जैनाचार्य सुमतिसागर महाराज को 30वें समाधी दिवस पर नमन

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मुरैना (मनोज जैन नायक) आचार्य शांति सागर क्षाणी परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य 20वीं सदी के परम तपस्वी प्रातः स्मरणीय माषोपवासी चारित्र चक्रवर्ती समाधि सम्राट आचार्य श्री 108 सुमति सागर जी महाराज का जन्म असोज शुक्ल चौथ विक्रम संवत 1974 को अम्बाह के श्यामपुर गांव में उपरोचिया दिगंबर जैसवाल जैन समाज के श्रावक श्रेष्ठी श्री छिददूलाल जी भण्डारी के यहां माताजी श्रीमती चिरोंजादेवी की कोख से हुआ था आप चार भाई व एक बहन में सबसे बड़े थे आपका विवाह श्रीमती राम श्री देवी के साथ हुआ था आपके दो पुत्र व दो पुत्रियां थीं ।
आचार्यश्री सुमति सागर जी महाराज के परम भक्त अनूप जैन भंडारी द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज की पावन प्रेरणा व पंडित मख्खनलाल जी शास्त्री मुरैना के समागम से आपके मन मे वैराग्य के भाव जाग्रत हुए और आपने चैत्र शुक्ल तेरस विक्रम संवत 2025 को रेवाड़ी हरियाणा में गुरुदेव आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज से एलक दीक्षा ग्रहण कर श्री 105 वीर सागर नाम प्राप्त किया और मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ गए अगहन वदी बारस विक्रम संवत 2025 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में आपने मुनि दीक्षा ग्रहण कर निर्ग्रन्थ दिगम्बरत्व को धारण किया गुरुदेव आचार्य श्री 108 विमल सागर जी ने आपको सुमित सागर नाम प्रदान किया गुरुदेव आचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज की भिण्ड मध्य प्रदेश में समाधि के पश्चात जेष्ठ सुदी(श्रुत) पंचमी विक्रम संवत 2030 को मुरैना (म.प्र.) में आपको आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया ।
आपने निर्दोष चर्या का पालन करते हुए कठोर साधना की आपके द्वारा एक माह का उपवास किया और आप माषोपवासी कहलाए आपके द्वारा देश भर में अभूतपूर्व धर्म प्रभावना हुई आपकी प्रेरणा से कई स्थानों पर मानस्तम्भ, जैन मंदिर, त्यागी व्रती आश्रम, औषधालय, पुस्तकालय, आदि का निर्माण व प्राचीन साहित्य का प्रकाशन करवा कर धर्म प्रभावना की गई आपके द्वारा 125 के लगभग दिगंबर जैनेश्वरी दीक्षा देकर भव्य जीवो का मोक्ष मार्ग प्रसस्त किया आपके प्रमुख शिष्यो में आचार्य श्री 108 भरत सागर जी महाराज (गुजरात केसरी) आचार्य श्री 108 अजित सागर जी महाराज त्रिलोक तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री 108 विद्या भूषण सन्मति सागर जी महाराज सराकोद्धारक ज्ञान तीर्थ प्रणेता आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज आचार्य श्री 108 विवेक सागर जी महाराज गणीनी आर्यिका श्री 105 राजमती माताजी गणीनी आर्यिका श्री 105 ज्ञानमती माताजी प्रमुख रही जिनके द्वारा जैन धर्म की महिती धर्म प्रभावना की गई आपकी प्रेरणा से अजमेर मे औषधालय, मुरैना मे मानस्तम्भ, श्री 1008 सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी एवम शाश्वत तीर्थ तीर्थ राज श्री सम्मेद शिखर जी पर त्यागी व्रती आश्रम आदि स्थापित किए गए कुआर वदी तेरस विक्रम संवत 2051तारीख 3-10 -1994 को श्री 1008 सिद्ध क्षेत्र सोनागिर जी के आचार्य श्री 108 सुमति सागर त्यागी व्रती आश्रम मे आपने पूर्ण चैतन्य अवस्था मे अपने इस नश्वर शरीर को छोड़ देव लोक गमन किया ऐसे परम उपकारी उत्कृष्ट साधक की प्रेरणा हम सब भव्य जीवो के लिए मंगल मय व कल्याणकारी बने एसी पावन भावना के साथ गुरुवार के चरणों में कोटि – कोटि नमन कोटि-कोटि वंदन नमोस्तु नमोस्तु नमोस्त ।
चरण सेवक
अनूप भण्डारी मुरैना

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