इच्छाओं का निरोध करना ही तप है :आचार्य प्रमुख सागर*

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गुवाहाटी:फैंसी बाजार के भगवान महावीर धर्म स्थल में दस लक्षण धर्म की आराधना अत्यंत श्रद्धा व भक्ति भाव पूर्वक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ की जा रही है।मौन संस्कार साधना शिविर एवं सभी कार्यक्रमों में अधिकाधिक संख्या में समाज के सभी सदस्य एवं महिलाएं तथा युवा भाग ले रहे हैं। पर्युषण पर्व के सातवें दिन आज(सोमवार)को नित्य नियम की पूजन के उपरांत मंडल विधान की पूजन आचार्य श्री ससंघ के सानिध्य में अत्यंत भक्ति भाव पूर्वक संपन्न कराई गई । इस अवसर पर उत्तम तप धर्म की व्याख्यान करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि समस्त रागादि भावों का त्याग कर आत्मलीन  होकर विकारों पर विजय पाना ही तप है। संयमी प्राणी ही सच्चा तपस्वी हो सकता है। इसलिए संयम के बाद तप का क्रम है। इच्छाओं के निरोध होने पर ही तप होगा। इच्छाओं के रहते तप होना असंभव है। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि इच्छाओं का निरोध कर वीतराग भाव की वृद्धि करना ही तप का मूल प्रयोजन है।जिस प्रकार प्रज्वलित अग्नि तृण को जलाती है, उसी प्रकार तप रूपी अग्नि कर्म रूपी तृण को भस्म करती है। प्रवचन के उपरांत प्रश्न मंच का आयोजन किया गया तथा प्रश्नों का सही उत्तर देने वालों को पुरस्कृत किया गया। प्रचार प्रसार संयोजक ओमप्रकाश सेठी ने बताया कि आज प्रातःआचार्य श्री ससंघ के मुखारविंद से श्रीजी की शांतिधारा करने का सौभाग्य संतोष कुमार- अनीता देवी छाबड़ा परिवार, गुवाहाटी एवं भागचंद- सुनीता देवी चूड़ीवाल परिवार, गुवाहाटी को प्राप्त हुआ।यह जानकारी प्रचार-प्रसार विभाग के सह संयोजक सुनील कुमार सेठी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है।।

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