घड़ी कोई भी ठीक कर सकता है, परन्तु स्वयं की घड़ी तो स्वयं को ही ठीक करनी होगी

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अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी.                          औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे    विराजमान  है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की  कोई भी खाली नहीं इस दुनिया में, सब गले तक भरे बैठे हैं..
कोई प्रेम से भरा है….कोई घृणा से, वैमनस्यता से,
कोई यादों के झरोखे से….तो कोई स्वयं के कारणों से..!
ध्यान रखना — घड़ी कोई भी ठीक कर सकता है, परन्तु स्वयं की घड़ी तो स्वयं को ही ठीक करनी होगी बाबू! हमारी घड़ी ठीक करने भगवान महावीर कभी नहीं आयेंगे।
नया चिन्तन —
 सुबह का भूला, शाम को घर आ जाये — ये है प्रतिक्रमण।
थके हारे व्यक्ति को, घने वृक्ष की छाव मिल जाये, ये है सामायिक।
भूखे प्यासे व्यक्ति को, पेट भर भोजन मिल जाये — ये है स्वाध्याय, प्रवचन और सत्संग
मन पवित्र है, सरल है, निर्मल है तो जीवन स्वर्ग है।और यदि मन अपवित्र है, विकार, वासना से भरा है तो जीवन नर्क है।क्योंकि जीवन एक मान सरोवर है जिसमेें मन रूपी हंस क्रीड़ा कर रहे। कमल का कीचड़ में रहना और मनुष्य का संसार में रहना बुरा नहीं है, ना अशुभ है बुरा और अशुभ तो तब है जब कीचड़ कमल पर आ जाये, और संसार मनुष्य के मन में बस जाये।
इसलिए — तूफान को शान्त करने की कोशिश की बजाय खुद के मन और इच्छाओं को शान्त कर लो, फिर देखो विचारों का तूफान अपने आप शान्त हो जायेगा…!!!नरेंद्र  अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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