाग्य प्राप्त किया। जिम घर परिवार में गुरुवर ने जन्म लिया या आज उन्हें ही प्राप्त हुआ सौभाग्य आधार वर्ष का => 15 नवम्बर 2018, आज से पूरे 50 वर्ष पूर्व आचार्य गुरुवर मे जन्म लिया था, भवतरण लिस के पावन अवसर पर गुरुवर के ज्येष्ठ भ्राता श्री राजेश जैन एवं लघु भ्राता श्री चक्रेश जैन को गुरुवार की आहार- वर्षा सम्पन्न कराने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। सम्पूर्ण नगर में हुआ गुरुवर के जन्म- महोत्सव आगाज। नगर गौरव का नगर में ही महोत्सव मनाने को जतारा नामक का प्रत्येक नागरिक आतुर था। नगर बालियों ने आचार्य गुरुवर के चरणों में मस्तक झुकाकर अपना सौभाग्य बढ़ाणी भजन सम्राट “रुपेश जैन” ने गुरु चरणों में समर्पित किए अपने ब्रह्म-भावसुमन बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ की धरा को गौरव प्रदान करने वाले भजन सम्राट श्री रूपेश जैन ने आचार्य श्री के चरणों में उपस्थित होकर भाव सुमन समर्पित करते हुए कहा- हे गुरुदेव! देशभर के लाखों भक्तगण यही भावना करते हैं, आप चिरायु हो, हम सबकी आयु में से एक एक वर्ष घटकर गुरुदेव आपकी आयु में मिल जाए! इसी अवसर पर नगर पालिका जतारा के अध्यक्ष श्रीमान अनुराग जी नायक ‘रामजी”, नवीन जो साह, श्रीरमेश पाठक “शासकीय अधिवक्ता” आदि राजनैतिक क्षेत्र से गुरुभक्तों ने अपना अर्थ गुरु चरणों में समर्पित किया। संघन्य बालब्रह्मचारिणो विशु दीदी सहित सभी त्यागी वृतियों ने दीक्षा हेतु गुरु चरणों किया विनम्र निवेदन परम पूज्य आचार्य श्री विमर्श नागर जी महामुनिराज के कर कमलों से दीक्षित 14 मुनिराज, 9 आर्यिका, उ क्षुल्लिका साधनारत हैं। जबकि 5 संयमी साधक साधना का फल समाधि के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। आज आचार्य गुरुवर के 51 में जम्म- महोत्सव पर संघस्य विशु दीदी के साथ सभी त्यागी – वृतियों ने आचार्यत्री के चरणों में भगवती जिनदीक्षा का भावभीना निवेदन किया। जतारा नगर गौरव के जन्मोत्सव पर नगर के मुख्य चौराहे पर हुआ 51 ky. मिष्ठान वितरण। संध्या बेला में स्वर्णिम विमर्ध उत्सव पर 1008 दीपकों से ‘आचार्यश्री की हुई महा-आरती । चातुर्मास में हुई श्री भक्तामर शिक्षण शिविर, छहढाला, एवं विमर्श कैम्प की परीक्षाओं के पुरुस्कार वितरण भी आयोजन के मध्य किए गए। संध्याबेला में बा.न. विशु दीदी के द्वारा आचार्य श्री जीवन वृत्त पर स्वर्णिम प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता सम्पन्न की गई। आचार्य श्री ने सभी भक्तों और शिष्यों पर अपना अपूर्व वात्सल्य लुटाते हुए कहा – “मैं जहाँ भी देखता है, मुझे सब अपने-अपने ही नजर आते हैं”।

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