जहाँ बेदर्द हाकम हो वहां फ़रियाद क्या करना ? – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैनभोपाल

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जब शासक अपने में चूर रहकर अँधा गूंगा बन जाए तब उस देश में कौन सुरक्षित रहेगा .वर्तमान शासक को विश्व स्तर की समस्याओं के समाधान ढूढ़ने के लिए समय ही समय हैं तब देश की समस्याएं को वह समस्या नहीं समझते .ये दुरंगी चेहरे का धनि व्यक्ति हैं ,इन्हे दोगला भी कहना उचित होगा .कारण वह मुख से कुछ बोलता और दिमाग में कुछ और सोचता हैं .वह मन वचन और कर्म में एकाकार नहींरखता
हमेशा बहिन बेटियों के बचाव की बात करते हैं और जमीन स्तर पर शून्य .हृदयहीन व्यक्तित्व का धनी .जिसे अपने नजदीक होने वाली घटनाओं का कोई इल्म नहीं और विश्व की बात करना .
जब महिला और पुरुष पहलवान देश के लिए स्वर्ण रजत कांस पदक लाये तब शहद लगी जुबान से उनकी तारीफ की और आज वे अपने लिए .आन बान शान के लिए महीनों से संघर्ष कर रही हैं तब उनके कान में जूं तक नहीं रेंग रही .इसे क्या कहा जाएगा .हठधर्मिता या बेशरमी .ऐसी घटना घटने वाले देश में नारी को पूजनीय कहना बेमानी होगा .
उन्हें मालूम हैं उनके पास बहुमत हैं ,धनबल ,बाहुबल ,जनबल हैं इसलिए उन्हें अनीति करने का पूरा अवसर हैं .द्रोपदी के चीरहरण के कारण महाभारत हुआ था और अत्याचारी की हार हुई थी .कहीं इतिहास पुनः तो नहीं दुहराया जायेगा .
ठीक हैं अभी सत्ता का नशा हैं पर अगले वर्ष चुनाव में क्या होगा भविष्य वह वर्तमान में टिका हैं .यह बहुत बड़ा अपराधी रह चुके हैं और इनके हाथ खून से सने हैं .जिस देश में नारी को सम्मान नहीं मिलेगा उसका हश्र चिंतनीय ही होगा .आज की घटना की जानकारी संभवतः न मिली होगी पर गरीब की है कभी निष्फल नहीं जाएगी .
ठीक हैं आज का दिन शासक के लिए अभूतपूर्व होगा पर महिलाओं के ऊपर जो अत्याचार हुआ हैं उसने आज के दिन को भी कलंकित किया हैं .ऐसे कैसे संवेदनशील शासक को नींद कैसे आती होगी .शायद सत्ता के मद में मदांधता के कारण अंधे बहरे और गूंगे और हृदयहीन हो चुके हैं .यदि ऐसी घटना उनके निजी के साथ हुई होती और ऐसे मूक दर्शक बने होते जब जानते वे कितने संवेदनशील हैं .
अन्याय अत्याचार की जिंदगानी बहुत कम होती हैं .
जिसके ऊपर बीतती हैं उसे एक एक क्षण कठिन लगता हैं
जिस दिन तुम्हारी कुर्सी छिनेगी तब अहसास होगा
अपने कष्टों का
कितने दिनों की जिंदगानी और यह पद
इतिहास को कौन कितना याद करता और रखता हैं
रेत सीमेंट लोहे के निर्माण से देश नहीं होता विकसित
जहाँ जीवित का कोई स्थान नहीं वहीँ तुम्हारा भी स्थान नहीं
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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