अंबाह। अयोध्या हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है, यू कहे तो वहां के कण-कण में भगवान विराजमान है। अयोध्या में कई महान योद्धा, ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष हो चुके हैं। जैन मत के अनुसार यहां प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव सहित कई तीर्थकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। जैन धर्म के अधिकांश तीर्थंकरों का जन्म भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश में माना जाता है।प्रभु श्री राम का अस्तित्व जैन धर्म में शलाका पुरुष और मोक्ष गामी जीव का हैं। उनका नाम जिनशासन में “पद्म” हैं। इसलिए जैनधर्म के रामायण का नाम “पद्मपुराण” हैं।बाकी सब लोग उन्हें नारायण का अवतार मानते हैं, लेकिन जैन धर्म में राम बलभद्र थे। लक्ष्मण नारायण थे। इसलिए रावण, जो प्रतिनारायण थे, उनका वध नारायण लक्ष्मण ने किया।
प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ और श्री मंगीतूंगी से मोक्ष हुआ। सीता जी का जीव पृथ्वीमती माताजी से आर्यिका दीक्षा लेकर 16 स्वर्ग गया। राम शब्द में 24 तीर्थंकरों का समावेश है। रा से प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और म से अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी है। जैन धर्म में भगवान राम को उच्च स्थान दिया है। भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते है, क्योकि मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलकर वह आदर्श पुरुष कहलाए है। जीवन में उनके विचारों को सभी को अनुसरण करना चाहिए तभी आपका यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के निमित्त हो रहे देशभर में आयोजन मनाना सार्थक हो जाएगा। राम जन्मभूमि आंदोलन में जुड़े अनेक लोगो ने बलिदान समर्पण दिया, उनको स्मरण करने का भी अवसर है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी भी उस दिन उपवास कर रहे है वह भी रामकाज में जुटे है, साथ ही वे 11 दिन का विशेष अनुष्वन भी कर रहे है ऐसे में में भी आप सभी से आग्रह करना चाहता हूं कि हम सबको भी कम से कम एक धार्मिक अनुष्ठान करना चाहिए। साथ ही जो भी प्रभु श्री राम की सेवा में लगे सभी हिन्दू संगठन के सदस्य, प्रत्येक वह लोग जो प्रभु श्री राम में आस्था रखते है, उन सभी को साधुवाद देता हूं।
जैन मंदिरों भी हो शुद्धीकरण – जैन धर्म के सभी श्रद्धालु अनुयायियों, समाज के सभी वरिष्ठ जन सभी जैन तीर्थ के द्रस्ट के द्रस्टी से एक जैन श्रावक होने के नाते आव्हान है, देशभर में सर्व हिन्दू समाज के द्वारा जो भी पूजन-अर्चन अनुष्ठान हो रहे है, सनातन के सभी मंदिरों की शुद्धिकरण हो रही है तो अपने जैन मंदिरों अर्थात जिनालयों को भी उसी दिन सभी मिलकर उसका भी शुद्धिकरण सजावट करें। 22 जनवरी को दीपोत्सव की तरह मनाए व सारे आयोजन में सहयोगी बनकर तन- मन-धन से सहयोग देकर प्रभु की भक्ति में कार्य में जुड़कर देश वासी होने का श्रेष्ठ परिचय देकर गौरव की अनुभूति करें राम लला की प्राण-प्रतिष्व निर्विघ्न सम्पन्न हो।